खबर लहरिया Hindi होंगी आंगनबाड़ी भर्तियां और बंटेगा सूखा राशन

होंगी आंगनबाड़ी भर्तियां और बंटेगा सूखा राशन

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 29 जनवरी 2021 को जारी शासनादेश प्रदेश भर में खाली पड़े आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पदों में नियुक्ति की जाएगी। साथ ही सूखा राशन वितरण में भी बदलाव हुआ है जिसका वितरण ग्रामीण क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से किया जाने का प्रावधान आया है। कुछ मिलाकर अब बाल एवं पुष्टाहार अनुभाग के दिन बहुरेंगे। इसके लिए एस. राधा चौहान, अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश ने जिले के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेज दिया है।

जिले में कुल लाभार्थी और कार्यकत्री

इस मामले पर अगर बांदा जिले की बात की जाए तो जिला कार्यक्रम अधिकारी इशरतजहां से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुल 1705 (ग्रामीण 1518 और शहरी 187) केंद्र हैं जिसमें 231 केंद्र रिक्त पड़े हैं। साथ ही सहायिका के कुल 1588 में 221 पद खाली हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में कुल बच्चे एक लाख नब्बे हजार पच्चीस, माताएं उनतीस हजार बीस और किशोरियां दो हजार पांच सौ बाइस है। कार्यकत्रियों के खाली पड़े पदों के कारण इतने लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने में उन कार्यकत्रियों को ज्यादा काम करना पड़ रहा है जो कार्यरत हैं।

 

 

 

 

 

 

क्या कहते हैं लाभार्थी और कार्यकत्री

रिपोर्टिंग करते समय मैंने पाया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से अपने विभाग और लोगों के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से शिकायत है। लोगों ने बताया कि कोरोना आने पर सुना है कि सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों में भी ज्यादा राशन सामाग्री भेजी है लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने उनको इसका लाभ सिर्फ एक बार वह भी गेहूं ही दिया है। जबकि इस मामले पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि उनको जब विभाग की तरफ से नहीं दिया गया तो कैसे और कहां से यह सामाग्री दें। लोगों को भरोसा नहीं है आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर, सोच रहे हैं सरकार ने दिया होगा लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ही हैं जो नहीं दे रही हैं। अब अगर सूखा राशन वितरण का नया मानक आया है और उनको मिलेगा तो वह लाभार्थियों को इसका लाभ पहुंचाएंगे।

साभार – खबर लहरिया

ड्राई राशन वितरण हेतु मानक संचालन प्रक्रिया

ड्राई मतलब सूखा राशन वितरण का काम ग्रामीण स्तर पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और शहर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ही करेंगी। नए मानक में गेहूं, चावल और दाल हर महीने दी जाएगी और तीन महीने में देशी घी व दूध दिया जाएगा। इसमें जो सबसे बड़ी कमी है कि तीन से छह साल वाले बच्चों को दूध और घी नहीं दिया जाएगा। सभी सामग्रियां उम्र के हिसाब से बच्चों, किशोरियों, धात्री और गर्भवती महिलाओं के हिसाब से देने का प्राविधान बनाया गया है।

नया मीनू और नई भर्तियां मिलकर करेंगे सुधार

आंगनबाड़ी केंद्रों में सूखा राशन वितरण की मानक प्रक्रिया और नए कार्यकर्ता मिलकर कुछ नया रूप तो लेंगे ही। उम्मीद दोनों तरफ से जगी है कि अब इस व्यवस्था में सुधार होगा। लाभार्थी भी लाभान्वित होंगे और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रति भरोसा भी।

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जो समस्याएं बहुत पहले से चली आ रही हैं उनमें बाल विकास एवं पुष्टाहार, उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आदेशित करके सुधार होने की संभावना जताई है। भले ही देर आये दुरुस्त आये वाली बात हो। कई तरह की समस्याएं हैं जैसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बहुत कम मानदेय मिलता है, काम बहुत ज्यादा होता है, सम्मान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। क्या सरकार कभी ऐसे मुद्दों में भी काम करेगी?

द्वारा लिखित – मीरा देवी