राष्ट्रीय साक्षरता ट्रस्ट (एनएलटी) संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 8 से 18 वर्ष के बच्चों और युवाओं में पढ़ने की रूचि का स्तर काफी निचले स्तर पर आ गया है। यह रिपोर्ट 2024 की शुरुआत में 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों और युवाओं से एनएलटी के वार्षिक साक्षरता सर्वेक्षण के 76,131 प्रतिक्रियाओं से ली गई है। सवाल यह है बच्चों और युवाओं की रूचि पढ़ने में नहीं है तो अब वे किस ओर जा रहे हैं? क्या बच्चों और युवाओं की एक बड़ी संख्या राजनैतिक, गैर-राजनैतिक और सोशल मीडिया के जाल में फंस रही है? क्या उनका आने वाला भविष्य सच में खतरे हैं? एनएलटी / NLT की इस रिपोर्ट पर गौर करने की जरूरत है और बच्चों और युवाओं पर ध्यान देने की भी।
राष्ट्रीय साक्षरता ट्रस्ट the National Literacy Trust (NLT) द्वारा किए गए सर्वे से पता चलता है कि ऐसे बच्चों और युवाओं की संख्या में लगातार कमी आ रही है, जो कहते हैं कि उन्हें पढ़ना अच्छा लगता है या उनकी पढ़ने में रूचि है। संगठन ने इसका सर्वे पढ़ने में रूचि, आवृत्ति और प्रेरणा से निकले गए निष्कर्ष और उम्र, लिंग, सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि और भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार प्रतिक्रियाओं का पता लगाया।
2005 से अब तक का सबसे कम आंकड़ा
एनएलटी ने ऐसे बच्चों और युवाओं का सर्वे किया, जिन्हें पढ़ने की आदत है या रूचि है उनका पता लगाने के लिए 2005 में शुरू किया था। इस वर्ष 2024 के सर्वेक्षण की शुरुआत के बाद से पढ़ने में रुचि रखने वाले बच्चों और युवाओं का प्रतिशत सबसे कम दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार पढ़ने में रूचि रखने वालों का प्रतिशत
रिपोर्ट में बताया गया 8 से 18 वर्ष की आयु के केवल 3 में से 1 (34.6%) बच्चों और युवाओं ने कहा कि उन्हें अपने खाली समय में पढ़ने में मज़ा आता है। पिछले वर्ष यानी 2023 की तुलना में ही पढ़ने में रूचि रखने वाले बच्चों व युवाओं के स्तर में 8.8 प्रतिशत अंकों की कमी आई है।
2024 की रिपोर्ट में 8 से 18 वर्ष के बच्चों में से केवल 5 में से 1 (20.5%) ने कहा कि वे अपने खाली समय में रोजाना कुछ न कुछ पढ़ते हैं, जो कि 2005 के बाद से अब तक का सबसे निम्न स्तर है।
एनएलटी के मुख्य कार्यकारी जोनाथन डगलस ने द गार्जियन को बताया, “बच्चों और युवाओं में पढ़ने का आनंद अब तक के सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गया है तथा बड़ी संख्या में बच्चे आवश्यक पठन कौशल के बिना ही प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय छोड़ रहे हैं, जिससे एक पीढ़ी का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
इस तरह से बच्चों और युवाओं में शिक्षा, पढ़ाई को लेकर रूचि में कमी आना सच में चिंताजनक है क्योंकि यदि समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो देश का भविष्य अँधेरे में खो जायेगा।
बच्चों की पढ़ने में रूचि में कमी का एक कारण यह भी
खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार, गांव, नगर और शहरों में युवा तेजी से राजनैतिक और गैर-राजनैतिक संगठनों से जुड़ रहे हैं। ऐसे युवा सोशल मीडिया और इन दलों द्वारा समय-समय पर चलाए जा रहे, ये युवा अभियानों के माध्यम से इन संगठनों में शामिल हो रहे हैं। इनमें विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, भीम आर्मी और विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुसांगिक संगठनव व अन्य शामिल हैं। ऐसे में ये छात्र पढ़ाई और अपने भविष्य की परवाह किए बिना इन संगठनों से जुड़ रहे हैं।
VHP, बजरंग दल समेत अन्य संगठनों से जुड़ने वाले युवाओं का क्या है भविष्य?
खबर लहरिया के इस आर्टिकल में पाया गया कि कैसे आजकल के युवा राजनीतिक और गैर-राजनैतिक संगठनों से जुड़कर अपना भविष्य खतरे में डाल रहे हैं। कैसे वे इन संगठनों का हिस्सा सोशल मीडिया के माध्यम से बन रहे हैं और अभी भी उन्हें इतनी समझ भी नहीं होती लेकिन बाद में उन्हें इस बात का एहसास होता है।
ऐसे संगठन बच्चों और युवाओं को धर्म और राजनीति के जाल में फंसा कर उनकी मानसिकता पर काबू पाते हैं जिससे उन संगठनों का उद्देश्य ही पूरा होता है।
विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष चंद्रमोहन बेदी संगठन के बारे में कहते हैं, “विश्व हिंदू परिषद के तीन आयाम हैं। बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी और मात्र शक्ति। इनमें नई पीढ़ी के लोग बजरंग दल से जुड़ते हैं. इसमें 15 साल से 35 साल तक के युवाओं को भर्ती किया जाता है। ऐसे ही सेम उम्र की महिलाएं दुर्गा वाहिनी से जुड़ती हैं। इसके अलावा 35 साल से ज्यादा उम्र के युवक युवतियों को क्रमश: विश्व हिंदू परिषद और मात्र शक्ति से जोड़ते हैं।”
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संगठन कैसे काम करता है? इस सवाल पर वह कहते हैं, “हमारा जन्म हिंदू समाज के लिए हुआ है। हम कोई राजनैतिक काम नहीं करते हैं हम सिर्फ समाज का काम करते हैं। हमारे लिए युवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हम उनकी बदोलत ही आज राम मंदिर का निर्णाण कर रहे हैं। ये काम 500 साल से अटका था इसके लिए हमने 78 लड़ाइयां लड़ीं और इसमें हमारे पौने चार सौ हिंदू लोग शहीद हुए हैं। ये आज हमें राम मंदिर जो मिला है ये इतनी आसानी से नहीं मिला है कि मिला और हमने बना लिया हमने इसके लिए कई परिवारों की बलिदानी देनी पड़ी है. हमारे काफी लोग शहीद हुए हैं।”
ऐसे धर्म के ठेकेदार खुद को युवाओं का हितैषी समझते हैं, धर्म का पाठ पढ़ाकर उन्हें गलत दिशा में धकेले देते हैं। इस बात से अनजान युवा और बच्चे भीड़ के साथ अपना भविष्य दाव पर लगाकर आगे बढ़ते चले जाते हैं।
विश्व हिंदू परिषद से जुड़े एक अन्य युवा ने कहा, “जब हिंदुओं के साथ अत्याचार होता है और पुलिस कार्रवाई नहीं करती है तो फिर वहां बजरंग दल अपने हिसाब से कार्रवाई करना जानता है, क्योंकि देश का बल बजरंग दल है, फिर चाहें मुकदमें लगें या कुछ हो फिर हम यह सब परवाह नहीं करते हैं। क्योंकि हम हिंदुत्व, हिंदू और मंदिरों के लिए काम कर रहे हैं।”
बांदा जिले के कोर्रा खुर्द गांव निवासी अरुण कुमार पटेल 2016-17 में हिंदू युवा वाहिनी के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने बताया कि “जब मैं ये सब कर रहा था तब मेरी उम्र काफी कम थी। समझ नहीं थी और न ही कोई गाइड करने वाला था। अब लगता है वह एक गलत कदम था, क्योंकि बिना भविष्य देखे ही राजनीतिक क्षेत्र में चले गए। अब अफसोस होता है, पढ़ता तो शायद कोई नौकरी कर रहा होता। काफी पढ़ाई की बर्बादी हुई है। आज मैं अपना दल एस पार्टी के लिए काम कर रहा हूं और एक खेती के बीजों की दुकान चलाता हूं।”
राष्ट्रीय साक्षरता ट्रस्ट (एनएलटी) संगठन और खबर लहरिया की रिपोर्ट इस बात पता चलता है कि बच्चों और युवाओं में पढ़ाई को लेकर रूचि घटने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जिसका जिम्मेदार ये समाज, परिवार, राजनीतिक संगठन और सोशल मीडिया अन्य माध्यम है जो बच्चों और युवाओं को पढ़ाई से कहीं दूर ले जाते हैं।
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