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क्या हो रहा है? शहर का विकास या विनाश

मध्य प्रदेश| सतना एक बहुत ही बड़ा औद्योगिक क्षेत्र माना जाता है क्योंकि सतना में बहुत सारी सीमेंट की फैक्ट्रियां हैं बड़ी-बड़ी जिससे लोगों को रोजगार तो मिलता है और विकसित भी हुआ सतना लेकिन इसके साथ-साथ उन फैक्ट्रियों से निकलने वाला वायु प्रदूषण लोगों की जिंदगी को बहुत ही पूरी तरह से प्रभावित कर रहा है|

इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली जानकारी के हिसाब से वह लोग काफी काम कर रहे हैं जिससे इन 6 महीनों में प्रदूषण पर काफी काबू पाया गया है और लगातार उनका काम प्रदूषण रोकने के लिए जारी है, लेकिन फिर भी अभी काफी प्रदूषण फैला हुआ है|

यहां के लोगों का कहना है कि एक समय सतना बहुत ही छोटा शहर था लेकिन जब से यहां बिरला जैसी सीमेंट की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां हो गई तो सतना विकसित तो हुआ विकास में काफी आगे हो गया रोजगार भी मिला लेकिन इन फैक्ट्रियों ने सतना को प्रदूषण से पूरी तरह घेर लिया है क्योंकि जितनी भी फैक्ट्रियां हैं

खासकर के बिरला जो शहर से बिल्कुल लगी हुई है और बाकी फैक्ट्री बस्तियों से लगी हुई है जिसके कारण वायु प्रदूषण भारी मात्रा में है इससे लोगों को श्वास दमा और टीवी जैसी बहुत बडी बीमारियों का सामना करना पड़ता है|

लोगों का कहना है कि फैक्ट्रियां रहे लेकिन शहर और बस्तियों से कहीं दूर इनको जगह दी जाए क्योंकि इन फैक्ट्रियों से दिन-रात आवाजें आती हैं और धुआं और हवा से इनकी जो गर्दा है वह पूरे दिन उड़ती है जिससे लोगों के घरों में कपड़ों में फैल जाती है

पानी में फैल जाती है और यही सब चीजें लोग खाने-पीने में इस्तेमाल करते हैं जिससे बीमारियां होती हैं लेकिन उसके लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नाम के लिए है लेकिन काम कोई खास नहीं कर रहा उनका मानना है कि फैक्ट्रियों में ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे होना चाहिए

और बस्तियों और शहर से दूर होना चाहिए| फिलहाल रिपोर्टिंग के दौरान हमने भी देखा कि सतना में और जगह से बहुत ही ज्यादा पेड़ पौधे हैं और प्रदुषण माप के लिए भी हर विभाग अपने-अपने हथकंडे अपना रहा है|

इसके बावजूद भी सतना में बहुत ज्यादा प्रदूषण है और इसका मेन कारण है वहां की सीमेंट फैक्ट्रियां और उनसे निकलने वाला धुआं ट्रांसपोर्ट में जाने वाले सामान से उडने वाली धुल पूरी तरह सतना को गर्दा और धुएं से शहर को भरा रखता है|

लेकिन फैक्ट्रियों के आस-पास रहने वाले और काम करने वाले लोग इस बात को बताने में डरे सहमे समझ आ रहे हैं वह इस बात को नकार रहे हैं कि उनको कोई खतरा और प्रदूषण समझ आ रहा है उसका कारण है कि उनको दिन रात वहीं रहना है और वहीं पर काम करना है|

वहां के लोगों का यह भी कहना है कि इन फैक्ट्रियों के प्रदूषण के कारण आज सतना जैसी जगह में लोग जो 80 साल जीते हैं वह 50 साल की आयु में आ गए हैं लेकिन क्या करें उनके सामने मजबूरी है कि वह इस चीज को उजागर नहीं कर सकते क्योंकि उनके रोजगार का भी सवाल है

नहीं तो उन फैक्ट्री से निकलने वाला धुंआ और आवाज उनको पुरी तरह विकलांग बना रही है वायू प्रदुषणवायु प्रदुषण से होने वाली मौतों में भारत और चीन सबसे आगे के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण इतना ज्यादा है की अगर कोई किसी का मॉडल कर दे फिर भी आवाज के कारण किसी को समझ नहीं आएगा|

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अधिकारी सुधांशु का कहना है कि वह प्रदूषण पर काफी काम कर रहे हैं उनकी तीन टीमें है क्योंकि स्टाफ कम है इसके कारण उन्होंने तीन टीमें लगाई हुई है जो पूरे महीने काम करती हैं और हर चौराहे पर एक एक टीम काम करती है जो फैक्ट्रियों का दुआ है उसके लिए ऑनलाइन सिस्टम है

मापन का जिससे वह बराबर पता चलता रहता है वायु प्रदूषण मापने के लिए वह एक कागज का इस्तेमाल करते हैं और उसको वजन करके ले जाते हैं और जहां पर प्रदूषण की मात्रा समझ आती है वहां पर वह उसको चिपका देते हैं तो जितना भी प्रदूषण होता है

वह कागज उसको सोख लेता है उसके बाद फिर आकर वापस वजन करते हैं और उससे पता चलता है कि कितना प्रदूषण बढ़ा हुआ है इसी तरह ध्वनि प्रदूषण के लिए एक मशीन लगाते हैं जिससे पता चलता है साथ ही उन्होंने इन 6 महीनों में फैक्ट्रियों के बारे में बहुत ज्यादा नोट से भेजे हैं

और उनको अपने प्रदूषण को रोकने के लिए काफी कड़ाई से काम किया है जिसके कारण फैक्ट्रियों में भी बड़े-बड़े प्रदूषण यंत्र लगाए गए हैं रोकने के लिए उससे प्रदूषण में काफी कमी आई है और काफी पेड़ पौधे और ऊंची बंउड्ररिया भी हैं|