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आरक्षण जाति का या वोट का?

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक संवैधानिक संशोधन बिल के तहत सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत से अधिक आरक्षण प्रदान करने और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए अपने मंजूरी दे दी है। जिसमे से कई लोगों ने इसके प्रति अपना समर्थन जताया है तो कई ने नहीं भी। लोगों का कहना है कि इस आरक्षण के ज़रिये केवल बड़े लोगों को ही मदद मिलेगी छोटी जाति वाले लोगों को ये सुविधा प्राप्त नहीं कराई जाएगी। कई का ये भी कहना है कि आरक्षण प्रतिशत काफी काम रखा गया है। वहीँ किसी का ये भी कहना है कि मोदी जी को आरक्षण की बजाये नौकरियां प्राप्त करानी चाहिए थी जो उन्होंने अपने पांच साल की सत्ता में और भी घटा दी है।