खबर लहरिया जवानी दीवानी बिना बर्तनों के कैसे बनता हैं खाना, देखिए स्काउट एवं गाइड की छात्राओं का कारनामा

बिना बर्तनों के कैसे बनता हैं खाना, देखिए स्काउट एवं गाइड की छात्राओं का कारनामा

बांदा/ शहर के राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पांच दिवसीय कार्यक्रम के तहत आज तीसरा दिन है। आज के दिन स्काउट गाइड  जिसका  दूसरा नाम ही  समाज सेवा है।तो स्काउट गाइड इसी  विषय से स्नातक पढ़ने वाली लड़कियों ने ऐसे काम करके दिखाए जिससे वह सबके बीच किसी गंभीर परिस्थितियों या फिर जंगल एयर पहाड़ में फंस जाने पर अपने को कैसे जिंदा रखा जा सकता है

इस विषय में  कुछ उपयोगी सेवाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है । यदि उन्हें ठीक ढंग से प्रशिक्षित किया जाये, तो उन्हें समाज के लिए अनेक उपयोगी कामों में लगाया जा सकता है ।

उन्हें बहादुरी, दिलेरी और दूसरों की सहायता करने का पाठ पढाया जाता है । वे अपनी यूनीफार्म में सदैव बड़े कर्मठ दिखाई पड़ते है । उनमें सेवा, वीरता और देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भर दी जाती है । उन्हें वे सभी उपयोगी बातें सिखाई जाती हैं, जिनसे कोई व्यक्ति आदर्श नागरिक बनता है ।

इसी प्रकार का ही कार्यक्रम इस महाविद्यालय में भी हुआ जिसमे छात्राओं ने लकड़ी का पुल बनाया था उसको पार करके दिखाया। टेंट बनाया और बिना बर्तन के खाना बनाया। लमिट्टी के बर्तनो को बढ़ावा देने की नई पहल क्या पुराने दिन लौट पायेगी?ड़कियां और टीचर बहुत खुश दिखे। छात्राओं ने बताया की ये हमारे लिए बहुत ही आवश्यक था और अन्य लड़कियों के लिए भी आवश्यक है उन्हें जरुर सिखाना चाहिए।

कभी-कभी हम ऐसी परिस्थिति में फंस जाते हैं की हमें खाना पानी नहीं मिलता तो हम इस तरीके से कर सकते हैं। स्काउट गाइड पढ़ाने वाले प्रोफेसर डॉ ज़ेबा खान बताती हैं कि ये चीजें जिंदगी जीने के लिए बहुत आवश्यक हैं। ये विषम परिस्थितियों में बहुत काम आता है  उन्होंने इसका इतिहास भी बताया। मतलब कैसे और कब इसकी शुरूवात हुई। लड़कियों को ये सिखाया जाता। जिससे वो किसी भी जगह जीवित रह पाए चाहे वो घना जंगल ही क्यूँ न  छात्राओं  में  भी ये सब   सीख   कर  आत्मबल बाधा |