खबर लहरिया औरतें काम पर कबै मिली विधवा पेंशन

कबै मिली विधवा पेंशन

mahila karvi - vidhwa pensionजिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव बघौड़ा। हिंया के मीना, ननकी। इं दूनौ तीन बरस से प्राथमिक स्कूल मा खाना बनावत हवै। या कारन इनका विधवा पेंशन नहीं बनत आय। इं दूनौ मेहरिया छह बरस से विधवा पेंशन खातिर परेशान हवैं।
मीना श्रीवास्तव बताइस कि दुइ लड़का एक बिटिया हवै। मनसवा का खतम भे छह बरस होइगे हवै। अबै तक विधवा पेंशन नहीं बना आय। या कारन तीन बरस से प्राथमिक स्कूल मा खाना बनावै लाग हौं तौ वा भी रूपिया समय से नहीं मिलत आय। न तौ विधवा पेंशन बनत आय। या कारन इनतान के महंगाई मा दर-दर भटकत हौं।
यहिनतान ननकी बताइस कि मनसवा चुनबाद का टी.बी. के बीमारी रही हवै। या कारन वहिके मउत होइगे हवै। एक लड़का हवै। वा नींकतान से बोल नहीं पावत आय। खाना भी धीमे धीमे खात हवै। हरतान से मार झेलत हांै। तबहूं विधवा पेंशन नहीं बनत आय। प्रधान से कइयौ दरकी कहा हवै वा भी नहीं सुनत आय। कहत हवै स्कूल मा खाना बनइहौ तौ तुम्हार विधवा पेंशन न बनी।
प्रधान करूणा शंकर का कहब हवै कि रामआसरे लेखपाल बारह हजार से नीचे के आय नहीं बनावत आय। या कारन उनका विधवा पेंशन नहीं बनत आय। कोशिश करत हौं। उनके पेंशन बन जात तो नींक होइ जात।