खबर लहरिया जिला सीएम योगी का 4 महीने के अंदर पानी पहुँचाने का वादा क्या हो पाएगा पूरा? | द कविता शो

सीएम योगी का 4 महीने के अंदर पानी पहुँचाने का वादा क्या हो पाएगा पूरा? | द कविता शो

भंवरा तेरा पानी गजब कर जाए रे,गगरी न फूटे चाहे मनूस ,खसम मर जाये ये।

ये गाना गाया है बुंदेलखंड इलाक़े के चित्रकूट जिले के पाठा क्षेत्र की आदिवासी महिलाओं ने। ये दुःख भरा गीत है। इसको अब कहावत के रूप में भी प्रयोग किया जाने लगा है। दोस्तों, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 9 मई को बांदा में निकाय चुनाव की जनसभा करने आये थे और उन्होंने अपने भाषण में कहा कि बुंदेलखंड वासियों को हर घर में पानी मिलेगा।

बुंदेलखंड का पाठा क्षेत्र, बांदा शहर के कई मोहल्ले नरैनी क्षेत्र का पनगरा गांव महोबा का कबरई क्षेत्र हर साल पानी की विकराल समस्या से जूझता है। पानी की समस्या लोगों को विरासत में मिली है। मानिकपुर जहां बड़े-बड़े पहाड़ और जंगली इलाका होने के कारण यहां के हैंडपंप, कुआं और तालाब, नदी और पोखरे सब सूख जाते हैं, वहां पानी का ज़रिया होता है सिर्फ चोहडा। चोहडा उसे कहते जो पहाड़ों से झरता हुआ पानी गड्ढों में भर जाता है और लोग कई कोस जाकर पीने के पानी का इंतजाम करते हैं ।

मई का महीना लग गया है और मानिकपुर की जनता बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है। महिलाएं दुःख भरी आवाज़ में यही गाना गाकर अपनी आप बीती बता रही हैं लेकिन सुनेगा कौन? कोई नहीं न। अगर पानी की समस्या का समाधान होना होता तो आठ साल पहले ही हो जाता। वो कैसे जानना चाहोगे।

चित्रकूट और बांदा के मौजूदा सांसद पिछले पंचवर्षीय में मानिकपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे जबकि उनका क्षेत्र चित्रकूट विधायक सभा होता था। तब हमने उनसे सवाल पूछा कि आप अपना क्षेत्र छोड़कर यहां से चुनाव क्यों लड़ रहें हैं?

ये भी देखें – वाराणसी : बांस का पुल बना लोगों के लिए खतरा

आर.के पटेल ने बोला मानिकपुर क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या पानी की है और वो इस समस्या को दूर करने के लिए चुनाव यहां से लड़ रहे हैं। जनता उनको जिताये तो मानिकपुर पानीदार हो जायेगा। वो कहावत यहां पर फिट बैठती है कि भूखे सियार का पिपरौ मीठ। जनता को पानी चहिए और आर.के को वोट दिया वो जीत भी गये। दोबारा से सांसद भी बने लेकिन पानी की समस्याएं ज्यों की त्यों आज भी बनी हुई है।

उन्होंने आज तक पलट कर मानिकपुर की जनता को देखा तक नहीं। अगर अपने गांव-घर की सरकार जो ज़मीनी हकीकत को जानती है वो ग्रामीणों के दर्द को नहीं बांट पाई तो देश की सरकार मतलब केंद्र सरकार क्या कर पाएगी? केंद्रीय सरकार की योजना जल जीवन मिशन है जो यह दावा करती है कि यूपी के गांवों में और शहरों में हर घर में टोटी लगाएगी और हर घर को पानी देगी। ये योजना भी कागजों में फल-फूल रही है। कुछ जिलों को तो पानी मुक्त दिखा दिया गया है। मतलब 100 % पानी पहुंचा दिया सरकार ने और सरकारी आंकड़ों में दर्ज हो गया ये जिला ।

पता है कौन-सा जिला? नाम है बागपत। हम ऐसे वैसे नहीं बोल रहे हैं जनाब, हमने बागपत में घर-घर जाकर देखा है और सरकार के आंकड़े भी पढ़ें है। वहां जाकर पता चला कि हर घर में टोटी तो लग गयी है लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हुई है। वहां के दलित बस्तियों में टोटी भी नहीं लगी लेकिन सफेद पन्ने आंकड़ों से रंग दिए गये हैं। है न हैरान करने वाली बात।

और सुनो बुंदेलखंड में भी बड़े-बड़े प्लांट लग रहे हैं। नदियों में उन प्लांट को देख ही डर लगता है, पता है क्यों? क्योंकि हम जल जीवन मिशन की सच्चाई जानने निकले तो बांदा के खाटान गांव के यमुना नदी में बन रहे प्लांट को देखा। बाप रे बाप! इतने बड़े-बड़े पाईप लगाये जा रहे हैं कि आप पाइपों में रहकर बसर कर सकते हैं। मैं सोच रही थी कि अगर सप्लाई चालू हुई तो यह पाईप पूरे नदी का पानी एक दिन में सोख देगें और घर को पानी भी नहीं पहुंचेगा।

पता नहीं सरकार भी क्या-क्या करती है। जो बचा-कुचा पानी है उसे खत्म कर रही जबकि पानी की ऐसी व्यवस्था करना चहिए कि विरासत में मिलने वाला पानी खत्म न हो। हम पानी की पैदावार को बढ़ाएं। घर-घर टोटी लगाने से कुछ नहीं होगा। पेड़ और जंगल काटे जा रहे हैं। पहाड़ और नदियां खोखली हो रही हैं तो प्लांट लगा कर क्या करोगे? हां, सरकार को फायदा है इसमें। बड़ी-बड़ी कंपनियों को ठेका दे रही है जिससे बड़े-बड़े पाईप और मशीनें आ गई हैं। बहुत सारे पाईप सड़क किनारे पड़े धूल खा रहे हैं और प्यासी जनता को जला रहे हैं। सरकार उसे देख कर मज़े ले रही है। एक तरफ गर्मी है, पारा 40,45 डिग्री तक अभी जा रहा है। लोगों को गला सींचने को पानी अभी नहीं मिल रहा है और हमारी सरकार ये कहकर अपनी पीठ थपथपा रही है कि चार माह बाद सबको पानी मिलेगा।

ये भी देखें – फतेहपुर : गांव में 5 तालाब और वो भी सूखे फिर पानी…….

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke