खबर लहरिया Blog यूपी, एमपी में सूखा और पानी संकट के बीच लोग कैसे बुझाएं प्यास?

यूपी, एमपी में सूखा और पानी संकट के बीच लोग कैसे बुझाएं प्यास?

उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के कई जिले आज भी पानी की मार झेल रहे हैं। लोगों को अब भी पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिल रहा है। आज भी लोगों को पाने भरने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। जानवर प्यास से मर जाते हैं और लोग सिर्फ जीने के लिए पानी की तलाश करते रह जाते हैं।

साभार – खबर लहरिया

आज भी यूपी और मध्यप्रदेश (एमपी) के कई जिले ऐसे हैं जो की पानी की कमी झेल रहे हैं। जिसका समाधान विकास का दावा करने वाली सरकार द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। जहां आज भी लोग पानी की एक बूँद के लिए तरसते हैं। ऐसा ही मामला जिला चित्रकूट में देखने को मिला है।

जिला चित्रकूट के ब्लॉक के 57 ग्राम पंचायतों में इस समय पानी की समस्या बनी हुई है। जिसे देखते हुए लोगों ने खुद ही पैसे इकठ्ठा करके हैंडपंप ठीक करवाए। ताकि पानी की कमी ना हो। लेकिन 15 दिन के बाद हैंडपंप फिर खराब हो जाता है। लोगों के अनुसार आये दिन गाँवो में हैंडपंप खराब हो जाते हैं। वह हैंडपंप महीनो तक यूँही पड़े रहते हैं। लोगों ने विभाग के चक्कर भी लगा लिए, लेकिन पानी की समस्या का कुछ नहीं हुआ। लोग कई किलोमीटर चलकर पानी लाते हैं।

गर्मी के मौसम में पानी की ज़्यादा किल्लत

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जब गर्मी का मौसम आता है तभी से हैंडपंप का पानी सूख जाता है या फिर हैंडपंप ही खराब हो जाता है। गाँव बरहा कोटरा, ओबरी ग्राम पंचायत के करौदी,खुर्द गाँव आदि में रहने वाले लोगों की आबादी तकरीबन 36 सौ की है। खबर लहरिया द्वारा रिपोर्ट की गयी जानकारी के अनुसार पांच मजरे ( जहां दो से तीन परिवार घर बनाकर रहते हैं) में एक कुआं है। 36 में से 15 हैंडपंप हमेशा खराब ही रहते हैं। जब वह खराब हो जाते हैं तो उस पर ध्यान देने वाला भी कोई नहीं होता। लोगों का कहना है कि जब से दिसंबर 25 से प्रधानों का कार्यकाल खत्म हुआ है। तब से उनकी परेशानियां और भी ज़्यादा बढ़ गयी है।

चंदा इकठ्ठा करके ठीक करवाते हैं हैंडपंप

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जानकारी के अनुसार, लोग हैंडपंप बनवाने के लिए हर घर से बीस से पचास रूपये इकठ्ठा करते हैं। तब जाकर वे हैंडपंप बनवाते हैं। ओबरी गाँव की रहने वाली आरती और बच्ची देवी कहती हैं कि वे लोग लगभग चार महीने से चंदा इकठ्ठा करके हैंडपंप बनवा रहे हैं। उनका आरोप है कि सचिव राम कुमार को जब भी समस्या के निवारण के लिए फोन किया जाता है तो वह अपना फोन बंद कर लेते हैं।

वह कहती हैं कि कुएं और तालाब का पानी तो वैसे भी गर्मियों में सूख जाता है। जिससे जानवर प्यासे रह जाते हैं। एक हैंडपंप से पूरे गाँव के लोग लाइन लगाकर पानी भरते हैं। जब कभी गाँव हर्दी कला मजरा डीह पुरवा में जब किसी किसान का बोर ( पानी के लिए बोरिंग कराई जाती है) चलता है। तो लोग वहां से पानी भर लेते हैं। लेकिन मजरा में अभी तक पानी की पाइपलाइन नहीं बिछी है।

इस समय फसलों की कटाई का काम चल रहा है। लोगों का कहना है कि जब वह कटाई करके आते हैं तो उन्हें पानी के लिए लम्बी लाइन में लगना पड़ता है। साथ ही अन्य कामों में लिए पानी भरना होता है। लम्बी लाइन की वजह से कोई भी काम समय से नहीं हो पाता।

नहीं मिलती सूचना – सचिव

गांव बरहा कोटरा के सचिव श्रीकान्त और ग्राम पंचायत ओबरी हर्दी गांव के सचिव राम कुमार का लोगों की समस्या को लेकर कहना है कि उन तक कोई सूचना ही नहीं पहुँचती। वह कहते हैं कि अगर गाँव वाले उन्हें उनकी दिक्कत बताएंगे तो वह ज़रूर से हैंडपंप लगवायेंगे। सिर्फ कुछ समय की बात है, जब चुनाव के बाद प्रधान बन जाएंगे तो वह अपने गाँवों में खुद ही हैंडपंप लगवा देंगे।

