खबर लहरिया औरतें काम पर महिलाएं बस रोटियां नहीं पकाती, इंकलाब भी लाती है देखिए दिल्ली के शाहीन बाग से

महिलाएं बस रोटियां नहीं पकाती, इंकलाब भी लाती है देखिए दिल्ली के शाहीन बाग से

दिल्ली शाहीनबाग: 14 दिसंबर से लगातार महिलओं द्वारा धरना प्रदर्शन चल रहा है। हज़ारों की संख्या में महिलाएं शामिल हैं। महिलाएं में छोटी उम्र से लेकर बड़ी उम्र की महिलाएं हैं।  NRC-CAA-NPR और जमिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र-छात्राओं के साथ हुए मारपीट के खिलाफ ये धरना चल रहा है। उनकी मांग है कि सरकार उचित कार्यवाही कर। जब तक वह कार्यवाही नहीं करती तब तक धरना खत्म नहीं करेंगे। भूख हड़ताल में बैठी बुजुर्ग महिलाओं की तबियत बिगड़ रही है। देश के कोने कोने से लोग आकर इस धरना प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे हैं।

ये तो चल ही रहा था कि 5 जनवरी को जेएनयू के अंदर दो गुट के छात्रों के बीच मारपीट हुई। इसमें कई छात्र और छात्राओं को गंभीर चोटें आईं हैं।वाराणसी: लगातार अत्याचार के चलते वकीलों ने दिया धरना

महिलाओं ने बताया कि यह लड़ाई मुस्लिम की नहीं सारे हिंदुस्तान की है। यहां पर सभी समुदाय के लोग रहते हैं। nrc caa npr का असर उन सभी लोगों पर पड़ेगा जो नागरिकता के रिकार्ड नहीं दिखा पाएंगे। दूसरी बात जामिया में हरेक धर्म समुदाय के छात्र पढ़ाई करते हैं इसमें सिर्फ मुसलमान को टारगेट करके ऐसी स्थिति पैदा करा दी। हम महिलाएं हैं, छात्रों की मां हैं और मां का दर्द समझती हैं। जिस तरह से लड़कियों के साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया वह असहनीय है। इसमें कार्यवाही जरूर होनी चाहिए। और इसलिए महिलओं द्वारा धरना प्रदर्शन ज़रूरी है

50 से 80 साल कई महिलाओं ने कहा इस सरकार ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जब हम लोग अपनी जिंदगी में पहली बार धरना प्रदर्शन के लिए मज़बूरन निकलना पड़ रहा है। अब सवाल ये है कि इस तरह से महिलाओं का बाहर निकलना धरना प्रदर्शन करना सरकार को किस तरह की कार्यवाही करने की चुनौती देगी।