खबर लहरिया ताजा खबरें संसद में विहिप और आरएसएस द्वारा राम मंदिर निर्माण फैसले पर बनाया गया दबाव

संसद में विहिप और आरएसएस द्वारा राम मंदिर निर्माण फैसले पर बनाया गया दबाव

साभार: राजेश पदमार/ ट्विटर

इसी महीने से राम जन्मभूमि मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शुरू होने जा रही सुनवाई के पहले, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और आरएसएस द्वारा मंदिर का जल्द निर्माण सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया गया है।

आरएसएस के मुख्य मोहन भागवत ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि “राम मंदिर सर्वोच्च न्यायालय के लिए प्राथमिकता का विषय नहीं है” क्योंकि अयोध्या और नागपुर में वीएचपी बैठकों के वक्ताओं ने रविवार को अयोध्या मामले को जनवरी तक टालने के लिए अदालत की आलोचना की है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को जल्द से इस मामले पर फैसला लेने को भी कहा है।

नागपुर में विहिप की ‘हमकर सभा’ के दौरान भागवत ने कहा कि “यह स्पष्ट हो गया है कि राम मंदिर सर्वोच्च न्यायालय के लिए प्राथमिकता का विषय नहीं है।“ यह कहते हुए कि “हिंदुओं ने हमेशा कानून का पालन किया है और पर्याप्त धैर्य भी दिखाया है” । उन्होंने कहा “हालांकि कानून जरूरी है तो क्या समाज केवल कानून के आधार पर ही चलाया जाना चाहिए? क्या विश्वास और धर्म के मामलों के खिलाफ कोई प्रश्न उठाया जाना चाहिए?”

भागवत ने कहा कि अब “धैर्य” की सीमा पार हो गई है। “लगभग एक साल पहले, मैंने धैर्य रखो कहा था। आज मैं कहता हूं कि आइए सार्वजनिक जागरूकता की ओर बढ़ें, आन्दोलन निर्नायक हो। हमें इसके लिए पूरे हिंदू समाज का आयोजन करना चाहिए”।

भागवत ने समाज के लोगों को मोदी सरकार पर दबाव बनाते हुए, राम मंदिर के निर्माण को लेकर जल्द से फैसला लेने के लिए आग्रह किया है। उनका कहना है कि “कभी-कभी, इस तरह का दबाव सरकार को मजबूर कर सकता है”।जबकि भाजपा सरकार ने राम मंदिर के इस फैसले पर सीधा जवाब न देते हुए, ये बताया है कि ये मामला विश्वास का है, इसे राजनीतिक नहीं बनाया जाना चाहिए।

विहिप अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “सरकार को कानून बनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद भी सरकार अपना कानून बना सकती है, जैसे एससी / एसटी रोकथाम अधिनियम के मामले में भी देखा गया था। पिछली सरकारों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा शाह बानो और इंदिरा गांधी के आरोपों जैसे मामलों में भी ऐसा किया है” ।

विहिप का कहना है कि वे राम मंदिर के अलावा वहां की ज़मीन को किसी भी दूसरे कार्य के लिए मंजूरी नहीं देने देंगे। जिसके चलते उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड से मांग करी कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आदेशित विवादित भूमि के वितरण पर अपना मामला वापस लें। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सऊद चंपत राय ने कहा, “भूमि का वितरण हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है और हम भगवान राम के लिए पूरी ज़मीन चाहते हैं”। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदू विवादित भूमि के किसी भी हिस्से पर “नमाज़” को स्वीकार नहीं करेंगे।

आईएएनएस के अनुसार, लगभग 75,000 विहिप कार्यकर्ता रैली में शामिल हुए थे। स्थानीय मुस्लिम लोगों ने उन पर फूल भी बरसाए थे। मुस्लिम विवादी इकबाल अंसारी, जिन्होंने पहले विहिप कार्यक्रम के लिए अयोध्या में बढ़ती भीड़ को देख डर व्यक्त किया था, रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की गई व्यवस्था को सराहा है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नायक से मुलाकात की और अयोध्या में लोगों की बड़ी और गैरकानूनी सभा पर अपनी चिंता व्यक्त की थी।