जिला किशनगंज, बिहार। भले ही भाजपा वाले नरेंद्र मोदी की लहर होने का दावा कर रहे हों। लेकिन किशनगंज में यही लहर भाजपा के उम्मीदवार दिलीप जयसवाल के लिए मुसीबत बन गई है। दिलीप जयसवाल की खुद की छवि जि़ले में काफी अच्छी है। लेकिन लोग इस बात से डरे हुए हैं कि अगर इन्हें वोट देंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनेंगे। यहां कुल चैदह लाख तेरह हजार वोटरों में से दस लाख वोटर मुस्लिम है। मोदी की छवि सांप्रदायिक यानी मुस्लिम विरोधी है। इन्हें वोट दें या नहीं। दूसरी तरफ अब लालू की पार्टी आरजेडी को छोड़कर नीतीश की पार्टी जेडीयू में आए और अख्तरुल इमान ने 15 अप्रैल को नीतीश का भी साथ छोड़ दिया।
इन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किशनगंज सीट से लोकसभा टिकट दिया था। यहां मुस्लिम आबादी ज्या़दा होने के कारण हर पार्टी को मुस्लिम उम्मीदवार की खोज रहती है। इसी कारण से असरारुल हक का पार्टी छोड़ना नीतीश और लालू दोनों के लिए बड़ा झटका है। 15 अप्रैल को अख़्तरुल ने यह कहते हुए नीतीश का साथ छोड़ दिया कि मेरा मकसद नरेंद्र मोदी को हराना है। इसके लिए वोटों को बंटने से रोकना पड़ेगा।
अख़्तारुल का कहना था कि अगर वह वहां से चुनाव लड़ेंगे तो कांग्रेस के उम्मीदवार मौलाना असरारुल हक के वोट बंट जाएंगे। क्योंकि खुद और असरारुल हक़ भी मुस्लिम हैं। उन्होंने साफ कहा कांग्रेस को जिताने के लिए ही उन्होेंने ऐसा किया है। यहां महिलाओं और बच्चों की तस्करी मुख्य मुद्दा है। शिक्षा और बेरोज़गारी में बेहद पिछड़ा होने के कारण गरीबी पूरे बिहार के मुकाबले ज़्यादा है। यहां चैबीस अप्रैल को वोटिंग है।
भाजपा से ज्य़ादा मोदी के खिलाफ लोग
पिछला लेख