वैक्सीन से फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ यूके हाई कोर्ट में लगभग 51 मामले दर्ज हैं, जिसमें दावा किया गया है कि कोविड वैक्सीन के कारण मौत हुई है व कई लोग बीमार हुए हैं।
भारत और अन्य देश कोरोना वायरस से झूझ रहा था। इससे बचने के लिए भारत और अन्य देश में भी वैक्सीन लगवाई जा रही थी। अब वैक्सीन को लेकर यूके की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने स्वीकार कर लिया है कि वैक्सीन लगने से बहुत ही दुर्लभ मामलों में साइड इफ़ेक्ट (दुष्प्रभाव) हो सकते हैं। जिसमें प्लेटलेट की गिनती घटने और खून के थक्के जमने जैसी समस्याएं आ सकती है। इसकी जानकारी द टेलीग्राफ ने दी। भारत में इस वैक्सीन को हम कोविशील्ड (Covisheild) के नाम से जानते हैं।
कोरोना महामारी 2020 में शुरू हुई और इसका परिणाम बहुत-सी मौतों के रूप में सामने आया। इसके चलते देश भर में दहशत का माहौल हो गया था। वैक्सीन आने के बाद भी लोगों में डर था कि वैक्सीन लगवानी चाहिए की नहीं। ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरों में भी लोग इसे लेने से मना कर रहे थे। ऐसे में ये खबर घबरा देने वाली है और चर्चा का विषय बन गई है। वैक्सीन की कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अदालत में स्वीकार किया कि कोविशील्ड के साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं और इसके खिलाफ यूके में मामले भी दर्ज हैं।
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यूके हाई कोर्ट में लगभग 51 मामले दर्ज
वैक्सीन से फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ यूके हाई कोर्ट में लगभग 51 मामले दर्ज हैं, जिसमें दावा किया गया है कि कोविड वैक्सीन के कारण मौत हुई है व कई लोग बीमार हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ितों ने मुआवजे की मांग की है, जिसकी कीमत 100 मिलियन पाउंड तक होने की उम्मीद है।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि यूके में एस्ट्राजेनेका को इस दावे पर मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है कि उसके टीके के कारण दर्जनों मामलों में मौतें हुईं और गंभीर समस्या सामने आई हैं।
फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने गंभीर साइड इफेक्ट्स में टीटीएसआई (TTS) यानी थ्रोम्बोसिस के साथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम का जिक्र किया। कंपनी के कहा कि उसका टीका बहुत ही दुर्लभ (rare) मामलों में, टीटीएस का कारण बन सकता है।
2020 में कोरोना काल में वैक्सीन हुई थी विकसित
एस्ट्राज़ेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की मदद से 2020 में कोरोना महामारी के समय में AZD1222 वैक्सीन विकसित की थी। जिसका भारत में निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया गया था।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार वैक्सीन से जुड़ा पहला मामला 2023 में जेमी स्कॉट ने दर्ज किया था, जिन्हें अप्रैल 2021 में टीका लगाया गया था। एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन लेने के कुछ दिन बाद स्कॉट ने दावा किया कि खून के थक्के बनने और ब्रेन में ब्लीडिंग होने के कारण उन्हें परमानेंट ब्रेन इंजरी हुई।
अदालत में वकीलों ने तर्क दिया कि ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर एस्ट्राजेनेका फार्म कंपनी की बनी कोविड-19 की वैक्सीन के दुष्प्रभाव से कई परिवारों पर असर पड़ा है।
ऐसे तो एस्ट्राजेनेका ने अदालत में स्वीकार किया कि दुर्लभ साइड इफेक्ट संभव हैं, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से साफ़ नहीं हुआ कि टीके की वजह से ऐसा कुछ प्रभावी कोई इंजरी या मृत्यु हुई हो।
कंपनी का बयान
कंपनी ने कहा कि AZ वैक्सीन बहुत कम मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है लेकिन इसकी ठोस वजह अभी पता नहीं है। इसके अलावा टीटीएस AZ वैक्सीन (या किसी भी वैक्सीन) को न लेने से भी हो सकता है।
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