खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड के त्यौहारों की एक झलक | Editorial Brief

बुंदेलखंड के त्यौहारों की एक झलक | Editorial Brief

दीपावली का त्यौहार खुशियाँ लेकर हर साल आता है। वैसे एक के बाद एक त्यौहार का सिलसिला सावन के महीने से शुरू हो जाता है और यह चैत्र, नवरात्रि तक चलता रहता है। जैसे रक्षाबंधन, शरद नवरात्रि, दशहरा, दीपावली जैसे बड़े-बड़े पर्वो में खूब रौनक रहती है वैसे छोटे त्यौहार भी कम नहीं। ये त्यौहार आते हैं और अपने साथ-साथ महिलाओं के लिए भारी-भरकम काम भी लेकर आते हैं।

रक्षाबंधन

 

रक्षाबंधन का त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इसलिए इसे ‘राखी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का उत्सव है। माना जाता है कि भाई बहन की रक्षा करने का वचन देता है लेकिन आज स्थिति ऐसी बन गई है कि भाई ही रक्षक की जगह भक्षक बन जाते हैं। अगर ऐसा न होता तो आज हर रोज महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रही हिंसा, घटनाओं का ग्राफ हर रोज बढ़ता न जाता। अगर हर साल भाई राखी बंधवाना चाहते हैं तो बढ़ती हुई घटनाओं को कम करने के लिए आगे आना होगा ताकि ऐसी हिंसात्मक घटनाओं को कम किया जा सके।

नवरात्रि

यह त्योहार साल में दो बार क्वार और चैत्र में लगातार नौ दिन मनाया जाता है। इसे ‘शरद नवरात्रि’ और ‘चैत्र नवरात्रि’ के नाम से जानते हैं। इस त्यौहार की रौनक शरद नवरात्रि में ज़्यादा देखने को मिलती है। मूर्ति बैठाई जाती हैं और खूब पूजा-पाठ होता है। इस त्यौहार के आने का इंतजार लोग साल भर करते हैं। ज्वारा बोते हैं।

दशहरा

 

पूरे भारत में दशहरा के पर्व को बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद, यह किसी भी तरह से इस त्योहार के उत्साह को प्रभावित नहीं करती है। दशहरा/विजयदशमी के पूरे त्योहार में सभी का उत्साह और जोश एक समान रहता है। दशहरे का त्योहार लगातार कई दोनों तक चलता रहता है।

दीवाली पर महिलाओं के लिए काम

 

साफ सफाई और पकवान – जैसे ही बारिश खत्म होती है और दिवाली आने वाली होती है तो महिलाओं के लिए काम 90 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ जाता है। घर की साफ-सफाई से लेकर रंग-रोगन तक। अगर कच्चे घर हुए तो उनको मिट्टी से छापना लीपना पोताना, घर के सारे कपड़े धोना आदि काम हो जाते हैं। ऊपर से खूब सारे व्यंजन बनाना होता है। यह व्यंजन सिर्फ घर के लिए ही नहीं होते। पड़ोसी, रिश्तेदार और मेहमानों के लिए साथ हफ्ते -पन्द्रह दिन तक कुछ सूखे पकवान बनाकर रखे जाते हैं। यह समय के साथ बदल गया है।
वरना पहले दीपावली के समय लोग चने की दाल, चावल और बेली (गेहूं की रोटी बेल के बनाई गई हो) जोरिन्दा (दो परत के पराठे जो तवे पर सिंके गए हों) बनता था। मीठे में लाई के लड्डू बनते थे। गन्ना चूसना मुख्य माना जाता था।

दीपोत्सव और पटाखे

दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है। दिवाली भारत का सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ा त्यौहार है। इस अवसर पर मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते है। बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं। भारत में सार्वजनिक अवकाश मनाया जाता है और लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं। यह हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे सभी धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिल-जुलकर मनाते हैं।

गोवर्धन पूजा

 

गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कई तरह की चीजें पकाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती हैं।
गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, नैवेद्य, दीप फूल और फल आदि चढ़ाए जाते हैं।
इस दिन गोबर से गोवर्धन जी को लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाया जाता है। नाभि की जगह पर मिट्टी का दीया रखा जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद और बताशे आदि डाले जाते हैं। फिर इसे बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है। इस मौके पर मशीनों और कारखानों की पूजा की जाती है।

इस फोटो फीचर को मीरा देवी द्वारा लिखा व ग्राफ़िक्स ज्योत्सना द्वारा बनाये गए हैं। 

 

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