खबर लहरिया Blog जानिए मध्यप्रदेश के खूसबूरत और मशहूर झरनों के बारे में

जानिए मध्यप्रदेश के खूसबूरत और मशहूर झरनों के बारे में

मध्यप्रदेश अपने ऐतिहासिक जगहों के साथ-साथ अपने नदी और झरनों के लिए भी काफ़ी जाना जाता है। आज हम आपको एमपी के कुछ बेहद ही खूबसूरत झरनों के बारे में बताएंगे, जिसकी सुंदरता की लाली आपकी आँखों में हमेशा के लिए समा जायेगी।

धुआंधार झरना

                                                                                                           धुआंधार झरना (फोटो साभार – गूगल)

1. धुआंधार जलप्रपात

धुआंधार जलप्रपात मध्यप्रदेश के जबलपुर से 30 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह झरना 98 फ़ीट की ऊंचाई से गिरता है। इसकी उत्पत्ति नर्मदा नदी से होती है। यह सफ़ेद संगमरमर की चट्टानों से होता हुआ निकलता है। जब यह किसी बड़ी धारा के साथ गिरता है तो इसके पानी में गिरने की आवाज़ काफी दूर तक सुनाई देती है। जहां यह झरना गिरता है, वहां धुंध सा बन जाता है। इसलिए इसे धुआंधार जलप्रपात कहा जाता है।

इस झरने को स्मोक कैस्केड भी कहा जाता है। अगर आप एक प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको एक बार इस झरने को ज़रूर ही देखना चाहिए।

स्थान: भेड़ाघाट, जबलपुर, मध्य प्रदेश से 30 किमी. दूर
घूमने के लिए सही समय: नवंबर से मार्च के बीच

2. रनेह झरना

रनेह झरना

रनेह झरना (फोटो साभार – गूगल)

रनेह झरना खजुराहो शहर से 22 कि.मी. की दूरी पर छतरपुर जि़ले में स्थित है। यह केन नदी पर बसा हुआ है। केन नदी 5 किमी. लम्बी और 30 मीटर चौड़ी घाटी बनाती है। यह घाटी क्रिस्टेलाइन ग्रेनाइट से बनी है। जिसमें गुलाबी, लाल और कभी धुमैला रंग दिखाई पड़ता है। अलग-अलग आकारों के कई सारे झरने इस घाटी में गिरते हैं। कुछ झरने ऐसे होते हैं जो सालभर गिरते हैं। कुछ गर्मियों में सूख जाते हैं। वहीं मानसून में ये झरने काफ़ी ज़ायदा धारा के साथ गिरते हैं।

रनेह झरना पन्ना राष्ट्रीय पार्क के पास बहता है। जंगलों की हरियाली और झरने का चमकदार पानी इस जगह को बहुत सुंदर बनाते हैं। यहाँ आने वाले लोग अपने साथ प्रकृति और सुंदर नज़ारों की यादें अपने साथ ले जा सकते हैं।

स्थान: रनेह झरना सड़क, ढोगुवन, मध्य प्रदेश- 471606
घूमने के लिए सही समय: जनवरी से मार्च, अक्टूबर से दिसंबर

3. पांडव फॉल्स

पांडव फॉल्स

पांडव फॉल्स (फोटो साभार – गूगल)

पन्ना से 14 किमी. दूर और खजुराहो से 34 किमी. की दूरी पर, पांडव जलप्रपात मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है। कहा जाता है कि यह झरना काफी शांत है।

पांडव जलप्रपात मध्यप्रदेश में केन नदी की एक सहायक नदी द्वारा गिराया गया बारहमासी यानी बारहों महीने गिरने वाला झरना है। गिरता हुआ झरना लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से एक दिल के आकार के तालाब में गिरता है। हरे-भरे जंगलों से घिरा ये झरना मानसून में अलग ही खूबसूरती बिखेरता है।

पांडव फॉल्स की शांति, पवित्रता और रहस्यपूर्ण वातावरण स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को ही अपनी तरफ आकर्षित करता है। माना जाता है कि महाभारत के पांडवों ने यहां आकर निवास किया था। इसलिए इसका नाम पांडव झरना रखा गया।

इस तरह से पहुंचे

वायु मार्ग – नज़दीकी हवाई अड्डा खजुराहो हवाई अड्डा है जो कि 22 किमी. की दूरी पर है।

ट्रेन द्वारा – नज़दीकी रेलवे स्टेशन खजुराहो रेलवे स्टेशन है। जो कि 22 किमी. की दूरी पर है। प्रमुख रेलवे जंक्शन सतना रेलवे जंक्शन है जो की 95 किमी. दूर है।

सड़क मार्ग- पन्ना टाइगर रिजर्व एनएच 39 पर स्थित है और प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

4. भूरा खॉन झरना

                                                                                                भूरा खॉन झरना ( फोटो साभार – गूगल)

