खबर लहरिया राजनीति जन आस्था से छेड़छाड़, जानिए गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा मामले को, विस्तार से

जन आस्था से छेड़छाड़, जानिए गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा मामले को, विस्तार से

फोटो साभार: फेसबुक/डॉक्टर सेंट एम् एस जी ऑफिसियल

सच्चा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा को 25 अगस्त को बलात्कार के दो मामलों में 20 साल की सजा सुनाई गई। सजा सुनते ही ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ रोने लगे। राम रहीम ने कोर्ट से माफी की गुहार लगाई, पर कोर्ट ने उसे नामंजूर कर दिया। राम रहीम पर डेरे की दो नाबालिग साध्वियों के साथ बलात्कार करने के दोश में ये सज़ा सुनाई गई थी।
गुरमीत का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। उसके पिता मगहर सिंह थे, जो राजस्थान के श्रीगंगानगर के जमींदार थे, और उनकी मां थी नसीब कौर। गुरमीत के पिता सच्चा सौदा डेरे के सदस्य थे। इस डेरे को बाबा बलूचिस्तानी बेपरवाह मस्ताना जी ने बनाया था। पिछड़े और दलित समाज के कल्याण की भावना के कारण लोग इस डेरे से जुड़े। आपको बता दें कि इन सुमदायों को सिख धर्म समानता नहीं दे रहा था, जिसके कारण लोगों का जुड़ाव इस समुदाय से हुआ।
धार्मिक प्रवृत्ति का न होने के बावजूद भी पिता के कारण गुरमीत डेरे से जुड़ा। गुरमीत का डेरा प्रमुख बनने की ख़ास वजह थी, दोस्त गुरजंत सिंह, जो खालिस्तानी उग्रवादी था। उस समय के डेरा प्रमुख शाह सतनाम ने अपने उत्तरधिकारी के रुप सबको चौंकाते हुए गुरमीत चुना। ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ वाले डेरे के विचार से विपरीत गुरमीत चमक-धमक में रहने लगा।
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गुरमीत के डेरे की सब लड़कियां उसे पापा कहती थी, पर वह उन सबका उत्पीड़न भी करता था, जिसका ही परिणाम है कि वह आज सलाखों के पीछे है। गुरमीत को यहां पहुंचाने का श्रेय दोनों साध्वियों, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति, सीबीआई और जजों को जाता है।
वहीं देश के राजनीतिकों ने तो गुरुमीत को बढ़ावा देने का काम ही किया है। इस मुद्दे की शुरुआत तब हुई जब पंजाब की एक पीड़िता ने 2002 में पंजाब और हरियाण हाइकोर्ट को एक गुमनाम पत्र भेजा। यह पत्र तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, गृहमंत्री और सीबीआइ के निदेशक को भी भेजा गया। पर संज्ञान सिर्फ उच्च न्यायालय ने लिया। उच्च न्यायालय के आदेश में इस केस की तहकीकात हुई। इस मामले में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या की गई। उन्होंने ‘पूरा सच’ नाम के अखबार में इस पत्र को छापा था।
पर राजनेता की ओर से इस मुद्दे को नजरअंदाज किया गया। तत्कालीन चौटाला सरकार ने भी इस मुद्दे को खत्म करने की कोशिश की। इस ही बीच डेरा के एक सेवादार रंजीत की हत्या हुई। रंजीत पर शक था कि उसने ये पत्र डेरे से बाहर भेजने का काम किया था। आपको बता दें कि गुरुमीत को कांग्रेस और भाजपा सरकार ने ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी थी, जो देश में चुने हुए खास लोगों को ही प्राप्त होती है। इससे पहले भी हरियाण चुनाव के समय गुरुमीत ने भाजपा सरकार के  समर्थन में वोट मांगे थे।
गुरुमीत राम रहीम के इतना ताकतवार बनने के पीछे हमारे राजनेताओं का बहुत बड़ा हाथ है, जिन्होंने वोट प्राप्ति के लिए इस तरह के बाबाओं को बढ़ावा दिया। जनता की आस्था के खिलावाड़ करने वाले बाबाओं की सूची में गुरुमीत राम रहीम सिर्फ एक नाम है। इसके पहले आसाराम, नारायण साई, रामपाल, स्वामी नित्यानंद और राधे मां जैसे नाम लोगों की भावना से खेल चुके हैं।
पर सोचने वाली बात ये हैं कि कब तक समाज के उत्थान और लोगों को दुख से उबारने के नाम पर ये बाबा ये सब काम करते रहेंगे।