खबर लहरिया बाँदा विकास योजना के बाद भी विकास अधूरा!

विकास योजना के बाद भी विकास अधूरा!

Exif_JPEG_420जिला बांदा। 2012-13 से लेकर 2015-16 तक जिले में 105 गांव ‘राममनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना’ के तहत चुने गये थे। योजना का साल भर पूरा हो चुका है लेकिन गांव में विकास के नाम पर कुछ नही हुआ।
2016-17 के लिए भी 28 गांव चुने गये हैं। लेकिन किसी आम गांव में और इस योजना के तहत चुने गये गांवों के विकास कार्यो को देखते हुए कोई अंतर नजर नहीं आता। जैसे- नरैनी ब्लॉक, गांव पुकारी। यह गांव 2014-15 में राममनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के तहत चुना गया था। साथ ही 2015-16 में सी.ड़ी.ओ. ने इस गांव को गोद लेकर कुपोषण पर विशेष काम करने की शुरुआत की लेकिन फिर भी गांव का विकास कार्य अधूरा है।
ग्राम प्रधान सचिव पीतम सिंह ने बताया कि समाजवादी पेंशन 302, वृद्ध पेंशन 227, विकलांग पेंशन 28 और विधवा पेंशन चालिस है। गांव में कुल 11 लोहिया और 65 इन्द्रा आवास बने हैं। कुल 295 शौचालय बनाये गये। सी.सी खड़ंजा निर्माण 980 मीटर और नाली निर्माण भी 980 मीटर किया गया। गांव में 71 हैंडपंप चालू हालत में हैं। सोलर लाइट कुल 22 हैं। जॉब कार्ड धारक 653 हैं। कुल आबादी 3852 है जिसमें दलितों की संख्या 546 है। गांव में 15 वार्ड हैं।
सी.डी.ओ राजकुमार कहते है कि 2012-13 से 2016-17 तक में 133 गांव इस योजना के तहत चुने जा चुके हैं। इन गांवों में संर्पक मार्ग, सीसी सड़क, बिजली, लोहिया और इंदिरा आवास, शौचालय, पानी, शिक्षा और आंगनबाड़ी जैसे 36 योजनाओं पर काम होता है। इसके लिए हर विभाग अपना अलग-अलग सर्वे करता हैं और जरूरत के हिसाब से उन गांवो में विकास कार्य कराया जाता है। इसमे साल का समय गांव को योजनाओं के तहत लेने के लिए रखा जाता है पर जो काम पूरे नहीं हो पाते उनको आगे पूरा कराया जाता है। बजट अलग-अलग विभागों से आता है। इसलिए एक विभाग से सही आंकड़ा पता नहीं चलेगा। बिजली के लिए इंडिया कम्पनी गाजियाबाद ने ठेका लिया है। जिसमें 1700 सौ गांव है। पर अभी लगभग 200 सौ गांव में काम हो पाया है बाकी का चल रहा है।
इसी सम्बंध में वार्ड नम्बर तीन के रहने वाले इमामुदीन का कहना है कि उसने प्रधान से आवास और शौचालय की मांग की थी लेकिन प्रधान ने मुझे आवास नहीं दिया. प्रधान गिलइयां इस पर कहते हैं कि लगभग 60 प्रतिशत पात्र लोग आवास पाने से रह गये हैं।
रामा श्यामाबाई कहती हैं कि उनके मोहल्ले का हैंडपंप खराब है। प्रधान ने नहीं बनवाया है। प्रधान ने किसी को एक भी शौचालय नहीं दिया और किसी को दो शौचालय दे दिए हैं। जैसे जमालुद्दीन के नाम शौचालय मिल चुका है। अब उसके बेटे अमालुदीन के नाम शौचालय दिया गया है।
दूर ग्राम पंचायत के मजरों अकेलवा, धोबिन पुरवा, केला का पुरवा और पथरा में बिजली नहीं है।
प्रधान के बताने के हिसाब से कुल 653 जांब कार्ड धारको में से 22 लोगो ने साल भर काम किया लेकिन 16 जॉब कार्ड धारकों को सौ दिन काम मिला।
इस तरह नसेनी गांव को भी 2015-16 में राममनोहर लोहिया समग्र ग्राम के तहत चुना गया था यहाँ भी अधूरे काम फैले पड़े हैं और लोग परेशान हैं।
प्रेमा कहती है कि मेरा इंदिरा आवास चेक पिछले साल सावन के महीने में आया था। 35 हजार की एक किस्त मिली है जिसमें से 5 हजार प्रधान ने लिया था और 30 हजार मुझे मिला था। उसमें छत के लिन्टर तक भी आवास नहीं बन पाया तब मैंने अपनी दूध देती भैंस बेच कर लेन्टर तक काम पूरा कराया है। अभी दूसरी किस्त का पैसा नहीं मिला है।

रिपोर्टर – गीता