खबर लहरिया Blog मध्यप्रदेश:‌ ‌कोर्ट‌ ‌में‌ ‌उम्रकैद‌ ‌की‌ ‌सजा‌ ‌सुनते‌ ‌ही‌ ‌जहर‌ ‌खाकर‌ ‌दी‌ ‌जान

मध्यप्रदेश:‌ ‌कोर्ट‌ ‌में‌ ‌उम्रकैद‌ ‌की‌ ‌सजा‌ ‌सुनते‌ ‌ही‌ ‌जहर‌ ‌खाकर‌ ‌दी‌ ‌जान

बांदा जिला के नरैनी कस्बे के राजीव नगर मोहल्ला निवासी युवक अनिल कुमार शिवहरे ने हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनते ही पन्ना (एमपी) के जिला एवं सत्र न्यायालय में जहर खा लिया। जिसकी 22 फ़रवरी को रीवा मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब 32 वर्षीय अनिल कुमार शिवहरे 22 फरवरी को अपने पिता के साथ मध्य प्रदेश के सीमावर्ती पन्ना (एमपी) जिला एवं सत्र न्यायालय पेशी पर गया हुआ था।


क्या है मामला?

मामला पन्ना जिला कोर्ट का है। आरोपी यूपी के बांदा जिले का रहने वाला था। 22 फ़रवरी को कोर्ट ने आरोपी अनिल शिवहरे पिता रामगोपाल निवासी राजनगर थाना नरैनी जिला बांदा यूपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनते ही आरोपी ने जेब से पुड़िया निकाली और जहर खा लिया। यह देख सभी हक्का-बक्का रह गए। उसे पन्ना जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हालत को देखते हुए डॉक्टर ने आरोपी को संजय गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जहां 2 घंटे बाद उसकी मौत हो गई। लोगों के मन में यह रहस्य बना हुआ है की कोर्ट में जहर आखिर आया कहाँ से? क्या आरोपी पहले से ही आत्महत्या के इरादे से जहर लेकर आया था।

 

2017 में हुई थी हत्या

मृतक अनिल के पिता राम गोपाल शिवहरे बताते हैं कि पन्ना जनपद के धर्मपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भदैयां गांव के कल्लू द्विवेदी नाम के एक युवक की सन 2017 में हत्या हुई थी। जिसमें उनके बेटे अनिल शिवहरे सहित छह व्यक्ति नामजद आरोपी थे। इस प्रकरण में उन्होंने अपने बेटे की जमानत हाईकोर्ट से करवाई थी और वह जमानत पर था। सोमवार दिन 22 फरवरी को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पन्ना अनुराग द्विवेदी ने सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट का फैसला सुनते ही अनिल ने नशीले पदार्थ का सेवन कर लिया। पुलिसकर्मी उसे तुरंत एंबुलेंस बुलाकर जिला अस्पताल पन्ना ले गए। वह भी पुलिसकर्मियों से कहता रहा कि उसे भी बेटे के साथ जाना है लेकिन पुलिस ने उसकी एक भी नहीं सुनी। वह एंबुलेंस के पीछे-पीछे ऑटो बुककर अस्पताल पहुंचा जहां उसको पता चला की पन्ना जिला अस्पताल के डॉक्टर प्रदीप कुमार ने जांच के दौरान जहर खाने की पुष्टि की है।


पहले गलत सम्बन्ध में फंसाया फिर लगाया हत्या का आरोप

जब हमारी रिपोर्टर ने मृतक अनिल के पिता से ये बात जानना चाहा कि वह कल्लू को कैसे जानता था। तब उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के कटारा गांव निवासी बबलू नरैनी में छोटू सोनी के यहां आता जाता था और उनका लड़का भी छोटू सोनी के यहां आता जाता था। उन दोनों की वहां दोस्ती हो गई। और वह एक दूसरे को जानने लगे। उसी के साथ उनका लड़का भी कभी-कभार मछली वगैरह खाने पीने के चक्कर में चला जाता था। और उसकी भी कल्लू द्विवेदी से जान पहचान हो गई। कल्लू द्विवेदी की पहली पत्नी खत्म हो चुकी थी। इसलिए उसने दूसरी शादी शाहबाजपुर गांव के एक केवट बिरादरी के लड़की से की थी। जिसका संबंध बबलू से भी था। अब इस घटना को उस महिला और उन लोगों ने कैसे अंजाम दिया उसका कुछ पता नहीं, लेकिन कल्लू का शव बाघिन नदी में मिला था। जब पुलिस ने इस मामले की छानबीन की तो उसकी पत्नी कली बाई ने या उसके परिवार ने उसके बेटे अनिल शिवहरे,शेर मोहम्मद निवासी ग्राम मसानी थाना कालिंजर, बबलू निवासी कर्टरा, रामपाल केवट निवासी ग्राम गोपरा थाना कालिंजर को आरोपित बताया था। जबकि उसका लड़का कह रहा था कि उसको फर्जी फंसाया जा रहा है और तभी से यह केस चल रहा था।

पिता के साथ हुई नाइंसाफी

राम गोपाल शिवहरे का आरोप है कि उसके बेटे को वहां काफी देर तक रखा गया और जिला अस्पताल में ही नायब तहसीलदार ममता शर्मा और एसडीएम ने उनके बेटे का बयान लिया लेकिन उस समय उनको वहां पर नहीं जाने दिया कि आखिरकार बेटे ने बयान में बताया क्या है। इसके बाद रात में ही उसको रीवा मेडिकल कॉलेज के लिए भेज दिया गया। उनका यह भी कहना है कि अगर मेरे बेटे का बयान इलाज के बाद लिया जाता तो शायद मेरे बेटे की जान बच जाती। बेटे ने उनके पैर छूते हुए यह बात कही कि पापा सत्य की जीत नहीं होती असत्य की जीत होती है। वह उस केस में नहीं था लेकिन फिर भी फंसाया गया।

कोर्ट के अन्दर कहाँ से आया जहर

पिता का कहना है कि जहां पर कोर्ट के अंदर किसी भी चीज को ले जाना अलाउड नहीं है तो उसके बेटे के पास जहर कहाँ से आया? या ठीक से तलाशी नहीं ली गई या तो वहां का स्टाफ मिला हुआ था। इसलिए वह चाहते हैं कि उच्च अधिकारियों द्वारा पन्ना में तैनात अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुराग द्विवेदी की जांच कराई जाए और उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यवाही कर हटाया जाए। क्योंकि आज उसके बेटे ने इस तरह का कदम उठाया है कल के दिन अगर इसी तरह बिना तलाशी के लोग अंदर जाते गए और प्रशासन खड़ा नहीं रहा तो कभी भी और भी कोई उनका बेटा तो वापस नहीं आ सकता लेकिन इसमें कड़ी से कड़ी छानबीन हो और उनको न्याय मिले। और इसकी मांग वह लगातार करते रहेंगे।

 

रिपोर्टर-गीता
लेखिका- ललिता