खबर लहरिया Blog बाँदा : नायब तहसीलदार, लेखपाल और कानूनगो के पद खाली होने से रुके कई काम, लोगों की बड़ी परेशानियां

बाँदा : नायब तहसीलदार, लेखपाल और कानूनगो के पद खाली होने से रुके कई काम, लोगों की बड़ी परेशानियां

बाँदा जिले में तहसीलदार, लेखपाल  और कानूनगो के पद खाली होने से लोगों की परेशानियों का नहीं हो रहा हल।

FARMERS WAITING FOR THEIR NUMBER

अपनी बारी का इंतज़ार करते किसान

बांदा जिले के अंतर्गत आने वाले नरैनी तहसील में तीन नायब तहसीलदार के पद, 65 लेखपाल के और 7 कानूनगो के पद मौजूद हैं। जिसमें से 30 लेखपाल और 1 कानूनगो हैं। बाकी के पद खाली हैं। जिसके चलते बहुत से काम अधूरे पड़े रहते हैं। किसानों और आम लोगों को कोई भी काम करवाने के लिए कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। जिसमें उनका पैसा भी खर्च होता है और काम का भी नुकसान होता है। इन पदों के खाली होने के कारण हकबंदी, दैवी आपदा, दाखिला, खारिज़ आदि जैसे बहुत से काम समय रहते नहीं हो पाते हैं।

पद खाली होने से होनी वाली परेशानियां

नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले बिल्हारका गांव के किसान रामकिशोर बताते हैं कि उन्होंने 4 साल पहले हकबंदी का मुकदमा दायर किया था क्योंकि उनकी लगभग 10 बीघे की ज़मीन दबी हुई है। मुकदमे में नाप का आदेश भी हो गया है,लेकिन तहसील में एक ही कानूनगो होने के कारण हर रोज़ उनको आश्वासन दिया जाता है पर नाप का काम नहीं होता।

उनका कहना है कि बिल्हरका गाँव से ब्लॉक तक आने में हर रोज़ आने-जाने का उनका लगभग 100 रूपये किराया लगता है। इसी के साथ घर के काम का भी नुकसान होता है। वह एक किसान है और उन्हें खेती से जुड़े बहुत सारे काम होते हैं। वहीं अन्ना जानवरों से किसानों की परेशानी तो किसी से छिपी नहीं है। इसलिए खेत में बीज डालने के बाद रखवाली सबसे ज़्यादा लगती है, जो वही लोग करते हैं।

खेत के नाप के लिए वह चार सालों में कई बार चक्कर काट चुके हैं। हर बार उनको आश्वासन ही दिया जाता है कि इस हफ़्ते नाप दिया जाएगा, अगले हफ़्ते नाप दिया जाएगा पर नापने का दिन कभी आया ही नहीं। उनका कहना है जितनी ज़मीन उनकी दबी हुई है उतने में अगर वह हर साल फसल उगाते तो कम से कम 50 हज़ार की फसल होती। लेकिन नाप न होने की वजह से उसका नुकसान हो रहा है। ऊपर से जो पैसा खर्च हो रहे हैं वह अलग। इसी वजह से वह बहुत ज़्यादा परेशान हैं। किसी तरह पैसा जुटा कर उन्होंने हकबंदी दायर की थी।

रामकिशोर ने बताया कि उनके गांव में सिर्फ वही एक ऐसे किसान नहीं है जिन्होंने हदबंदी दायर की है और वह नाप के लिए परेशान हैं। ऐसे लगभग 40 किसान हैं जिन्होंने हदबंदी दायर की है। वह भी 4 सालों से नाप करवाने के लिए कानूनगो के चक्कर काट रहे हैं। इन 4 सालों में उन्होंने लगभग 20 हज़ार रूपये खर्च कर दिए होंगे किराए-भाड़े में लेकिन खेत के नाप का काम फिर भी नहीं हुआ।

