खबर लहरिया Blog उन्नाव में हैदराबाद जैसी घटना, गैंगरेप पीड़िता को जिंदा जलाया

उन्नाव में हैदराबाद जैसी घटना, गैंगरेप पीड़िता को जिंदा जलाया

लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा के चौकाने वाले मामले सामने आये हैं।ताज़ा मामला उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र का है।ऐसा बताया जा रहा है की 5 दिसंबर 2019 को एक रेप पीड़िता को आरोपियों द्वारा पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने की कोशिश की गई पुलिस ने मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है युवती 90 फीसदी जल चुकी है और उसकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है लड़की को गंभीर हालात में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया है।
पीड़िता ने बयान दिया है कि 5 दिसम्बर के तड़के 
बजे वह रायबरेली जाने के लिए ट्रेन पकड़ने बैसवारा बिहार रेलवे स्टेशन जा रही थी। गौरा मोड़ पर गांव के हरिशंकर त्रिवेदीकिशोरशुभमशिवम और उमेश ने उसे घेर लिया और सिर पर डंडे से और गले पर चाकू से वार किया। इस बीच वह चक्कर आने से गिरी तो आरोपियों ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी। बता दें कि इस केस की जांच रायबरेली पुलिस ने की थी। इस केस में दोनों आरोपी जेल से जमानत पर बाहर आए थे।

ऐसा ही मामला चित्रकूट जिले के ब्लाक मऊ, बरगढ घाटी पुलिस चौकी का सामने आया है जहाँ पर 3 दिसंबर को अज्ञात लड़की की पुलिस चौकी के अंदर लाश मिली है लड़की की कुछ भी शिनाख्त नहीं हो पाई है। यह बताया जा रहा है कि लड़की का पहले रेप किया गया है इसके बाद हत्या की गई है। चेहरा इस तरह से कुचल दिया गया है कि पहचान में नहीं आ रहा है। हाईवे सड़क के बगल से चौकी लगी हुई है इस तरह की घटना को कब अंजाम दिया गया पुलिस को कुछ नही

नही रुक रही महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा  डॉ प्रियंका रेड्डी को बांदा के महेश्वरी देवी चौक में कैंडल जलाकर दी गई श्रंद्धांजलिऐसी ही घटनाएं बरगढ घाटी के जंगल में आए दिन होती हैं। पर पुलिस प्रशासन ठोस निर्णय नहीं ले रही है कि इस तरह से कौन हादसा करता है। सरकार का नारा है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पर क्या इस तरह के मामले में कुछ कर पा रही है सरकार? किस तरह से महिलायें सुरक्षित होंगी? जब उनका घर से निकलना मुश्किल है और अगर घर से निकाल भी गई तो सड़क पर ही मार दिया जा रहा है। इस तरह का नारा देकर सरकार कैसी राजनीति खेल रही है? इस तरह से दिनोदिन बढती घटनाएं चिंता का विषय है लोगों में आक्रोश है लोग सड़को पर उतर आये हैं लेकिन इन सब से क्या होगा जब सरकार कोई ठोस निर्णय ही नहीं लेगी?