वाराणसी भी हुई कोरोना वायरस की शिकार
चीन का कोरोना वायरस अब भारत में भी आ चूका है इस बात से यहाँ भी काफी लोग भयभीत है. तभी जो लोग चीन से आये है उनकी जांच की जा रही है।
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— Akshay Akki ಅಕ್ಷಯ್ (@YoursAkshayAkki) January 30, 2020
जानकारी के अनुसार वाराणसी के भोजूबीर निवासी आशुतोष विश्वकर्माचीन के जियोमेन शहर में नौकरी करता था और वह 23 जनवरी को अपने घर वापस आया। चीन से सीधे वह कोलकाता के दमदम एयरपोर्ट पहुंचा था और वहां से फ्लाइट पकड़ कर वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट आया था। जब आया था तब तो ठीक था लेकिन 3 फरवरी से उसकी तबियत कुछ खराब हुई थी जिससे वह अपने परिजनों के साथ वाराणसी के दीनदयाल अस्पताल चेकअप के लिए गया। अस्पताल में उसकी जांच की गयी और जांच के सेम्पल पुणे भेजा गया. फिर उन्हें अपने घर वापस भेज दिया.
सीएमएस डा.वी शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में कोराना वायरस के संदिग्ध मरीज के लिए दस बेड का वार्ड बनाया गया है। मरीज की जांच के लिए किट व मास्क आदि सब उपलब्ध है। आशुतोष विश्वकर्मा भी चीन से आया था और रूटीन चेकअप के लिए यहां पर आया था। चीन से वापस आये लोगों पर एहतियात की तौर पर जांच की जाती है ताकि उनकी स्थिति का पता चल सके।
व्यवसाय भी थप होने के कगार पर
चीन में फैले कोरोना वायरस को देखते हुए चीन से आने वाले सिल्क पर 10 फरवरी तक के लिए रोक लगा दी गई है. आपको पता होगा वाराणसी बनारसी साड़ी के लये मशहूर है. इसके लिए 30 प्रतिशत कच्चा माल ( सिल्क ) चीन से ही आता है. इस से बनारस के लगभग 7 लाख से ज्यादा परिवारो की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. वाराणसी में करीब 50 हजार हथकरघा चलता है इसके लिए 1500 टन सिल्क आयात( चीन से मंगाया जाता है) किया जाता है.
यहा के दुकानदार हर्षपाल कपूर ने बताया कि अगर प्रतिबन्ध हटाया नहीं गया तो लगभग 200 करोड़ रुपये का आर्डर प्रभावित होना तय है। सलीम का कहना है कि जो इस बार सिल्क पर रोक लगी है इस से हम लोगों पर बहुत बडा असर पडा है.जिनके पास पहले का धागा है उन्हें तो कुछ खास नुक्सान नहीं होगा लेकिन जिनका माल ख़तम है और ऑडर पहले से लिया गया है वो क्या करेंगे ? अब होली है और शादियों का सीजन भी आ गया है. जहाँ बनारसी साड़ी की मांग बढ़ जाती है. उनको कैसे पूरा करेंगे ? वहीं सिल्क को बढ़ावा देने के लिए हर साल के हर फरवरी माह में चीन में आयोजित सिल्क फेयर( प्रदर्शनी) को निरस्त कर दिया गया है। इस सिल्क फेयर में बनारस सहित देश दुनिया के सिल्क आयातक-निर्यातक को बढ़ावा मिलता है। बनारसी साड़ी भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाये हुए है. वैसे व्ही बनारसी साड़ी का चलन इस समय फिर से बढ़ गया है जैसे 80 के दशक में बिना बनारसी साड़ी के कोई उत्सव सा शादी अधूरी मानी जाती थी वो फैशन अब फिर ट्रेंडिंग है जो बुनकरों के लिए अच्छी खबर है. लेकिन ऐसे में इस रोक का बुरा प्रभाव पड़ना निश्चित है.