भूरा खॉन झरना, माधव सागर झील के पास बसा हुआ है। यह शिवपुरी में स्थित तीन झरनों में से एक है। यह झरना जब 25 मीटर की ऊंचाई से गिरता है तो उसका नज़ारा देखते ही बनता है। हरियाली के बीच बसा ये झरना आत्मा को मानों तृप्त सा कर देता है।

साहसिक कार्यो में रूचि रखने वाले पर्यटक, इस झरने की गहराई तक गोता लगा सकते है। साथ ही आप यहां तैराकी का भी भरपूर मजा उठा सकते है। झरने के आसपास भगवान शिव की सुंदर मूर्तियां स्थित है। जो पानी की सुंदरता के साथ यहां के वातावरण को आध्‍यात्मिक रंग देने का काम करती है।

स्थान – शिवपुरी, मध्यप्रदेश-473551
जाने का सही समय – जुलाई से सितंबर के बीच

5. बहुती जलप्रपात

बहुती जलप्रपात

बहुती जलप्रपात (फोटो साभार – गूगल)

बहुती जलप्रपात मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है। यह सेलर नदी पर है क्योंकि यह मौहगंज की घाटी के किनारे से निकलकर बिहड़ नदी में मिलती है, जो तमसा या टोंस नदी की सहायक नदी है। यह चचाई जलप्रपात के पास है। इसकी ऊंचाई 198 मीटर (650 फीट) है। इसे “इंडियन नाइग्रा” भी कहा जाता है।

स्थान – रेवा, सुमिदा कलन, मध्यप्रदेश-486331
जान का समय – जुलाई से नवंबर तक

6. कपिलधारा जलप्रपात

कपिलधारा जलप्रपात

कपिलधारा जलप्रपात (फोटो साभार – गूगल)

यह मध्यप्रदेश के अमरकंटक से 6 से 7 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह नर्मदा नदी पर बसा हुआ पहला जलप्रपात है। यहां पर नर्मदा नदी एक ऊंची चट्टान से गिरती है। यह जलप्रपात करीब 100 फीट ऊंचा है। इसके चारों तरफ खूबसूरत जंगल है। प्रकृति की गोद में बसे इस झरने में आप स्नान करने का आनंद भी उठा सकते हैं। झरने के आस-पास घना जंगल है। जिसकी वजह से यहां काफी अलग-अलग प्रकार के पेड़ों और पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है।

कपिलधारा जलप्रपात का नाम कपिलधारा इसलिए रखा गया है, क्योंकि इस जलप्रपात के पास ही में कपिल मुनि का आश्रम था। वह यहां रहते थे। यहां पर तपस्या करते थे। कपिल मुनि ने यहां रहकर ही अनेक ग्रंथ की रचना की थी। इसलिए इस जलप्रपात का नाम कपिलधारा जलप्रपात रखा गया।

इस तरह से पहुंचे

अगर आप अमरकंटक ट्रेन से आते हैं, तो यहां पेंड्रा नाम का एक स्टेशन अमरकंटक के पास है। पेंड्रा रेल्वे स्टेशन अमरकंटक से 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। आप रेलवे स्टेशन से गाड़ी या टैक्सी के द्वारा कपिलधारा जलप्रपात पहुंच सकते हैं।

7. पातालपानी जलप्रपात

पातालपानी जलप्रपात

पातालपानी जलप्रपात (फोटो साभार – गूगल)

यह इंदौर जिले के महू तहसील में स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 300 मीटर है। ऐसा माना जाता है कि इस झरने के कुंड की गहराई अभी तक मापी नहीं गयी है और कुंड का पानी पाताल तक अपना सफर पूरा करता है। इसलिए इसका नाम पातालपानी रखा गया। इसे भारत के खरनाक झरनों में गिना जाता है।

इस झरने की ऊंचाई और इसका खत्म न होने वाला कुंड, लोगों को अपनी तरफ खींचने का काम करता है। आस-पास का इलाका काफी हरा-भरा है, जो प्रक्रति प्रेमियों के लिए काफ़ी ज़्यादा सुकून देने वाला दृश्य होता है। यहां आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं और रोमांच का भी मज़ा उठा सकते हैं।

इस तरह से पहुंचे

अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो पातालपानी रेलवे स्टेशन के ज़रिये आप आ यहां पहुँच सकते हैं। जो की इंदौर से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। यहां तक आने के लिए सड़कें भी मुख्य मार्गों से जुड़ी हुई हैं। जुलाई से अक्टूबर के बीच का महीना यहां आने के लिए सबसे बेहतर है।

तो यह थे मध्यपरेश के कुछ बेहद ही खूबसूरत झरने। प्रकृति, शांति और रोमांच से भरपूर यह झरने यात्रियों के घूमने के लिए सबसे उचित है। जो की मानसून के मौसम में अपनी सुंदरता की एक अलग ही झलक दिखाते हैं। साथ ही इनका अपना इतिहास, मान्यताएं और कहानियां, इन्हें लोगों से जोड़ने का काम काफ़ी बेहतर तरीके से करती है। फिर यहां आना न भूलियेगा।