खबर लहरिया खाना खज़ाना महिला भी किसान है

महिला भी किसान है

किसान कौन हो सकता है? वो जो हल जोतता हो। और जिसके नाम पर जमीन हो। क्या आपने कभी किसी औरत को हल चलाते हुए देखा है? शायद नहीं. लेकिन क्यूँ? उत्तर भारत में माना जाता है कि औरत के हल जोतने से सूखा पड़ सकता है। और मान लो सूखा पड़ गया तो चाहे कोई सबूत हो न हो, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में औरतों को नंगा कर के रात में हल जोतने को कहा जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से देवता शर्मिंदा होकर बारिश कराएंगे। ऐसे रिवाजों के पीछे भेद भाव के अलावा क्या कारण हो सकता है? आज इस भेद भाव को चुनौती कुछ औरतों ने दी है जो इन रीती रिवाजों को तोड़कर औरतों की पहचान किसान के रूप में बना रही हैं।

राजस्थान के कोटा जिले में रिप्पी और

करमवीर अपनी ज़मीन को ट्रैक्टर से जोतती
हैं। अनाज बेचने मंडी भी खुद जाती हैं। पिता
की मौत के बाद उनकी अस्सी बीघा ज़मीन
पर काम करने वाला कोई नहीं था। तीस
साल की रिप्पी और चैबीस साल की करमवीर
ने जब इस ज़मीन पर हल जोतना शुरू
किया तो गांव वाले चैंक गए। मंडी में भी
रात भर अनाज की रखवाली करते समय
शराबी आदमियों से पाला पड़ता। दोनों बहनों
ने दरखास्त दी, प्रशासन और मंडी के आदमियों
के साथ संघर्ष किया और इसके बाद दोनों ने
फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की
लल्ला देवी हल जोतती हैं। पति की मौत
के बाद खेत में काम करने वाला कोई नहीं
था। गांव वालों के डर से वो रात को हल
चलाती थीं। आरोह नाम की संस्था ने
उन्हें बघवा दिया। धीरे धीरे लल्ला ने हल
दिन में जोतना शुरू करा और अपने खेत
में अनेकों अनाज सब्जी उगाईं। उन्हें देखकर
गंाव की दूसरी औरतों का भी हौसला
बढ़ा। न तो लल्ला के गांव में सूखा पड़ा
और न ही किसी का नुकसान हुआ। हां
लल्ला को किसान का दर्जा ज़रूर मिला।mahila kisaan 3mahila kisaan 1mahila kisaan 2