खबर लहरिया ताजा खबरें ट्रेन से हुई मौतों में 2016-17 बीते एक दशक का सबसे बुरा साल रहा है

ट्रेन से हुई मौतों में 2016-17 बीते एक दशक का सबसे बुरा साल रहा है

ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से पिछले वित्त वर्ष (2016-17) के दौरान मारे गए लोगों का आंकड़ा बीते एक दशक में सबसे ज्यादा रहा है। केंद्र सरकार ने इस साल मार्च और अगस्त में राज्यसभा को दिए गए एक जवाब में रेल हादसों से जुड़े आंकड़े पेश किए थे।
इंडियास्पेंड डॉट कॉम ने इन आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया है कि केवल 2016-17 में इन हादसों में पूरे दशक की तुलना में 40 फीसदी से अधिक लोग मारे गए। पिछले हफ्ते मुजफ्फरनगर के खतौली में पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से 20 से ज्यादा मौतें हो जाने के बाद ये आंकड़े रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाते हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में देश में कुल 1,394 रेल हादसे हुए। इनमें आधे से अधिक हादसे (708) ट्रेन के पटरी से उतर जाने से हुए। इन हादसों में कुल 458 लोग मारे गए। अकेले पिछले साल कुल 104 रेल हादसे हुए जिसमें औसत से कहीं अधिक यानी तीन चौथाई (78) ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुए। वहीं पिछले साल इन सभी हादसों में कुल 193 लोग मारे गए। यानी 2016-17 में सभी हादसों और ट्रेन के पटरी से उतरने के मामलों का आंकड़ा सालाना औसत के अनुरूप ही है। लेकिन इन हादसों में हुई मौतों के लिहाज से पिछला साल काफी बुरा रहा।

इस साल 19 जुलाई को लोकसभा को दिए गए एक जवाब में मोदी सरकार ने बताया कि 2017 की पहली छमाही में कुल 29 रेल हादसे हो चुके हैं। इनमें 57 लोगों की जान जा चुकी है और 58 लोग घायल हुए हैं। ​

सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस साल हुए सभी हादसों और मौतों में दो तिहाई से भी ज्यादा ट्रेन के पटरी से उतरने के चलते हुए। पहली छमाही में 20 बार ट्रेन पटरी से उतरी जिसमें 39 लोग मारे गए और 54 घायल हुए।
एक अन्य ​रिपोर्ट के अनुसार ऐसे हादसों की दो प्रमुख वजहें हैं: पहला, पटरी पर उसकी क्षमता से ज्यादा बोझ और दूसरा, रेलवे में जरूरत से कहीं कम निवेश।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश के कुल 1,219 रेलखंडों में 40 फीसदी से ज्यादा का क्षमता से अधिक दोहन हो रहा है जो चिंताजनक है।

फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड