खबर लहरिया Blog उत्तर प्रदेश : खराब चारा और सुविधा की कमी से मरती गायें

उत्तर प्रदेश : खराब चारा और सुविधा की कमी से मरती गायें

चारे-भूसे की सही व्यवस्था ना होने की वजह से गायों की आये दिन मृत्यु हो रही हैं।

गाँव भटवेरा गौशाला (साभार – खबर लहरिया)

यूपी सरकार गाय से जुड़े मुद्दों को लेकर हमेशा से संघीन दिखी है। चाहें वह गायों की तस्करी का मामला हो या फिर उन्हें एक अलग दर्ज़ा देने का। लेकिन इसके बावजूद भी राज्य में गायों से जुड़ी समस्याओं का कोई अंत नहीं। तो क्या फिर यह कहा जा सकता है कि सरकार सच में गायों से जुड़ी परेशानियों को गंभीरता से ले रही है? या फिर वह यह बातें बस कहने के लिए कह रही है।

जिला महोबा के ब्लॉक जैतपुर में गायों की हालत दयनीय है। ब्लॉक जैतपुर के गाँव भटवेरा खुर्द की गायें सही प्रकार से चारा-भूसा नहीं मिल पाने की वजह से मरती जा रही हैं। गाँव के लोगों का यह भी कहना है कि तकरीबन एक साल पहले गाँव में गौशाला बनवाई गयी थी। लेकिन गायों के खाने के लिए सही भूसा नहीं भेजा जाता।

गायों के चारे-भूसे को लेकर, लोगों का कहना

गाँव के रहने वाले रविंद्र परिहार के अनुसार, एक साल पहले तक गौशाला में 100 गायें थीं। जिसमें से अभी तक लगभग 35 से 40 गायें ही रह गयी हैं। वह बताते हैं कि गायों को मटर का खराब भूसा दिया जाता है। पानी की टंकी भी टूटी हुई है। साथ ही गौशाला में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। जिस प्रकार से होनी चाहिए। जिसकी वजह से आये दिन गायें दम तोड़ रहीं हैं।

महिपाल का कहना है कि गायों को मटर के भूसे की जगह गेहूं का भूसा देना चाहिए। उन्हें सही से खाना नहीं मिलता इसलिए गायों की मौतें हो रही हैं। गाँव बहुत बाहर पड़ता है। इसलिए कोई अधिकारी भी जायज़ा लेने के लिए नहीं आते। उनका आरोप है कि ब्लॉक के अधिकारी और कर्मचारी अपनी मनमानी करते हैं। जो पैसा आता है वह अपने जेबों में डाल लेते हैं।

लाडकुंवर का कहना है कि चार दिन में एक बार मटर के भूसे की ट्रॉली आती है। वह भी खराब होती है। भूसे में आटा भी नहीं मिलाया जाता। इसलिए जानवर उसे खाते नहीं है। वह कहते हैं कि अगर उन्हें अच्छा भूसा नहीं डाला जाएगा तो वह क्या खाएंगे, कैसे जीएंगे।

राम कुमार का कहना है कि जो पानी की टंकी गायों की पानी की सुविधा के लिए है, उसकी भी हालत सही नहीं है। जिसकी वजह से मिट्टी का गड्ढा बनाया हुआ है और उसी में जानवरों को पानी पीने के लिए दिया जाता है।

सचिव ने कहा – बजट नहीं तो सुविधा करने में मुश्किल

जब खबर लहरिया ने मामले को देखते हुए गाँव की सचिव अर्चना से बात की तो उन्होंने कहा कि वह तो गायों के लिए रोज़ ही भूसे की व्यवस्था करती हैं। गाँव वालों द्वारा उन पर झूठा आरोप लगाया जा रहा है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि वह गायों को कौन-सा भूसा देती हैं? तो उन्होंने टाल-मटोल करना शुरू कर दिया। उनसे यह भी पूछा गया कि गौशाला में कितने जानवर हैं, उन्हें कितना भूसा दिया जाता है, क्या नियम हैं आदि? इन सब सवालों का उनके पास कोई भी जवाब नहीं था। उन्होंने बस यही कहा कि वह रजिस्टर देखकर इन सब चीज़ों के बारे में बताएंगी। उनका कहना है कि व्यवस्थाओं के लिए उनके पास बजट नहीं आया है। बजट आएगा तो सारी चीज़ों का प्रबंध किया जाएगा।

गौशाला के प्रबंधक ने कहा – भूसा खाने लायक नहीं

गौशाला का रख-रखाव करने वाले राम गोपाल यादव से गौशाला के बारे में पूछने की कोशिश की गयी। लेकिन हर सवाल के जवाब में उनकी तरफ से ना ही सुनाई दे रही थी। बहुत बार कोशिश के बाद जब उनसे पूछा गया कि “उनके हिसाब से जो गायों के लिए भूसा आता है वह कैसा होता है? तो उनका जवाब था ऐसा की जिसे खाया नहीं जा सकता। बिल्कुल गोबर की तरह।” वह कहते हैं कि वह इस बारे में अधिकारी से कोई बात नहीं करते हैं क्यूंकि यह करना उनका काम नहीं है।

बीडियो को नहीं है समस्या की जानकारी

ब्लॉक जैतपुर के बीडियो (खंड विकास अधिकारी) ने मामले को लेकर कहा कि उन्हें तो किसी भी तरह की जानकारी नहीं है। उन्हें नहीं पता कि गायों को मटर का भूसा दिया जाता है। वह समस्या के बारे में जाँच कर आगे की कार्यवाही करेंगे।

पूर्व प्रधान ने कहा – उनकी कोई जवाबदेही नहीं

गाँव के पूर्व प्रधान गौरी शंकर से जब गौशाला के बारे में पूछा गया। तो उनका कहना था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गायों के भूसे-चारे की अच्छी व्यवस्था की थी। अभी क्यूंकि वह प्रधान नहीं है तो उनकी कोई जवाबदेही नहीं है। लेकिन यहां सवाल यह है कि गौशाला में सुविधा और भूसे की समस्या एक साल से है। अगर प्रधान द्वारा गौशाला में चीज़ों की व्यवस्था कराई गयी थी तो वह अब क्यों नहीं है?

एक बात यह भी गौर करने वाली है कि ना तो ब्लॉक के सचिव को समस्या के बारे में सही से पता है और ना ही बिडियो को। इसी बीच गायों को खराब भूसा देना और यह कहना कि उनके चारे-भूसे की अच्छी व्यवस्था की गयी है। सरासर झूठ साबित होती है। जिसकी वजह से रोज़ गायों की मौत हो रही है।

चित्रकूट : उचित देखभाल और चारे-भूसे में कमी

खबर लहरिया द्वारा 8 फरवरी को जिला चित्रकूट ब्लाक रामनगर गांव बंसिहा के गौशाला में गायों के लिए उचित सुविधा ना होने को लेकर रिपोर्टिंग की गयी थी। जिसमें चारे-पानी की व्यवस्था ना होने की वजह से आये दिन अन्ना जानवरों की मृत्यु हो जाती है। लोगो का कहना है कि गाँव में गौशाला तो बनी है लेकिन गौशाला में जानवरों की सुविधा के लिए कुछ भी नहीं है। ना ही रहने की व्यवस्था है और ना ही जानवरों को खाना समय से दिया जाता है। ठंड और भूख की वजह से गायें इधर-उधर घूमती रहती है और उनकी मौत हो जाती है।

यूँ तो सरकार कहती है कि उसने अन्ना जानवरों  लिए बहुत  कुछ किया है। पर ऐसा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता। यहां तक की गौशाला की रखवाली करने वाले चपरासी को भी समय से वेतन नहीं दिया जाता। जिसकी वजह से वह भी गौशाला की देखरेख का काम छोड़कर चले जाते हैं। गाये भूखी-प्यासी गौशाला में बंधी रहती है पर उस पर कोई ध्यान नहीं देता। लोगों की मांग है कि अन्ना जानवरों के लिए अच्छी व्यवस्था की जाये। ( खबर पर की हुई रिपोर्टिंग को देखने के लिए इस लिंक पर जाये। )

 

गाँव की सैनी देवी कहती है कि जो गायों के पानी पीने के लिए गड्ढा खुदवा रखा है। कम से कम उसमें तो पानी भरवा देना चाहिए। सुनीता देवी का कहना है कि जब किसी गाय की भूख से मौत हो जाती है तो उन्हें बस सड़क के किनारे फेंक दिया जाता है।

बंसिहा गाँव के प्रधान त्रिवेणी सिंह का कहना है कि गायों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं है। जब पानी नहीं रहता तो उन्हें तालाब से पानी पिलाया जाता है। उनका कहना है कि उनके गौशाला में सिर्फ दो ही गायों की मौत हुई है। वो भी उनकी मौत किसी बिमारी से हुई होगी – प्रधान।

ब्लॉक रामनगर के पूर्व बीडीओ आशाराम का कहना है कि उनकी तरफ से तो गौशाला की अच्छी तरह से देखभाल की जा रही है। जो बाकी की ज़रूरतें हैं, उसे भी पूरा कर दिया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि जो गायें मर जाती हैं, उनके लिए क्या व्यवस्था है? वह कहते हैं कि मृत गायों को जेसीबी की मदद से गड्ढों के अंदर दफना दिया जाता है। वहीं प्रधान की लापरवाही की वजह से गायें सड़कों के किनारे फिंकी मिलती हैं।

गौशाला में गायों के चारा-भूसा की व्यवस्था हो, पानी की हो या फिर उनके देखभाल की। सब कुछ चौपट है। आखिर गौशाला के नाम पर मिलने वाला बजट कहाँ गया ? भूख और कम देखभाल से आखिर कब तक गायों की मौत होती रहेगी? वो भी उस राज्य में जहां की सरकार गायों के लिए बहुत कुछ करने के वादे करती है। साल 2019-20 में यूपी सरकार ने गौशाला के लिए 600 करोड़ रूपये का बजट रखा था। इसके आलावा यह भी कहा गया था कि हर किसान को प्रत्येक गाय के चारे-पानी के लिए महीने के 900 रूपये यानी दिन के 30 रूपये दिए जाएंगे। लेकिन इनमे से कोई भी बात सच नज़र होती नहीं आयी। वहीं दूसरी ओर भूख से गायों की मौत के मामले बढ़ते नज़र आ रहे हैं।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए श्यामकली और सहोद्रा देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।