केंद्र की मोदी सरकार जहां गांवों को शहरों के माफिक बनाने के लिए बिजली-पानी और मॉर्डन स्कूल का सपना दिखा रही है, वहीं उत्तर प्रदेश में कई ऐसे गांव हैं जहाँ कागजों में बिजली होते हुए भी अंधेरा रहता हैl अब आप सोच रहे होंगे की ये क्या बात हुई भला? तो आपको बता दूं की अयोध्या जिले का विजयन पुर सजहरा गाँव का मजरा जहद्दीपुर में इस युग में भी लकड़ी के खंभे के सहारे बिजली आपूर्ति हो रही हैl
सरकारी मीटर लगा पर खंभा नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि विकास से अछूते इस गाँव में आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी खंभा नहीं लगा है l जिससे लोग खुद ही बिजली की आपूर्ति के लिए लड़की का खंभा लगाया है और बिजली का कनेक्शन किया हैl और कर भी क्या सकते हैं ऐसे नहीं करेगे तो काम कैसे चलेगा? इस डिजिटल युग में जब हर किसी के हाथ में फोन है तो उसे चार्ज कैसे करेंगे ? कोरोना वायरस का यह समय इतना कष्ट कारक है कब किसको क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता l ऐसे में बिजली बहुत जरूरी हैl
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बिजली बिना ठप हो जाता है काम
कोरोना वायरस का ऐसा दौर जब सब लोग घर से काम करने को मजबूर हैं लेकिन बिना बिजली काम कैसे किया जा सकता है? मैं भी इस कोरोना काल में लगभग पिछले दो महीने से घर से काम कर रही हूँ लेकिन बिजली की आँख मिचौली से सही ढंग से काम नहीं हो पाताl जो मैं पिछले दो महीने से अनुभव कर रही हूँ वह यह की सुबह 9 बजे बिजली आती है और 11 बजे कट जाती हैl शाम को 5 बजे से सुबह 5 बजे तक रहती हैl उसके बीच में लगभग 8 से 10 बार कटती हैl मतलब जो ऑफिस टाइम है उस समय बिजली नहीं रहती l
बारिश से चरमरा जाती है बिजली व्यवस्था
पिछले एक हफ़्ते से हो रही लगातार बारिश से बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो गई हैl जरा सी आंधी पानी में बिजली जल जाती है तार गिर जाते हैं आये दिन यही समस्या बनी रहती हैl
सरकारी मीटर लगाकर दिखा दिया विद्युतीकरण
आपको बता दें की इस गाँव में लोग लकड़ी के खंभे जिन लोगों ने बिजली लिया था उसी के घर में सरकारी मीटर लगाकर विद्युतीकरण दिखा दिया गया, लेकिन खंभा नहीं लगाया गया l जिससे आये दिन बिजली की समस्या बनी रहती हैl हल्की सी बारिश होती है तो तार टूट जाते हैं, लकड़ी के खंभे टूट जाते हैं जिससे लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता हैl लोग स्वयं से ही दूसरा लकड़ी का खंभा लगाकर बिजली आपूर्ति करते हैंl
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शाम होने से पहले महिलाएं बना लेती हैं खाना
यहां शाम होने से पहले ही महिलाएं खाना बनाना शुरू कर देती हैंl गांव के बच्चे अपने सपने पूरे करने के बिजली का इंतजार करते हैंl पहले मिट्टी का तेल था तो बच्चे पढ़ते थे अब तो सरकार ने मिट्टी का तेल भी बंद कर दिया अब और कोई दूसरा रास्ता ही नहीं है l हाई फाई टेक्नोलॉजी के इस जमाने में गांव में कुछ ही लोगों के पास मोबाइल फोन है तो उससे भी पढाई नहीं हो पाती क्योंकि बिजली नहीं होतीl क्या करें गाँव के लोग बेबस हैं उनकी सुनता कौन है जो किसी से कहेंl लोग मन ही मन विभाग को गालियाँ देकर चुप हो जाते हैंl
इस मामले में तारून पावर हाउस के जेई देवी चन्द्र भारती से कई बार मिलकर बात करने और फोन से भी संपर्क करने की कोशिस की गई लेकिन बात नहीं हो पाई हैl