सुप्रीम कोर्ट आज अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करेगी जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वीरवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी।
Gyanvapi Mosque Case: सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज शुक्रवार को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई की जायेगी जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वीरवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी।
#WATCH उत्तर प्रदेश: वाराणसी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंची। pic.twitter.com/jTrc6ZEnCc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 4, 2023
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार 3 अगस्त को परिसर की “वैज्ञानिक जांच/सर्वेक्षण/खुदाई” की मांग करने वाले वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की चुनौती को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “न्याय के हित में वैज्ञानिक सर्वेक्षण आवश्यक है।”
जानकारी के अनुसार, मुस्लिम निकाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने तत्काल सुनवाई की मांग की और पीठ से एएसआई को सर्वेक्षण करने से रोकने का आग्रह किया।
ये भी पढ़ें – Gyanvapi Masjid Case : वाराणसी अदालत ने हिन्दू पक्ष में सुनाया फैसला, मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट तक जाने की कही बात
ज्ञानवापी का इतिहास
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अब सर्वेक्षण को आगे बढ़ा सकता है जो उसने 24 जुलाई को शुरू किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एएसआई को उसे रद्द करना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद जो वाराणसी जिले काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है। मौजूदा ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने के बाद किया गया था। वर्तमान मंदिर 18वीं शताब्दी के अंत में रानी अहिल्या बाई होल्कर के आदेश से मस्जिद के बगल में बनाया गया था।
मस्जिद को लेकर दशकों से मुकदमे चलते आये हैं पर पिछले साल से इस मुद्दे ने काफी तेज़ी पकड़ी जब 16 मई को पांच हिन्दू महिलाओं ने मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी की पूजा करने का अधिकार मांगा था।
इसके बाद से यह मामला मजिस्ट्रेट की अदालत से जिला अदालत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट और फिर वापस जिला अदालत और उच्च न्यायालय में चला गया है।
ये भी पढ़ें – Haryana Violence: नूंह में 1 बजे तक हटा कर्फ्यू, जिले में दो मस्जिदों को आग लगाने का मामला
क्या था वाराणसी कोर्ट का आदेश?
इस साल 21 जुलाई को, वाराणसी जिला अदालत ने एएसआई द्वारा मस्जिद परिसर की “वैज्ञानिक जांच/सर्वेक्षण/खुदाई” के लिए कहा था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेशा ने एएसआई से कहा कि वह इमारत के तीन गुंबदों के ठीक नीचे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वेक्षण करें और अगर ज़रूरी हो तो खुदाई करें।
अदालत ने एएसआई निदेशक को निर्देश दिया कि वह “पता लगाएं…क्या [वर्तमान संरचना] का निर्माण किसी हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना के ऊपर किया गया है”, और “इमारत में पाए जाने वाले सभी कलाकृतियों की एक सूची तैयार करें, जिसमें उनका विवरण दिया जाए।” सामग्री और निर्माण की उम्र और प्रकृति का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक जांच करें और डेटिंग अभ्यास करें।
ज्ञानवापी का मामला कैसे पंहुचा अदालत?
वाराणसी जिला अदालत का 21 जुलाई का आदेश हिंदू महिलाओं द्वारा मां श्रृंगार गौरी की पूजा करने का अधिकार मांगने के लिए दायर सिविल मुकदमे में आया था।
अदालत ने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण में वुजू खाना या स्नान क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाएगा, जिसे पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील कर दिया गया था, जिसके बारे में हिन्दू वादियों द्वारा दावा किया गया था कि उनके द्वारा वहां एक शिवलिंग की पहचान की गई है। हालांकि, मुकदमे में मुस्लिम बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि जो वस्तु मिली थी वह एक फव्वारा था।
दशकों से चले आ रहे ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज भी कोई परिणाम निकलकर नहीं आया है। हर चरण पर दोनों ही पक्षों द्वारा अलग-अलग दलीलें व चीज़ें पेश की जा रही हैं। मुकदमे में मंदिर-मस्जिद के साथ हिन्दू-मुस्लिम का कोण साफ़ नज़र आ रहा है जिसने इस मामले को और भी ज़्यादा पेचीदा बना ररखा है। वहीं इस समय जो देश सांप्रदायिक हिंसा का माहौल बना हुआ है, ऐसे में चीज़ें बेहद संवेदनशील भी हो गई हैं।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’