खबर लहरिया Blog आम आदमी की खरीद से बाहर हुई सब्जियां, महंगे हुए दाम

आम आदमी की खरीद से बाहर हुई सब्जियां, महंगे हुए दाम

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के इचौली कस्बे में ग्रामीण सब्जियां न खरीद पाने से परेशान है तो वाराणसी जिले के हाल भी कुछ ऐसे हैं जहां टमाटर 70 रुपए किलो है तो भिंडी का दाम 50 पहुँच गया है।

रिपोर्ट – श्यामकली

बढ़ते तापमान का असर सब्जियों पर भी पड़ रहा है। अब बाजार में सब्जियों के दाम इतने बढ़ गए है कि एक दो सब्जियां खानी पड़ रही है। शहर हो या गांव अब आम आदमी इतनी महंगी सब्जियां नहीं खरीद पा रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब अन्य जगह भी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। कोई भी सब्जी 50 रुपए से कम नहीं है। ऐसे में बाजार में उम्मीद के साथ जाते हैं कि कुछ हरी सब्जियां लाएंगे पर महंगी होने के कारण खाली थैला वापस लाना पड़ता है। घर पर बच्चे भी एक ही सब्जी खा-खाकर परेशान हो गए हैं। महंगी सब्जियां सिर्फ अब पैसों वालों के घर पर बनती हैं या फिर उनके यहां जिनका छोटा परिवार है।

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सब्जियों के दाम

₹80 किलो टमाटर

₹120 किलो परवल

₹130 फूलगोभी

₹60 किलो भिंडी

₹60 किलो लौकी

₹70 पाव लहसुन

₹40 किलो प्याज

₹60 किलो भाटा

₹70 किलो करेला

बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां भी कई इलाकों में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। लोगों को हरी सब्जी खरीदने के लिए सोचना पड़ता है और बच्चों को भी समझाना पड़ता है। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के इचौली कस्बे में ग्रामीण सब्जियां न खरीद पाने से परेशान है तो वाराणसी जिले के हाल भी कुछ ऐसे हैं जहां टमाटर 70 रुपए किलो है तो भिंडी का दाम 50 पहुँच गया है।

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बंधी मजदूरी करने वाले नहीं खरीद पाते महंगी सब्जियां

नायक पूर्व की रहने वाली शिवरात्रि कहती हैं कि “मेरे घर में 10 लोगों का परिवार है। अब रोज के कमाने के अनुसार दिहाड़ी मिलती है और ऊपर से सब्जी इतनी महंगी है। 300 रुपए एक दिन की मजदूरी मिलती है उतने में ही राशन खरीदना है और सब्जी भी खरीदना होता है। आखिर इस साल कैसे हम गुजर बसर कर पाएंगे? मुश्किल दिख रहा है।

दुकानदार मोल भाव पर करते हैं गुस्सा

गांव के लोग बताते हैं कि बाजार में सब्जी खरीदने जाओ और थोड़ा कम दाम करने के लिए बोलो तो दुकानदार गुस्सा हो जाते हैं। शिवरात्रि ने बताया कि “18 जून को जब मैं सब्जी खरीदने गई थी। 1 किलो टमाटर और 1 किलो प्याज का मिलाकर 200 रुपए हो गए। जब मैंने बोला इतना महंगा कैसे? तो दुकान वाले गुस्सा करने लगे कि आपने सब्जी कब से नहीं खरीदी है? 80 रुपए किलो टमाटर है और 40 रुपए किलो प्याज है। मैंने बोला कि नहीं इतना महंगा नहीं है तो उन्होंने सब्जी तक नहीं दी। गुस्से में बोले – जहां सस्ता मिले वहां से ले लो जा कर। जहां मुझे 1 किलो, 2 किलो सब्जी लेनी थी मैंने आधा किलो और पाव भर सब्जी लेकर घर आ गई और सोचती रही कि नमक रोटी खाएं। जब पैसे हो जाएंगे तो सब्जी खरीदेंगे।”

फसल जलने से सब्जियों के दाम बढ़े

गांव में तो एक सब्जी से काम नहीं चलता दो-तीन तो रहती ही है। इस बार मौसम की ऐसी मार पड़ी कि इतनी झुलसा देने वाली धूप ने खेत में उगी हरी सब्जियों की फसल बर्बाद कर दी। ऐसे में बाजार में बिक रही सब्जियां तो महंगी होगी ही। अब बाहर से खरीद कर खानी पड़ती है और सब्जियां इतनी महंगी हो तो सिर्फ दाल से ही गुजारा करना पड़ रहा है। गांव के लोगों ने बताया कि सब्जियां महंगी है तो कई बार वह आचार रोटी खाते हैं क्या करें? जब इतना पैसा है ही नहीं तो।

बरदानी प्रजापति किसान ने बताया कि “लगभग डेढ़ बीघा में मैं 2 साल से सब्जी की खेती करता हूँ। इस समय अधिक धूप होने के कारण सारी सब्जी सूख गई है। हम किसानों के पास इतना संसाधन नहीं है जो हम अपनी सब्जी को बचा सकें। आसमान से आग बरसने जैसी गर्मी से हमारी सब्जी की फसल सूख गई और सब्जी इतनी महंगाई हो गई है। अगर किसानों के पास सब्जी लगी होती तो इतनी महंगी नहीं होती। जब हमने एक महीना पहले लौकी, कद्दू, भिंडी, लुभिया, भाटा (बैंगन) लगाए थे तब 20 रुपए से 15 रुपए किलो हम लोग बेचते थे। आज हम लौकी 60 रुपए किलो खरीद रहे हैं। हरी सब्जी के लिए 4-5 दिन में पानी डालते थे लेकिन अब इतनी तेज धूप है कि पानी नहीं दे पा रहे हैं तो सब्जियां सूख गई हैं।”

इचौली कस्बे की शिवदेवी बताती है कि इस समय इतनी गर्मी पड़ रही है अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो डॉक्टर हरी सब्जी खाने के लिए ही बोलते हैं। सब्जियों के दाम सुनकर ही दिमाग खराब हो जाता है। कहां न से इतनी महंगी सब्जी खाएं और खरीदें? आदमी प्रदेश में है एक लोग कमाने वाले और चार लोग खाने वाले हैं। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी देखनी होती है।”

सब्जी बेचने वाले को भी महंगी पड़ रही है सब्जी

राम रतन ने बताया कि हम खुद खरीद कर मौदहा मंडी से लाते हैं। वहां से महंगा मिलता है इसलिए जो ग्राहक आते हैं उनको हम महंगा ही देते हैं। 70 रुपए किलो हमें वहीं से टमाटर मिल रहे हैं इसलिए हम 80 रुपए में बेच रहे हैं। हर सब्जी 5 रुपए बाजार से महंगी देते हैं क्योंकि किराया, भाड़ा सब तो लगता है। 5 रुपए हम नहीं कमाएंगे सब्जी में तो फिर क्या करेंगे हमारा परिवार कैसे चलेगा?

हरी सब्जियों के स्वाद का मजा तो अब पैसों वाले के पास ही है। जिनके पास पैसे हैं वो महंगी सब्जियां खरीद रहे हैं लेकिन जो किसान उन सब्जियों को उगाते हैं वो आज इस बढ़ते तापमान की वजह से हरी सब्जियों के लिए तरस रहे हैं। अब पता नहीं कब इन सब्जियों के दाम घटेंगे और फिर से सब्जियां का स्वाद लेने को मिलेगा?

 

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