खबर लहरिया बाँदा निकरैं का मजबूर मड़ई

निकरैं का मजबूर मड़ई

स्टेशन जाय का है यहै एक रास्ता

स्टेशन जाय का है यहै एक रास्ता

हेंया के कइयौ मड़ई बताइन कि सात साल से पांच सौ मीटर तक नाली नहीं बनी आय। यहिसे स्टेशन जाय वाली रास्ता मा पानी भर जात है, पै प्रधान लालचन्द्र ध्यान नहीं देत आय। वार्ड नम्बर आठ के रास्ता एक साल से बरसात के चार महीना दल-दल अउर कांदौ कीचड़ से भरा रहत है। यहिसे रास्ता बनैं के मांग करत है।
बदौसा स्टेशन प्रबन्धक आर.के. यादव का कहब है कि नाली खराब होय से दुकान अउर होटल का पानी बीच सड़क से पानी फइलत है अउर स्टेशन मा भर जात है। या रास्ता से गुजरैं वाले मड़इन का स्टेशन पहुंचब मुश्किल परत है। होटल से निकरा पानी बहुतै गन्धात है। ईश्वरी प्रसाद, मनीष गुप्ता अउर हरी कहत है कि बारह महीना या रास्ता मा पानी भरा रहत है। प्रधान से कहै तौ वा कहैं लागत बनवा देहूं। इनतान कहत-कहत आपन कार्यकाल के दुई साल गुजार दिहिस, पै नाली नहीं बवाइस आय। कस्बा के मातादीन, शकील अली कहत हैं कि हमरे मोहल्ला मा दल-दल अउर गन्दगी के कारन बहुतै मच्छर लागत है अउर निकरब मुश्किल है। साधन भी दुआरे तक नहीं आ पावत आय। छोट-छोट बच्चा या रास्ता से निकरत है तौ कांदौ मा घुस जात हैं। संदीप अउर सुमित्रा कहत हैं कि या पांच सौ मीटर के रास्ता है, पै प्रधान का कउनौ ध्यान निहाय। अगर अपने दुआर मा इनतान का दल-दल होत है। प्रधान का निकरैं का परत तौ होई सकत रहै कि वा रास्ता बन जात।
प्रधान संतोष सेंगर का कहब है कि पांच सौ मीटर रास्ता बनै के मांग ब्लाक मा करे हौं,पै जबै बजट अई तौ बनवा दीन जई।
प्रधान लाल चन्द्र का कहब है कि वा रोड ऊंची है। स्टेशन खाली मा है। दुकान का पानी रास्ता मा भर जात है। पानी बहैं खातिर जघा निहाय तौ कसत नाली बनी।