खबर लहरिया बाँदा उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का विरोध-प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का विरोध-प्रदर्शन

25 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट का उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का शिक्षक पद के लिए होने वाले समायोजन को रद्द करने के फैसला आया। यूपी के 1 लाख बहत्तर हजार शिक्षामित्रों ने इस फैसले के बाद 27 जुलाई को प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन किया। बुंदेलखंड के महोबा और बांदा में शिक्षा मित्रों ने धरना प्रदर्शन करके अपनी बात को इस तरह रखा।
इस बारे में शैलेंद्र कुमारी कहती हैं कि हमारे साथ ही यह अन्याय क्यों किया जा रहा है। हमसे पहले के भी जो शिक्षक बीए, एमए पास हैं क्या उनको हटा दिया गया है? नहीं! केवल हम ही लोगों के पीछे सरकार क्यों पड़ी है। हम न्याय चाहते हैं।
नरैनी के मुकेश कहते हैं,यह समायोजन जिस आधार पर रद्द किया गया है वह अमान्य है। हमारे पास 16-17 सालों का अनुभव है क्या वह कम है? अब हमारे पास इसके बाद आर्थिक रूप से संकट बढ़ गया है। हम कैसे अपना परिवार चलाएंगे।
2015 में हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में ये समायोजन को निरस्त कर दिया था लेकिन उस समय इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 25 जुलाई को आये इस फैसले ने शिक्षा मित्रों को निराश कर दिया।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि शिक्षा मित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा को दो प्रयासों में पास करना होगा, जिसके बाद वे इस पद बने रह सकते हैं।
महोबा के विमल त्रिपाठी का इस बारे में कहना है कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। हमारे लोगों का उम्र अब 40 के करीब है और ऐसे में उन्हें नौकरी से बेदखल करना और दौबारा संघर्ष करने के लिए कहना निर्थक है।
उन्होंने आगे कहा, हम राज्य सरकार से यही कहना चाहते हैं कि हमारा सम्मान हमें लौटा दें और लोगों की बहाली की जाये। हमारे सामने अब सबसे बड़ा प्रश्न परिवार को पालने का है और हम सभी इसी बात को लेकर चिंतित हैं। यदि हमारी मांगे नहीं मानी गई और यदि हमारे प्रति कोई सुनवाई नहीं की गई तो हम बड़े रूप में विधान सभा के सामने आन्दोलन करेंगे।
महोबा की मुवीना कहती हैं कि आज हमारा भविष्य अन्धकार में है और इसके जिम्मेदार यह सरकार है। जब डिग्री कॉलेज वाले शिक्षकों के लिए टीईटी जरुरी नहीं है तो हमारे लिए क्यों है? हमने सालों मेहनत की है और अब फिर से संघर्ष करने को कहा जा रहा है, यह सब नहीं सहा जायेगा।
आनन्द तिवारी चाहते हैं कि उनको उनके मूल पद पर लाया जाए और यदि पद नहीं दिया जा रहा है तो हमारी आर्थिक स्तिथि को सुधारा जाए।
बाँदा के बेसिक शिक्षा अधिकारी, शिव नारायण सिंह का कहना है कि हमने सभी शिक्षामित्रों को समझाने का प्रयास किया है और कहा है कि जल्द ही अपने कागजात जमा करा दें। आगे जो आदेश आयेंगे वो इन्हें बता दिए जायेंगे।
देश की शिक्षा व्यवस्था पर नजर डालें तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में एक हजार से ज्यादा केंद्रीय स्कूलों में बारह लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं, साथ ही देश में एक लाख से अधिक सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है। ऐसे हालातों में यह संकट किस बढ़ाने वाला हैं और शिक्षा के अधिकारों के लिए क्या नया लाने वाला है यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

रिपोर्टर- श्यामकली और मीरा देवी 

Published on Jul 28, 2017