खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड के मशहूर पराठें, जो हैं सस्ते और स्वादिष्ट

बुंदेलखंड के मशहूर पराठें, जो हैं सस्ते और स्वादिष्ट

खाने के शौक़ीन के लिए बुंदेलखंड के मशहूर पराठें, जो खाने में बेहद टेस्टी और जिसकी कीमत भी है कम।

अगर आप खाने के शौक़ीन है और आपको नया-नया ज़ायका लेना पंसद है तो आज हम आपको यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा जिले में लेकर जा रहे हैं। यहां के पराठे लोगों में बहुत मशहूर है। जो सस्ते होने के साथ देखने और खाने में भी बेहद ही स्वादिष्ट हैं। पराठों को देखकर आँखों को तो सुकून मिलता ही है वहीं दिल भी इस पराठे को खाकर भर जाता है। कहते हैं जो खाना लोगों के दिल तक पहुँचता है, लोग उसे कभी नहीं भूलते।

भाइयों के साथ पराठें के ठेले की करी शुरुआत

महोबा जिले के रहने वाले रोहित चौरसिया अपने भाइयों के साथ मिलकर पराठें का स्टॉल लगाते हैं। रोहित का कहना है कि वह लोग तीन भाई हैं। वह सभी लोग पहले मज़दूरी करते थे। कभी उन्हें मज़दूरी का काम मिलता था तो कभी नहीं मिलता था। उनके खाने तक के पैसे के जुगाड़ नहीं हो पाते थे। ऐसे में उन्होंने खुद का कोई काम शुरू करने का सोचा। लेकिन उनके मन में सवाल था कि आखिर वह कौन सा काम कर सकते हैं।

20 सालों से बना रहे हैं पराठे

सोचते-सोचते रोहित ने “बुंदेलखंड पराठा” नाम से स्टॉल शुरू करने का सोचा। इस समय रोहित की उम्र 45 साल है। वह तकरीबन 20 सालों से बुंदेलखंड पराठा बना रहे हैं। शुरुआत में लोगों की भीड़ नहीं थी। मुश्किल से दो-चार लोग उनके ठेले पर आते थें।

 

बुन्देलख्ण्ड का मशहूर पराठा

 

रोहित महोबा के परमानंद चौराहे पर अपने पराठे का ठेला लगाते हैं। शुरुआत में उन्होंने 2 रूपये के भी पराठे बेचे हैं। वक्त के साथ बढ़ती महंगाई को देखते हुए उन्होंने अपने पराठों के दाम भी बढ़ाये। फिर वह 15 रूपये के दो पराठे देने लगे। जब लोगों में उनके पराठों के बारे में चर्चा होने लगी तो उन्होंने 10 रूपये का एक पराठा कर दिया। वह पराठे के साथ सब्ज़ी और चटनी भी देते हैं। वह ग्राहक को एक जगह बैठा देते हैं और उन्हें गरमा-गर्म पराठें खाने के लिए परोसते हैं।

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बढ़ी कीमत को लेकर लोकल करते हैं शिकायत

रोहित चौरसिया ने बताया कि महंगाई की वजह से पहले और अब में बहुत बदलाव आ गया है। जब भी वह पराठे के दाम बढ़ाते हैं तो बाहरी लोग तो पराठें खरीद लेते हैं लेकिन स्थानीय लोग नहीं खरीदते। वह कहते हैं कि वह दो सालों से 10 रूपये का एक पराठा बेच रहे हैं। पराठा बनाने में आटा, तेल, आलू आदि चीज़ें लगती हैं। साथ ही वह 20 रूपये के दो पराठे के साथ सब्ज़ी और चटनी भी देते हैं फिर भी लोकल लोग बढ़ी कीमत को लेकर शिकायत करते हैं।

पराठें बनाने के लिए रोहित हर दिन 4 किलो आलू उबालते हैं और 5 किलो आटा लगता है। पराठे बनाने में रोज़ाना डेढ़ किलो तेल लगता है। वह बड़े-बड़े पराठें बनाते हैं। एक पराठा डेढ़ से दो सौ ग्राम तक का होता है। दो से ढाई पराठें खाने में ही लोगों का पूरा पेट भर जाता है।

पराठें खाने वाले ग्राहकों का अनुभव

छत्तरपुर जिले के रहने वाले शिवहरे कहते हैं कि जब भी वह मंडी में गल्ला ले जाते हैं या लातें हैं तो वह परमानंद के पराठें ज़रूर खाकर जाते हैं। शिवहरे ने कहा, “आज कल 20 रूपये में मिलता ही क्या है। परमानंद 20 रूपये में सब्ज़ी, सलाद और दो पराठे देते हैं। खाकर पेट भर जाता है। अगर अन्य दुकान में जाएं तो 20 रूपये में कुछ नहीं होगा। डेढ़ सौ से नीचे कुछ नहीं मिलेगा। हम लोग ड्राइवर आदमी है। डेढ़ सौ का खाना खा लिया तो बच्चों के लिए क्या बचाएंगे। तीन-चार सौ रूपये मज़दूरी मिलती है। इसलिए हमें महोबा के पराठे अच्छे लगते हैं जो सस्ते और खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं।”

 

पराठें का जायका उठाते हुए ग्राहक

 

बांदा के रहने वाले रोहित ने कहा कि, वह जब भी महोबा आते हैं तो वह पराठा खाकर ही जाते हैं।

बेलाताल के रहने वाले प्रताप ने बताया है कि “महोबा के जैसे पराठें कहीं नहीं बनते हैं। हमने बहुत जगह पराठा खाया है पर यहां जैसे टेस्टी पराठें कहीं नहीं बनते हैं।

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अन्य लोग भी लगाते हैं चौराहें पर पराठें के ठेले

राजू पराठे वाला ने बताया है कि वह भी लगभग 40 सालों से पराठें बना रहे हैं। चौराहे पर 10 से 15 ठेलियां पराठें की लगती हैं। सुबह 8 बजे से पराठा बनाना शुरू हो जाता है और शाम के 5 बजे तक पराठें बनते हैं। ज़्यादातर मज़दूरी करने वाले लोग ही उनके पराठे खाना पसंद करते हैं। शाम को ज़्यादातर भीड़ रहती है क्यूंकि उस समय ज़्यादातर मज़दूर काम करके घर की तरफ लौट रहे होते हैं या काम को जा रहे होते हैं। काम को जाने वाले मज़दूर उनके पराठे खाकर ही काम को जाते हैं।

जब हमने उनसे पराठे बनाने के तरीके के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि वह उबले हुए आलू में धनिया, मिर्च, गर्म मसाला, जीरा, सौंप आदि मिलाकर रख लेते हैं। आटें को एक भी एक दम मुलायम गूंद कर रखते हैं। जब भी ग्राहक आते हैं तो वह बेलसर पराठा बनाते हैं। वह पराठें पर खूब सारा तेल लगाते हैं और जब पराठा लाल हो जाता है तो वह फिर उसे ग्राहक को गर्मा-गर्म खाने के लिए परोसते हैं।

यह है बुंदेलखंड के पराठों की खासियत जिसे मज़दूर से लेकर कोई भी आम व्यक्ति खरीद सकता है। 20 रूपये में आपको खाने का पूरा आनंद मिलेगा और आपका पेट और मन दोनों ही टेस्टी पराठों से भर जायेगा। फिर ज़्यादा सोचिये मत, जब भी आप यहां आये तो बुंदेलखंड के मशहूर पराठें खाना मत भूलियेगा।

इस खबर की रिपोर्टिंग खबर लहरिया के लिए श्यामकली द्वारा की गयी है। 

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