खबर लहरिया चित्रकूट बांध बनै से का फायदा

बांध बनै से का फायदा

रसिन बांध

रसिन बांध

बांध से हवैं बेहाल

बांध से हवैं बेहाल

जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी, गांव रसिन। हिंया का देवषरण कहिस कि लगभग पांच बरस पहिले रसिन बांध बना रहै। बांध बनै मा सैकड़न मड़इन के सिंचित जमीन लइ लीन गे हवै। जमीन, पेड़ अउर घरन का सरकार मुआवजा नहीं दिहिस। मड़इन के जमीन जाये से उंई बनी मजूरी करत हवै। सरकार बांध बना के हमरे पेट मा लात मार दिहिस हवै। अब मजूरी करत हौं, पै वा भी रोजै नहीं लागत आय मुआवजा लें खातिर हर महीना धरना धरत तौ कत्तौ डी.एम., ए.डी.एम से कहा जात हवै, पै कउनौ सुनवाई नहीं भे आय।
डी.एम बलकार सिंह से खबर लहरिया पत्रकार बात करिन-“ उंई कहिन कि मुआवजा खातिर सरकार के लगे से रूपिया आई तौ मड़इन का मुआवजा दीन जई।”
रसिन गांव के राजकिषोर का कहब हवै कि बारह बीघा जमीन बांध मा चली गे हवै। अपने जमीन मा अरहर अउर गेहूं बोवत रहौं। सरकार एक बीघा जमीन का साढ़े बाइस हजार रूपिया मुआवजा दिहिस हवै। ग्यारह बीघा जमीन का मुआवजा नहीं मिला आय। मोरे जइसे सैकड़न किसानन के जमीन बांध मा चली गें हवै। कैरा प्रसाद अउर रामपाल का कहब हवै – “बांध बनै से रात दिन डेर बना रहत हवै कि कत्तौ बाढ़ न आ जाये। सरकार या सोच के बांध बनवाइस रहै कि मड़इन का सिंचाई के सुविधा होइ। बांध बनै से पानी का बचा के रखा जई, पै यहिसे कउनौ फायदा नही आय।”
यहिनतान दूसर खबर जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव रैपुरा के हवै। हिंया बीस बरस पहिले गुन्ता बांध बना रहै। वहिमा लगभग आठ गांवन के मड़इन के जमीन गई हवै। वा बांध एक हजार बीघा जमीन मा बना हवै। मुआवजा के मांग कइयौ दरकी डी.एम. अउर सिंचाई विभाग मा करिन, पै पूर जमीन का मुआवजा नहीं मिला। लौढि़या बटखरा गांव के रामकृपाल, जगत पाल का कहब हवै-” हमार गौहारा पाही पुरवा मा जमीन रहै। हमार जमीन जाये से आपन घर अउर जमीन चली गई हवै।” रैपुरा गांव के सुरेश, प्रेमचन्द्र अउर संतोष का कहब हवै कि एक सौ दस बीघा जमीन रहै। वहौ चली गे। कुल एक लाख छत्तिस हजार रूपिया मुआवजा मिला हवै।

 

बारिस से गिरेंगे घर

जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी गांव खोह। हिंया निहाई दाई का पहाड़ हवै। वा पहाड़ के लगे कइयौ पीढ़ी से मड़ई अपन घर बना के रहत हवैं। हर बरस पहाड़ से बरसात का पानी मड़इन के घरन के भीतर आवत हवै।
हिंया के समखा अउर रज्जन समेत दस लोगन का कहब हवै कि अपने घर पत्थर के दिवार से बनाये हन। तबहूं पानी आवत हवै। कइयौ दरकी प्रधान रचना देवी से कहे हन कि हमका मुआवजा मिलै।
प्रधान रचना देवी के मनसवा विजय शंकर का कहब हवै कि लेखपाल का सूचना दीने हौं। जांच के बाद मुआवजा मिली।