क्या आप जानना चाहते हैं कि सर्दी के मौसम में लोग किस तरह से रहते हैं गांव में ? चलिए हम आज आपको दिखाते हैं। शहरों के घरों में लोग रज़ाई, गद्दे, कम्बल में लिपटे चाय की चुस्कियां लेते ही नज़र आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि गांव के घरों में ठण्ड में कुछ अलग ही नज़ारा देखने को मिलता है। रूई के गद्दे, रज़ाई तो नहीं लेकिन लोग यहाँ पुआल के बिस्तर पर लेटना-बैठना पसंद करते हैं। पुआल से बना बिस्तर न ही सिर्फ ज़्यादा गर्माहट देता है बल्कि रज़ाई-गद्दे से ज़्यादा किफायती भी होता है और गांव में आसानी से मिल जाता है।
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ठंडक से बचने के लिए लोग अपने घरों में या अपने जानवर के बचाव के लिए किस तरह से पुआल यानी जो धान का सूखा पौधा होता है वो इस्तेमाल करते हैं। हमें गांव में कच्चे घर यानी मिट्टी के बने छप्पर वाले घर भी दीखते हैं।
गांव में अभी भी कुछ परिवारों में या यूं कहें कि जो थोड़ा गरीब परिवार है उनके पास गद्दा गलैंचा सुथरी है । पहले तो खुला पैरा बिछाकर एक कमरे में या एक डालकर उसी में सारे परिवार रहते थे। लेकिन अब इसमें बदलाव आया है। लोग अपने खाट पर, बोरी में भरकर या साड़ी का खोल बनाकर उसमें पुआल भरकर गद्दा बनाकर सोते हैं। जानवर को खाने और सुलाने के लिए भी पैरा इस्तेमाल किया जाता है । ये पुआल एक नहीं अनेक कामों में इस्तेमाल किया जाता है।
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