यूपी 2022 का चुनाव नज़दीक है। ऐसे में छोटी-बड़ी पार्टियां जनता का रुख अपनी तरफ करने के लिए एड़ी-छोटी का ज़ोर लगा रही है। कोई मुफ़्त सामान दे रहा है तो कोई खोखला वादा कर रहा है। जानिए क्या है यूपी की जनता की राय।
चुनाव आने वाला है मतलब फिर से रंग-बिरंगे वादों का बाज़ार सजेगा, क्यों? तरह-तरह के नेता अपनी पार्टियों के चुनाव चिन्हों को लिए हर गली और मोहल्ले में खुद का प्रचार-प्रसार करते हुए दिखाई देंगे। अरे! यहां कहना चाहिए कि यह सब करना तो शुरू हो गया है। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं सभी पार्टियां अपनी-अपनी चुनौतियाँ जनता के सामने रख रही हैं। कोई विकास के मुद्दे का सहारा ले रहा है तो कोई शिक्षा और महंगाई का। सभी पार्टियां किसी न किसी तरह से जनता को खुद की तरफ आकर्षित करने में लगी हुई है।
यूपी चुनाव 2022 को देखते हुए, अमर उजाला की 27 अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी चुनाव को लेकर छोटे दलों का बड़ी पार्टियों के पक्ष में आना ज़ारी है। इसी कड़ी में हिस्सेदारी मोर्चा, मानव समाज पार्टी, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी, भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, मुसहर आंदोलन मंच, भारतीय समता समाज पार्टी, प्रगतिशील समाज पार्टी व शोषित समाज पार्टी ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा को समर्थन करने वाले दलों को सीट बंटवारे का निर्णय संसदीय बोर्ड करेगा। हालांकि, इन दलों ने हमसे अभी सीट नहीं मांगी है।
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जानते हैं चुनावी वादों को लेकर जनता की राय
वाराणसी जिले के जालूपुर गाँव की रहने वाली निशा कहती हैं कि जीतने के बाद तो पता ही नहीं चलता कि जनता कहां है? जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है हर पक्ष के लोग जनता के पास आ रहे हैं। वह आगे कहती हैं कि जब तेल का दाम 100 रूपये किलो, आटे का दाम 15 रूपये किलो था तब ये सरकार कहाँ थी? आज उसी सरकार ने उन्हें 5 सालों में भीख मांगने की कगार पर छोड़ दिया है कि शायद अगर वह भीख भी मांगे तो उन्हें वो भी नहीं मिलेगा।
बहन-बेटी को घर पर छोड़ना मुश्किल हो गया है। अगर वाराणसी में सरकार होती तो कोई डर नहीं होता। महिलाओं के साथ आये दिन छेड़छाड़ होती रहती है। सरकार का गुंडाराज चल रहा है। किसी को कोई डर नहीं है। बेरोज़गारी इतनी है कि पढ़े-लिखे लोगों को भी नौकरी नहीं मिल रही है। ‘सरकार ने कहा था कि उन्हें पकौड़े नहीं तलने पड़ेंगे पर आज पकौड़े तलने के लिए भी तेल के लिए सोचना पड़ रहा है।’
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बिंदु देवी कहती हैं कि उनके गाँव में आज तक सड़क ही नहीं बनी। न पानी का कोई साधन है और न ही बिजली की व्यवस्था है। न आवास मिला है, न ही शौचालय। मिला है तो बस खाली दिखावा। सरकार कहती है कि उसने एक शौचालय के लिए 12 हज़ार रूपये दिए हैं लेकिन उनके हाथ में तो 12 पैसे भी नहीं आये। कहने को सब कहते हैं कि विकास होगा लेकिन आज भी विकास नहीं हुआ है। अभी 6 महीने पहले की ही बात है, दिन-भर में चार प्रत्याशी आते थे, हाथ-पांव जोड़ते थे। कहते थे कि जीत जाएंगे तो ये करेंगे वो करेंगे लेकिन जब जीत गए तो फिर दोबारा नहीं आये।
वह आगे कहती हैं कि 2022 का चुनाव आ रहा है इसलिए हर विभाग से लोग आ रहे हैं। आज उनकी स्थिति इतनी बुरी हो गयी है कि एक टाइम खा रहे हैं और एक टाइम नहीं खा रहें। सरकार ने वादा करना तो शुरू कर दिया है पर ये वादा कब तक चलता है? सिर्फ तब तक जब तक सरकार नहीं बन जाती। उनके यहां पहले अखिलेश कुमार की सरकार थी तो उन्हें राशन और मिट्टी का तेल मिल रहा था। जब से नई सरकार आई तो मिट्टी का तेल बंद हो गया, बिजली का बिल दुगना हो गया। सरकार उन्हें क्या रोज़गार देगी जब सरकार ही उन्हें हटा रही है।
बिंदु आगे बताते हुए कहती हैं कि उन्होंने सुना है कि कांग्रेस की प्रियंका गाँधी महिलाओं और लड़कियों को स्कूटी देंगी। कहने के लिए तो सब वादे कर रहे हैं पर वादा किस काम का जब गरीबी वहीं की वहीं है। हर चुनाव में वोट तो देते हैं पर जनता का विकास जहां का तहाँ रह जाता है।
जब प्रियंका गाँधी वोट के लिए जनता को मुफ्त का सामान बाँट रही हैं तो योगी सरकार पीछे क्यों रहे? योगी सरकार ने भी युवाओं में टेबलेट और स्मार्टफोन बांटने का ऐलान कर दिया है- 25 अक्टूबर 2021, टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की रिपोर्ट
