जानिए यूपी के मशहूर पकवानों के बारे में।
अच्छे और लजीज खाने का शौक हर किसी को होता है।स्वाद के मामले में यूपी भी किसी से पीछे नहीं है यहाँ के कोने-कोने में एक से बढ़कर एक लजीज पकवान मिलते हैं। और इनका स्वाद भी ऐसा की मुंह में पानी आ जाये। तो आइये जानते हैं उनमें से कुछ पकवान के बारे में।
1-आगरा का पेठा![](data:image/svg+xml;base64,PHN2ZyB4bWxucz0iaHR0cDovL3d3dy53My5vcmcvMjAwMC9zdmciIHdpZHRoPSI1MTIiIGhlaWdodD0iNDY4IiB2aWV3Qm94PSIwIDAgNTEyIDQ2OCI+PHJlY3Qgd2lkdGg9IjEwMCUiIGhlaWdodD0iMTAwJSIgZmlsbD0iIzJlMzQzNiIvPjwvc3ZnPg==)
आगरा का ताजमहल तो पूरे देश में प्रसिद्ध है लेकिन इस शहर की एक और ख़ास पहचान है वह है पेठा। पेठा जितना मशहूर है उतना ही स्वादिष्ट भी। इसीलिए तो आगरा को ताज नगरी के अलावा पेठा नगरी भी कहा जाता है। जो भी पर्यटक आगरा जाता है बिना वहां की लजीज मिठाई पेठा लिए वापस नहीं लौटता। रंग-बिरंगी मिठाइयों का ऐसा ढेर जिसे देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। पेठा ऐसी मिठाई है जिसको हर कोई पसन्द करता है और ये अब हर छोटी दुकानों पर आसानी से मिल जाता है, लेकिन वह बात सबमें नहीं जो आगरा के पेठे में है।
कैसे बना पेठा आगरा की शान?
कहते हैं कि साल 1632 में जब ताज महल का निर्माण शुरू हुआ था उस समय भीषण गर्मी में करीब 20 हजार मजदूर पत्थकरों के बीच में काम करके बुरी तरह थक जाते थे।तब इससे निजात पाने के लिए पेठे की मदद ली गई थी। गर्मी में मजदूरों के लिए सस्तात और तुरंत एनर्जी देने की वजह से पेठा आगरा की शान बन गया। और जब ताजमहल का निर्माण साल 1653 में खत्म हो गया, तब पेठे के कारीगरों ने इसे अपना बिजनेस बना लिया और उसके बाद से ही पेठे की मिठास पूरे देश में फैल गई।
2- लखनऊ का टुंडे कवाब
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नॉनवेज खाने के शौक़ीन लोगों के लिए लखनऊ के टुंडे कवाब खाना किसी मन मांगी मुराद पूरा होने से कम नहीं है। सौ साल से ज्यादा पुराना लखनऊ शहर का टुंडे कवाब के स्वाद के आगे देश के बड़े-बड़े होटल्स के कवाब फीके पद जाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि देश-विदेश से नामी-गिरामी हस्तियाँ मुगलिया जायके की पहचान लखनऊ के टुंडे कवाब का स्वाद चखने के लिए आती हैं। इसलिए जब भी कभी लखनऊ जाये तो टुंडे कवाब का स्वाद चखना न भूलें।
टुंडे नाम पड़ने के पीछे की दिलचस्प कहानी
लखनऊ की मेरी एक फ्रेंड ने पूछा की क्या तुम जानती हो की इसका नाम टुंडे कवाब क्यों है? मैंने कहा नहीं! कवाब तो कवाब होता है वह हँसने लगी बोली असल में टुंडे उसे कहा जाता है जिसका हाथ न हो, रईस अहमद के वालिद हाजी मुराद अली पतंग उड़ाने के बहुत शौकीन थेl एक बार पतंग के चक्कर में उनका हाथ टूट गयाl बाद में उनका हाथ काटना पड़ाl टुंडे होने की वजह से जो उनके यहां कबाब खाने आते वो टुंडे के कबाब बोलने लगे और यहीं से नाम पड़ गया टुंडे कबाबl
3-जौनपुर की इमरती मिठाई