पता होता तो ज़रूर निपटारा होता -एडीओ पंचायत

मऊ ब्लाक के एडीओ पंचायत सन्तोष कुमार त्रिपाठी का कहना है कि जब से प्रधानो की प्रधानी गई है यानी प्रधानों का कार्यकाल खत्म हुआ है। हर गाँव का काम सचिव की ज़िम्मेदारी हो गयी है। वह कहते हैं कि हैंडपंप बनवाने के लिए कोई बजट नहीं होता। पर हां, पानी की व्यवस्था की जाती है। वह कहते हैं कि अगर उन्हें जानकरी होती तो वह मीटिंग करके लोगों की परेशानी का हल करते।

500 लोगों में सिर्फ एक हैंडपंप – एमपी अजयगढ़ ब्लॉक

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खबर लहरिया ने हैंडपंप खराब होने को लेकर पन्ना जिले के ब्लॉक अजयगढ़ में लोगों से बात की थी। जिसमें यह बताया गया कि ब्लॉक अजयगढ़ के नगरपालिका वार्ड नंबर 8 और वार्ड नंबर 10 का हैंडपंप तकरीबन तीन सालों से खराब है। जानकारी के अनुसार, हैंडपंप अब पूरी तरह से खराब हो चुका है। उसमें कीचड़ भर चुका है और लोग उसी हैंडपंप से पानी पीते हैं। जब लोग पीने के लिए पानी भरते हैं तो बोतल में गंदगी भी आ जाती है। साथ ही पानी के हैंडपंप के बगल में ही कचरे का ढेर भी लगा हुआ है। यहां तकरीबन 500 लोग रहते हैं और पीने के लिए सिर्फ एक ही हैंडपंप है।वार्ड नंबर-10 की रहने वाली उमा कुशवाहा का कहना है कि एक तरफ सरकार कहती है कि जल ही जीवन है और पीने के लिए जल भी मुहैया नहीं कराया जाता।

बुंदेली माटी सेवा संस्थान के गर्जन सिंह ठाकुर कहते हैं हैंडपंप से लोहा युक्त पानी निकलता है। जिसे पीया भी नहीं जा सकता। वह कहते हैं कि अगर गाँव का इकलौता हैंडपंप भी खराब हो जाये तो लोगों को तीन किलोमीटर चलकर पानी लाना होगा। इसके आलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं है।

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वार्ड नंबर 10 में रहने वाले लोगों से जब बात की गयी तो उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कई बार नगर पालिका से नल/ हैंडपंप लगाने के लिए आवेदन भी किया गया। लोगों ने बताया कि हैंडपंप लगाने के लिए प्रस्ताव भी पास हो गया था लेकिन इसके बावजूद भी नल नहीं लगाया गया। वार्ड नंबर-10 और 6 के लोग एक ही हैंडपंप से पानी भरते हैं। जिससे कई बार लोगों में झगड़ा भी हो जाता है। लोगों को पानी भरने के लिए दो घंटों तक इंतज़ार करना पड़ता है। पास में एक घाट भी हैं, जहां से लोग पानी भरते हैं। लेकिन उसके लिए चढ़ाई करनी पड़ती है और पानी भरने के लिए दो लोगों की ज़रुरत होती है। लोगों की सबसे बड़ी चिंता है कि उन्हें सुबह जल्दी उठकर पानी के लिए लाइन लगानी पड़ती है। इस साल तो वैसे भी लोगों के लिए सूखा है। जिसने उनकी चिंता को और भी बड़ा दिया है।

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खबर लहरिया द्वारा पानी की समस्या को लेकर नगर पालिका से बात की गयी थी। जिसे लेकर नगरपालिका अधिकारी रमाकांत बागरी का कहना था कि जो हैंडपंप खराब है उसका पानी सूख गया है। जिसकी वजह से उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता। जब उनसे पूछा गया कि ऐसे में दूसरा हैंडपंप कब लगेगा और लोग पानी कैसे भरेंगे? इसे लेकर उनका कहना था कि जब बजट आयेगा तो हैंडपंप लगेगा। तब तक लोग आस-पास से ही पानी भरे। ( इस खबर पर की हुई रिपोर्टिंग को देखने के लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करे।)

यूपी और मध्यप्रदेश में पानी की समस्या और लोगों की त्रास की कहानी काफी पुरानी है। जल को जीवन कहते हैं। लेकिन यूपी के लोगों का तो पूरा ही जीवन पानी की आस में निकल गया। सरकार द्वारा कहा गया कि गाँवों में पीने के पानी की पाइपलाइन लगेगी। कहां है वो ? अब तो तालाब और कुएं भी सूख गए हैं। ऐसे में लोग पानी कहां से लाये, कैसे बुझाएं अपनी प्यास?

इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुनीता देवी और अनीता शाक्या द्वारा रिपोर्ट किया गया है।