मोहन का कहना है कि अभी 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री का वारणसी में आगमन हुआ था तो इसमें रैली भी निकली थी। वह भी रैली में यह सोचकर गए थे कि वह अपनी समस्याएं ज़रूर कहेंगे लेकिन जाने के बाद उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ा। वहां मौजूद सुरक्षाबलों ने उन्हें आगे ही नहीं जाने दिया तो वह लोग बात कहाँ से कहेंगे।
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बहुमत से होगी 2022 चुनाव में जीत – सपा कार्यकर्ता
सपा कार्यकर्ता के राष्ट्रिय सचिव संदीप सिंह आगामी चुनावों का हवाला देते हुए लोगों से कहते हैं कि उनकी सरकार साल 2022 का चुनाव बहुमत से जीतेगी। सरकार बनने के बाद उनकी पार्टी सबसे पहले महंगाई कम करेगी, बिजली के बिल आधे करेगी, छात्रों को सुविधायें और नौजवानों को नौकरी मिलेगी। उनकी सरकार सिर्फ जनता के मुद्दे पर काम करती है।
वाराणसी के युवा सरकार के काम से खुश नहीं
हमने विकास के मुद्दे को लेकर वाराणसी के युवाओं से उनकी राय जानने की कोशिश की। आपको बता दें, योगी सरकार द्वारा 186 करोड़ की लागत से शिवलिंग की आकृतिनुमा में रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर वाराणसी के सिगरा में बनाया गया है। यह दो मंजिला केंद्र सिगरा क्षेत्र में 2.87 हेक्टेयर ज़मीन पर बनाया गया है और इसमें 1,200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है, लेकिन इस रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से वाराणसी के युवा खुश नहीं हैं।
युवा विनय चौबे कहते हैं, ‘ रुद्राक्ष बनाने से और बड़े-बड़े मॉडल बनाने से देश नहीं चलता। हमें बेरोज़गारी पर बात करनी चाहिए, हमें भ्रष्टाचार पर बात करनी चाहिए, हमें महंगाई पर बात करना चाहिए। सरकार ने रुद्राक्ष बनाया अच्छी बात है लेकिन इसमें कितने लोग प्रवेश कर रहे हैं? तीन लाख रूपये हमारे पास तो नहीं है कि मैं प्रवेश करूँगा तीन घंटे के लिए। तीन लाख रूपये रहेगा तो मैं अपने परिवार का पालन पोषण करूँगा। रुद्राक्ष तो लॉलीपॉप है, ढकोशला है। मुझे नरेंद्र मोदी जैसा सांसद नहीं चाहिए। ‘
जब हमने पूछा कि रुद्राक्ष सेंटर से यहां के युवाओं को कुछ लाभ मिल रहा है? इसके जवाब में सेंटर के पास मौजूद हरीश मिश्रा कहते हैं कि, ‘वाराणसी में जो कोई बड़ा प्रतिष्ठान बन रहा है उसमें बनारसियों को बस चपरासी लेवल का स्थान दिया जा रहा है।’
रिपोर्टिंग के दौरान युवाओं ने हमें यही बताया कि वाराणसी की जनता के लिए रुद्राक्ष सेंटर में कोई रोज़गार की सुविधा नहीं है। यह सब बाहर के लोगों के लिए है। वहीं अन्य युवाओं का कहना है कि सेंटर की जगह सरकारी कॉलेज या अस्पताल खुलता जिसमें कम फीस होती तो वह ज़्यादा खुश होते। जिले में रोज़गार न होने की वजह से पढ़े-लिखे युवा अन्य राज्यों में जाकर मज़दूरी कर रहे हैं। कोई ढाबा चला रहा है तो कोई वॉचमैन का काम कर रहा है।
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मार्च 2022 तक मुफ्त राशन देने की योजना
इतना ही नहीं टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की 25 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार सरकार, मार्च 2022 तक मुफ्त राशन देने की भी योजना बना रही है। केंद्र सरकार 3 किलो गेहूं, 2 किलो चावल के साथ उसमें 1 किलो दाल, 1 लीटर तेल और 1 पैकेट नमक भी जोड़ने का प्लान कर रही है। इस साल जून में सरकार ने राशन योजना के तहत दिवाली तक मुफ्त राशन देने की बात कही थी। जिसका असर देखने को भी मिला है। इस योजना को अगले साल तक बढ़ाने का मतलब है बड़े पैमाने पर जनता के पेट के ज़रिये वोट को अपनी झोली में डालना।
आगामी चुनाव को लेकर पार्टियां मुफ्त सामान का लालच देकर जनता को अपनी तरफ खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी और भाजपा में आने वाले चुनाव को लेकर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। एक तरफ सपा पार्टी चुनाव जीतने का दावा करते हुए दिखाई दे रही है तो वहीं भाजपा गठबंधन और रुद्राक्ष सेंटर आदि चीज़ें बनाकर जनता को लुभाने की कोशिश कर रही है। लेकिन अब वाराणसी जिले के युवा और जनता पार्टियों के खोखले वादों को समझ चुके हैं। उन्हें पता है कि उन्हें अपने लिए किसकी सरकार चुननी है।
इस खबर की रिपोर्टिंग कुमकुम यादव और सुशीला देवी द्वारा की गयी है।
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