खबर लहरिया Blog Chitrakoot News: ई- रिक्शा पकड़े जाने से की आत्महत्या

Chitrakoot News: ई- रिक्शा पकड़े जाने से की आत्महत्या

जब पीटीओ दीप्ति त्रिपाठी ने फूलचंद जायसवाल का रिक्शा पकड़ा तब मृतक ने कहा था कि उसके कागज घर पर है बाद में दिखा देगा, पर पीटीओ दीप्ति त्रिपाठी ने उसकी बात नहीं मानी और उसका रिक्शा पकड़ कर थाने में बंद कर दिया। इस बात से दुखी होकर फूलचंद जायसवाल ने आत्महत्या का रास्ता चुना और खुद को फांसी लगा ली।

कर्वी, चित्रकूट के पुलिस थाने की सांकेतिक तस्वीर (फोटो – सोशल मीडिया)

लेखन – सुचित्रा 

यूपी के चित्रकूट में एक रिक्शा चालक का रिक्शा पकड़े जाने और 50000 रुपए न दे पाने की वजह से आत्महत्या का मामला सामने आया है। यह घटना कल बुधवार 6 मार्च 2025 की बताई जा रही है। शाम करीब 6 बजे मृतक फूलचंद जायसवाल स्टेशन रोड से आ रहा था तभी पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (पीटीओ) दीप्ति त्रिपाठी ने उसका ई-रिक्शा पकड़ लिया और कागजात मांगे। कागजात घर पर होने की वजह से वह मौके पर कागज नहीं दिखा सका। परिवार ने पीटीओ दीप्ति त्रिपाठी पर -रिक्शा को छुड़ाने के लिए 50 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फूलचंद जायसवाल जिनकी उम्र 45 साल की थी। चित्रकूट जिले की सदर कोतवाली कर्वी अंतर्गत नगर पालिका विस्तारित क्षेत्र शास्त्री नगर वार्ड के रहने वाले थे। उन्होंने अजय कुमार से पुराना ई रिक्शा खरीदा था और 40 हजार की नई बैटरी भी लगवाई थी। जब पीटीओ दीप्ति त्रिपाठी ने फूलचंद जायसवाल का रिक्शा पकड़ा तब मृतक ने कहा था कि उसके कागज घर पर है बाद में दिखा देगा, पर पीटीओ दीप्ति त्रिपाठी ने उसकी बात नहीं मानी और उसका रिक्शा पकड़ कर थाने में बंद कर दिया। इस बात से दुखी होकर फूलचंद जायसवाल ने आत्महत्या का रास्ता चुना और खुद को फांसी लगा ली।

कर्जा न चुका पाने से था तनाव

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक फूलचंद जायसवाल रिक्शा पकड़ जाने से बहुत परेशान हो गया था। उस पर कर्जा बाकी था और वह नहीं चुका पाया था। यह पहली बार नहीं था जब उसका रिक्शा पकड़ा गया, यह दूसरी बार था जब उसका रिक्शा पकड़ गया।

क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ने कहा जाँच जारी

एआरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) अधिकारी विवेक शुक्ला का कहना है कि यह मामला सोशल मीडिया में आने पर संज्ञान में आया है। इस घटना की जाँच होगी।

विभाग का कहना ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण नहीं

परिवहन विभाग ने जानकारी दी कि परिवहन विभाग में फूलचंद जायसवाल के नाम से कोई ई-रिक्शा पंजीकृत नहीं है और इस नाम से कोई डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) विभाग द्वारा जारी नहीं किया गया है।

इस तरह की घटना की इस बात का प्रमाण है कि किस तरह से आम आदमी को जुर्माने के नाम पर इतनी महंगी राशि मांगी जाती है। इस गहरे तनाव में आकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। रिक्शा उनके जीने का आधार था और उसी से उसका परिवार चलता था ऐसे में रिक्शे पकड़ा जाना आम आदमी के लिए बड़े दुःख की बात है। गरीब और आम आदमी की कोई सुनता भी नहीं। यदि ई रिक्शा की जगह कोई बड़ी कार को पकड़ा जाता तो खबर कुछ और ही होती और शायद किसी की मौत का कारण नहीं बनती।

 

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