खबर लहरिया ताजा खबरें जनता पर मंहगाई की मार क्या यही हैं अच्छे दिन? देखिये द कविता शो

जनता पर मंहगाई की मार क्या यही हैं अच्छे दिन? देखिये द कविता शो

नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपिसोड में आपका स्वागत है। तो दोस्तों संसद बजट सत्र के बाद अब पेट्रोल की कीमतें आसमान छूने को है। देश में लगातार पेट्रोल और डीज़ल के दाम तेज़ी से बढ़ रहे हैं। फिलहाल राजस्थान और मध्यप्रदेश में पेट्रोल 100 रूपये, मुंबई में 97 रूपये और राजधानी दिल्ली में 90 रूपये है। वहीं डीज़ल की कीमतें राजस्थान और मध्यप्रदेश में 90 रूपये, मुंबई में 88 रूपये और दिल्ली में 81 रूपये है। धीमे-धीमे ये बढ़ती कीमतें मध्यवर्गीय और किसान मजदूरों को मुश्किल में डाल दिया है।

द प्रिंट की 22 फरवरी की रिपोर्ट में कम्युनिटी प्लेटफार्म लोकल सर्कल्स द्वारा 291 जिलों का एक सर्वे रिपोर्ट पेश किया गया। जिसके अनुसार 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ( जिन्होंने शोध के सवालों का जवाब दिया) ने ईंधन की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपने खर्चों में कटौती की है। वहीं 21 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो आवश्यक चीज़ें जैसे प्याज, टमाटर,दालें,गेहूं और चावल आदि की कमी कर रहे हैं या उन्हें ज़्यादा खरीद नहीं रहे। बाकी के 14 प्रतिशत लोग मज़बूरन अपनी बचत का उपयोग ईंधन की ज़रुरत को पूरा करने के लिए कर रहे हैं।

डीजल पेट्रोल की बढती कीमते सिर्फ उन्ही लोगों को प्रभावित नहीं करती जिनके पास दो पहिया या चार पहिया वाहन है लेकिन उनको भी ये कीमते प्रभावित करती है जिनके पास वाहन नहीं है। क्योकि आयात निर्यात के जो भी सामाग्री आती है उसमें डीजल पेट्रोल का खर्च होता है और जब रेट तेल के बढ़ते है तो सीधे रोजमर्रे की सामन की कीमते भी बढ़ जाती है। जैसे पहले ससरो का तेल 80 रूपये से 100 रूपये किलो मिलता था। अब सरसों का तेल 150 रूपये का एक किलो मिलता है इसी तरह से दाल आटा और गैस के दाम भी बढ़ गये है। अब आप ही बताईये की एक तरफ किसी को सरकार न रोजगार दे रही है न ही नौकरी और हर चीज के दाम बढाती जा रही है ऐसे में लोग कैसे अपना खर्च चलायेगें।

सकार चुनाव के समय बोलती थी की अच्छे दिन आयेगें क्या यही अच्छे दिन है। सरकार के हिसाब से अगर अच्छे दिन की परिभाषा ये है तो बुरे दिन की क्या परिभाषा है। मै सोचती हूँ की हो सकता है इस महगाई से ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा जिनके आप सरकारी नौकरी है या फिर नम्बर दो का पैसा आता है, लेकिन इस महगाई से गरीब मजदूर वर्ग और किशानो की चैन की जिन्दगी छीन रहा है। आखिर सरकार को क्यों कोइ फर्क नहीं पड रहा है। जब विपछी की सरकार रही है तो भाजपा पार्टी गला पहाड़ पहाड़ कर चिल्लाती थी की महगाई आसमान छू रही है लेकिन अब जब बीजेपी सत्ता में तो इस महगाई को क्या नाम देगी। लोगों को परेशान करने के अलावा क्या ये सरकार आम जनता को सुख चैन की जिन्दगी दे पायेगी।

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