गोरे मऊ कला गांव के राधेश्याम ने बताया कि नरैनी में तीन नायब तहसीलदार की पोस्टिंग है। एक गिरवां, एक नरैनी और एक कालिंजर क्षेत्र में। इस समय तीनों नायब तहसीलदारों की जगह खाली है जिससे किसानों के हकबंदी के अलावा और भी बहुत सारे काम रुक जाते हैं। जैसे की दाखिल-खारिज ना समय से हो पाना या किसी चीज की जांच प्रक्रिया आदि। यह नायब तहसीलदार की जगह खाली होने और कर्मचारियों की कमी के कारण हो रहा है। यह जगह अभी से नहीं बल्कि कई महीनों से खाली पड़ी है लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा है।

खाली पदों को लेकर नरैनी के एसडीएम का क्या है कहना?

SDM VANDITA SRISHVASTAV

                                                      एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव

खबर लहरिया ने इस मामले में नरैनी की एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने बताया कि वह कोशिश तो करती हैं लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण बहुत सारे काम अधूरे पड़े हुए हैं। वह बताती हैं कि नरैनी में 65 लेखपालों की पोस्टिंग है जिसमें से 30 लेखपाल हैं और बाकी की जगह खाली है। वहीं 7 क्षेत्रीय कानूनगो है लेकिन 7 में सिर्फ एक ही कानूनगो वर्तमान में तैनात है और 6 की जगह खाली है। नायब तहसीलदार तो बिल्कुल ही नहीं है।

उन्होंने यह भी बताया कि एक कानूनगो को ऑफिस में बैठकर भी बहुत सारे काम होते हैं इसलिए वह क्षेत्र नहीं जा पाते। सबसे ज़्यादा दिक्कत हकबंदी वाले मामलों की होती है। जिनके नाप के आदेश आ गए हैं। लेकिन कानूनगो की कमी की वजह से वह क्षेत्र में पहुंच नहीं पाते इसलिए वह उनकी गलती भी नहीं कह सकतीं।

एक-एक लेखपाल को कई-कई क्षेत्र मिले हुए हैं इसलिए भी समय से काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने इसके लिए डीएम से भी बात रखी है कि यहां की जो जगह खाली हैं उनके लिए क्या होना चाहिए। लेकिन वहां से भी उन्हें अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। वह बताती हैं कि यह सिर्फ उनके तहसील की बात नहीं है। जिले में भी कर्मचारियों की कमी है तो वह क्या कर सकती हैं। वह कहती हैं कि अब यह तो जिले से ही हो सकता है। वह तो किसी की पोस्टिंग कर नहीं सकती फिलहाल किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

हमने इस मामले में कानूनगो से भी बात करने की कोशिश की लेकिन वह मौके पर नहीं मिले। कानूनगो के पास बैठने बाले मुंशी ने हमें बताया कि अकेले काम करने में बहुत दिक्कतें आती हैं, बहुत प्रेशर होता है क्योंकि ऑफिस का काम भी देखना होता है। वहीं अचानक से कोई मामला आ जाए तो उसमें दौड़ना भी पड़ता है। मुंशी ने बताया कि लगभग 190 गांव है नरैनी तहसील के अंदर। जहां पर कानूनगो को देखना पड़ता है। अब अकेले कानूनगो किस-किस तरह से काम को निपटा रहे हैं और इतने गांव देख रहे हैं यह वही जानते हैं।

एसडीएम द्वारा कहा गया कि परेशानी जिले स्तर से है। जब तक जिला प्रशासन कुछ नहीं करती, परेशानियां का निपटारा नहीं हो सकता। पदों का खाली पड़े रहना बड़ी समस्या है जिसे नकारा नहीं जा सकता। फिर जिला प्रशासन द्वारा पदों पर लोगों की भर्ती क्यों नहीं की जा रही? क्या वह चीज़ों की अनदेखी कर रही है ?

इस  खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

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