नाम सुनकर तो मुंह मीठा हो ही गया होगा? वैसे सुबह की शुरुवात मीठे से हो जाये तो क्या कहने और अगर मीठे में इमरती हो फिर तो चार चाँद लगना लाजमी हैl मीठे के शौक़ीन लोगों का तो दिन ही बन जाता है समझियेl वैसे तो इमरती किसी भी जगह की अच्छी लगती है लेकिन जौनपुर की इमरती विश्व प्रसिद्ध हैl जितना स्वाद इन इमरतियों में है उतना ही ख़ास इसका इतिहास भी हैl अब इतिहास तो आपको वहां जाने के बाद ही पता चलेगा लेकिन इसकी रेसिपी में मैं आपकी मदद कर सकती हूँl
इस इमरती को बनाने के लिए उड़द की दाल और देशी घी का उपयोग किया जाता हैl और ऐसा सुनने को मिला है की इसे बनाने के लिए स्पेशल चीनी बलिया से आती हैl इसके बाद लकड़ी के आंच पर इसे बनाया जाता हैl देशी घी और चीनी के कारण यह काफी मुलायम बनी रहती हैl बिना फ्रीज के ही इसे दस दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता हैl रसभरी और कुरकुरी मीठी इमरती को जलाबिया और जुलबिया नाम से भी जाना जाता हैl
4-बनारस की ब्लू लस्सी
बनारस तो घाट और मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है लेकिन यहाँ के पकवान की भी बहुत डिमांड होती हैl और आपने वह गाना तो सुना ही होगा “खइके पान बनारस वाला”? जी हाँ बनारस में पान मसहूर है यह तो सब जानते हैं लेकिन बनारस की लस्सी भी बहुत मसहूर है जो गर्मियों में घर-घर में पाई जाती हैl बनारस आये बिदेशी पर्यटक भी बनारसी लस्सी का स्वाद चखना नहीं भूलतेl
चौक इलाके के कचौड़ी गली में ब्लू लस्सी कॉर्नर नाम की एक लस्सी की दूकान है जहाँ आपको हर तरह की लस्सी आसानी से मिल जायेगीl केला, अनार और फलों के राजा आम की लस्सी भी यहाँ हर मौसम में मिलती हैl और यहाँ के मणिकर्णिका घाट के कचौड़ी गली में ही ब्लू लस्सी भी मिलती है वह भी 120 फ्लेवर में, जिसका स्वाद लाजवाब होता हैl
5- कानपुर के ठग्गू के लड्डू
‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं’ हाँ-हाँ यह उसी दूकान का साइन बोर्ड है जहाँ पर मिलते हैं कानपुर के ठग्गू के लड्डू। बात खानपान की हो और कानपुर का जिक्र न आए, यह कैसे हो सकता है? यहां के ‘ठग्गू के लड्डू’ और ‘बदनाम कुल्फी’ का स्वाद पूरे देश में मशहूर है। कहते हैं जितनी लोकप्रियता इस दुकान की है, उतना ही आकर्षक है इसका साइन बोर्ड। जिसपर लिखा है’ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं’ गाना आपने जरूर सुना होगा। आपको जानकार हैरानी होगी कि इसके बोल कानपुर के एक मशहूर लड्डू के दुकान की थीम से लिए गए हैं।
जिस भी पर्यटक को कानपुर से रूबरू होने का मौका मिला होगा, तो यहाँ के ‘ठग्गू के लड्डू’ का नाम सुना होगा। शुद्ध खोये, रवा और काजू के स्वादिष्ट लड्डू लाजवाब होते हैंl यह दुकान शहर का सबसे मशहूर दुकान है। यहां ‘ठग्गू के लड्डू’ के अलावा ‘बदनाम कुल्फी’ भी मिलती है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इसके स्वाद के दीवाने हैं।
वैसे आपको एक बात बताएं हम भी तरह-तरह के स्वादिष्ट खाने के बहुत ही शौक़ीन हैं। तभी तो तरह-तरह पकवान और मिठाई की डिश घूम-घूमकर आप तक पहुंचा रहे हैं। आप भी जाइए और चखिए इन व्यंजनों का स्वाद।
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