खबर लहरिया औरतें काम पर बाँदा की पहली पत्रकार मृदुबाला श्रीवास्तव का निधन

बाँदा की पहली पत्रकार मृदुबाला श्रीवास्तव का निधन

क्या भारतीय पत्रकारों के व्हाट्सएप में लगा सेंधबांदा जिले की पहली महिला पत्रकार 82 वर्षीय मृदुबाला श्रीवास्तव का 17 नवम्बर 2019 की शाम 5 बजे देहांत हो गया। जिससे पत्रकारिता जगत समेत पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। मृदुबाला श्रीवास्तव बाँदा जिले के किरन कॉलेज चौराहे के पास रहती थी। आज सुबह 11 बजे उनकी शव यात्रा में शहर और क्षेत्र का हुजूम उमड़ पड़ा और नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

महिला पत्रकारों का सफ़र आज जितना कठिन है उससे कई गुना कठिन था मृदुबाला श्रीवास्तव के जमाने में। मृदुबाला श्रीवास्तव जी ने अमर नवींन, क्रांति कृष्णा, स्वतंत्र भारत लखनऊ और पायनियर लखनऊ टीम के साथ लम्बे समय तक काम कर चुकी हैं। इंग्लिश और समाज शास्त्र से डबल एम.ए किया है लेकिन नौकरी नहीं की क्योंकि उन्हें पत्रकार बनना था। लखनऊ में स्वतंत्र भारत अखबार की लगभग 17 साल मान्यता प्राप्त जिला रिपोर्टर रहीं।

मई 2018 में हमारे चैनल द्वारा लिये गये इंटरव्यू में मृदुबाला श्रीवास्तव जी ने बताया था जो सुनने में काफी दिलचस्प है। उन्होंने बताया- “एक बार हम मंदिर गये जहाँ कोई महिला पत्रकार नहीं थी। हम अन्दर गये तो वहाँ सबने बोला यहाँ कोई महिला पत्रकार नहीं है? तो हमने बोला हम हैं महिला पत्रकार। उसके बाद हमने अपने पति के खिलाफ (जो खुद एक पत्रकार है) भाषण दिया। मीसा एक्ट के तहत हम जेल भी गए क्योंकि आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा एक्ट) के तहत अपनी आवाज बुलंद की थी।”

मृदुबाला श्रीवास्तव जी ने पत्रकारिता के साथ साथ समाज सेवा को भी अपना मकसद बना लिया था। गरीबों की इज्जत और ध्यान देने के साथ उनकी हर तरह से मदद करती थी। लेकिन अफ़सोस की बाँदा जिले की महिला पत्रकार और इतना अच्छा काम करने के बाद भी इनके बारे में किसी ने भी नहीं लिखा। जब हम उनसे मिले तो उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणादायी बन गया। ऐसी पत्रकार और उनकी पत्रकारिता को हम सलाम करते हैं।