खबर लहरिया Blog वाराणसी : शमशान घाट पर काम करने वालों से छिना रोज़गार

वाराणसी : शमशान घाट पर काम करने वालों से छिना रोज़गार

जब से मृत शरीर को जलाने के लिए आधुनिक मशीने आई हैं तब से शमशान घाट पर काम करने वालों के रोज़गार पर काफ़ी असर पड़ा है।

वाराणसी का हरिश्चंद घाट

वाराणसी मोक्ष के लिए जानी जाती है। यहां के राजा हरिश्चंद्र घाट मुक्ति धाम में चिताओं को जलाया जाता है। कहा जाता है कि क्यूंकि वाराणसी पावन नगरी है तो व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलेगा। यह सब चीज़े तो ठीक है पर यहां रिपोर्टिंग के दौरान हमने पाया कि घाट के पास साफ़-सफाई नहीं है। घाट के पास जो महोल्ला है वहां रहने वाले लोग मृतों को जलाने के बाद उठने वाले धुएं से परेशान है। वहीं जब से मृत शरीर को जलाने के लिए आधुनिक मशीने आई हैं तब से मृत शरीर को जलाने वालों के रोज़गार पर भी काफ़ी असर पड़ा है। आपको बता दें, यहां हरिश्चंद्र घाट के नाम से ही मोहल्ले को जाना जाता है।

यहां रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य और रोज़गार की है। इस समय यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का चुनाव भी चल रहा है। इस चुनावी माहौल में वाराणसी जिले के लोगों की यही मांग है कि सरकार स्वास्थ्य और रोज़गार के लिए काम करे।

ये भी देखें – “चुनाव से डरता है कोरोना”- ग्रामीण महिलाएं, बोलेंगे बुलवायेगे हंसकर सब कह जायेंगे | UP Polls 2022

स्वास्थ्य व रोज़गार की समस्या पर निवासियों ने रखी बात

मोहल्ले की निवासी मैना कहतीं, ” कोरोना काल में जब मुर्दे जलते थे तो उसका धुआँ उनके घर तक आता था। घाट के बगल से ही घर की दीवारें लगी हुई हैं। बाहर निकल कर खड़े भी नहीं हो सकते थे। निकलना होता था तो मुंह दबाकर निकलते थे।”

कमला कहतीं, “शवों को जलाना उनका पुराना पेशा है। जब से मशीनें आ गयीं तब से रोज़गार पर भी बहुत असर हुआ है। जो बुज़ुर्ग महिलाएं हैं या जिनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है, वह बाहर निकलकर झाड़ू-पोछें का काम करती है।”

“एक मुर्दा जलाने में 3 सौ से 5 सौ तक मिलते हैं। उसमें भी नंबर लगता है। पहले जैसे कमाई नहीं हो रही है और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। यह उनका पुश्तैनी काम है और इसी से उनकी रोज़ी-रोटी चलती है। अगर सफ़ाई ठीक से रहे तो अच्छा है”- रानी ने कहा

यह भी कहा, “हम सबके यहां सफाई करते है, मुर्दे जलाते हैं लेकिन हमारे मोहल्ले की सफाई कोई नहीं करवाता।” धुएं और गंदगी की वजह से लोगों को जुखाम, बुखार, खांसी आदि जैसी बीमारियां भी हो रही हैं।

लोगों की यही मांग है कि उनके मोहल्ले की भी सफाई करवाई जाए ताकि लोग बीमार न हो। साथ ही चुनाव हेतु जो भी प्रत्याशी आएगा, उनकी उससे यही मांग रहेगी कि वह रोज़गार की समस्या पर ध्यान दे।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

ये भी देखें – टीकमगढ़ : स्वास्थ्य विभाग से नहीं, न्यूज़ से मिलती है कोरोना की जानकारी

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke