खबर लहरिया Blog आज भी पाकिस्तान की जेल में कैद हैं बांदा जिले के दो मछुआरे

आज भी पाकिस्तान की जेल में कैद हैं बांदा जिले के दो मछुआरे

मछुआरे महेंद्र कुमार जो पिछले साल ही पाकिस्तान की जेल से आए हैं। वे बताते हैं कि जब वह लोग अपनी स्ट्रीमर (बड़ी नाव) लेकर मछली पकड़ने के लिए समुद्र के बीच में जाते हैं, तो उन्हें भारत और पाकिस्तान की सीमा का पता नहीं चल पाता है। समुद्र की ऊंची उठती लहरों के बीच पता नहीं कब पाकिस्तान की सीमा में पहुंच जाते हैं। आगे बताया कि, जब उन्होंने गलती से सीमा पार कर दी तो उसके बाद उन्हें पाकिस्तान की नौसेना ने पकड़ कर कराची जेल में बंद कर दिया था। वह लगभग दो साल की जेल काट कर पिछले साल आये हैं पर भाई अभी तक नहीं आया। उन्हें चिन्ता सता रही है, थाना और मीडिया में भी ये खबर आई है।

Two fishermen of Banda district imprisoned in Pakistan jail

                                                                     मछुआरे महेंद्र कुमार की तस्वीर जो अभी हाल ही में पाकिस्तान जेल से रिहा होकर आए हैं ( फोटो साभार – गीता देवी/ खबर लहरिया)

रिपोर्ट – गीता देवी, लेखन – सुचित्रा 

उत्तर प्रदेश के बाँदा जिला, तिन्दवारी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जसईपुर गांव के अधिकतर मछुआरे 2021 से ही मछलियां पकड़ने का काम करने गुजरात जाते हैं। बेरोजगारी के चलते उन्हें अपना शहर, गांव छोड़ कर जाना पड़ता है। मछलियां पकड़ते समय 2021 में सीमा पार करने को लेकर पाकिस्तान की नौसेना ने बहुत से मछुआरों को पकड़ लिया था। उन मछुआरों में कुछ लोग पिछले साल 2023 में छूट कर आ गए थे, पर दो लोग अभी भी पाकिस्तान की कराची जेल में बंद है। उनके परिवार वाले काफी चिंतित हैं और लगातार उसकी रिहाई की गुहार लगा रहे हैं। खबर लहरिया ने पाकिस्तान की जेल से आए महेंद्र कुमार से इस बारे में बात की।

ये भी देखें – पाकिस्तान जेल से रिहा हुए मछुआरे, परिवार खुश

पोते की राह में दादी की तरस रही आंखें

Two fishermen of Banda district imprisoned in Pakistan jail

                                            शैलेन्द्र कुमार की तस्वीर जो आज भी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं ( फोटो- खबर लहरिया)

शैलेंद्र की दादी दुर्जनियां बताती हैं कि अपने पोते की वापसी की राह देखते- देखते उनकी आंखें पथरा गई हैं। वह लोग शासन-प्रशासन से उसकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। उनका बड़ा पोता महेंद्र कुमार तो पिछले साल किसी तरह छूटकर आ गया था लेकिन छोटा पोता अभी भी फंसा है।

पाकिस्तान से जुड़ी है गुजरात की सीमा

मछुआरे महेंद्र कुमार जो पिछले साल ही पाकिस्तान की जेल से आए हैं। वे बताते हैं कि जब वह लोग अपनी स्ट्रीमर (बड़ी नाव) लेकर मछली पकड़ने के लिए समुद्र के बीच में जाते हैं, तो उन्हें भारत और पाकिस्तान की सीमा का पता नहीं चल पाता है। समुद्र की ऊंची उठती लहरों के बीच पता नहीं कब पाकिस्तान की सीमा में पहुंच जाते हैं। आगे बताया कि, जब उन्होंने गलती से सीमा पार कर दी तो उसके बाद उन्हें पाकिस्तान की नौसेना ने पकड़ कर कराची जेल में बंद कर दिया था। वह लगभग दो साल की जेल काट कर पिछले साल आये हैं पर भाई अभी तक नहीं आया। उन्हें चिन्ता सता रही है, थाना और मीडिया में भी ये खबर आई है।

गुजरात में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का काम

महेंद्र कुमार बताते हैं कि गांव में रोजगार के कोई साधन नहीं है। घर में कोई खेती बाड़ी भी नहीं है कि कोई सहारा हो। इसलिए वह और उनके गांव के और भी बहुत से लोग गुजरात के ओखा और पोरबंदर बंदरगाह रोजगार के लिए जाते हैं। वहां पर समुद्र से मछलियां पकड़ने का काम बड़े पैमाने पर करते हैं। वहां पर उनको मछलियों को पकड़ने के लिए नौकरी दी जाती है इसके बदले में उन्हें अच्छा पैसा भी मिलता है। इन पैसों से ही उनका और उनके परिवार का गुजर-बसर अच्छे से होता है। गांव में न तो रोजगार है और न ही अच्छी मजदूरी है। परिवार है तो काम करना भी जरूरी है। अकेले रहो तो कैसे भी खर्च चल जाएगा,पर परिवार को पालने के लिए पैसे की जरूरत होती है।

अब नहीं पार करते हैं सीमा

महेंद्र बताते हैं कि “मछली पकड़ने का काम करने के लिए लोग अब भी गुजरात जाते हैं लेकिन अब सीमा पार नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरफ से भारत की सेना लगी रहती है और उस तरफ पाकिस्तान की। वह लोग सेना के साथ रहते हैं इसलिए अब पार नहीं कर पाते हैं। एक स्टीमर जहाज में सात लोगों की टीम होती है जो मछलियां पकड़ने के लिए मिलकर काम करती है।”

अब तो बेटे से बात भी नहीं हो पाती

पिता रामलाल ने बताया कि “पहले फोन से बेटे से बात हो जाती थी। इधर पिछले कई महीने से फोन से भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। मेरा बेटा किस हाल में है और कब तक आएगा? यह सोचकर रात में नींद भी नहीं आती है। शैलेंद्र तीन भाइयों में से सबसे छोटा है। शैलेंद्र की शादी नहीं हुई थी। उसकी शादी की बातचीत चलने लगी थी और गांव में बेरोजगारी तो है ही इसलिए वह अपने साथियों के साथ गुजरात मछुआरे का काम करने चला गया था। क्या पता था कि वहां जाकर ऐसे हो जाएगा। मैं चाहता हूँ, किसी तरह बस बेटा घर आ जाए।”

2023 में तीन मछुआरे हुए थे रिहा

गांव के प्रधान प्रतिनिधि बताते हैं कि गांव के बहुत लोग पाकिस्तान जेल में बंद थे लेकिन पिछले साल कुछ लोग रिहा हो गए हैं। दो लोग अभी भी पाकिस्तान जेल में बंद है, राममिलन का लड़का शैलेंद्र और संजय का लड़का (उसको गांव में लोग एलियन कहते थे)। जब खबर लहरिया की रिपोर्टर ने उनसे सवाल किया कि वह इस मामले में किस तरह का सपोर्ट करते हैं? उन्होंने बताया कि “थाने में मामला दर्ज कराया गया था। थाने से गांव की डिटेल और जिन परिवारों के लोग गए थे, उनकी डिटेल मांगी गई थी। इसके बाद वह लोग रिहा होकर आए हैं, जो दो लोग बचे हैं अब देखते हैं कि वह कब तक आते हैं?”

पहले भी पकड़े गए हैं कई मछुआरे

9 नवंबर 2017 को सिंघौली के रहने वाले राजू कुशवाहा और महेदु के बेटे को गुजरात के ओखा बंदरगाह के पास समुद्र में मछली पकड़ते हुए पाकिस्तान के सैनिकों ने पकड़ लिया था। जिनका नाम कुशवाहा था। उन्होंने बताया कि 6 लोगों को सैनिकों ने पकड़ लिया था। 29 जनवरी 2022 को वे अपने घर आ गए। उन्होंने पाकिस्तान की लाडी कराची जेल में 4 साल 3 महीना बिताए। जेल में उनसे मारपीट तो नहीं की गई पर कई तरह के सवाल पूछे गए।

राजू कुशवाहा ने कहा, “मद्रास और गुजरात के मछुआरे 2020 में पाकिस्तान से छूट कर आए तो उन्हें 3-4 लाख दिए गए लेकिन सरकार ने हमें नहीं दिए। हमें भी मिलता तो घर बनाते।” आप खबर लहरिया की इस रिपोर्ट में देख सकते हैं।

ग्रामीण लोग पैसा कमाने के लिए इस तरह का काम चुनते हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आए, पर उन्हें क्या पता सरकार उन पर इतना ध्यान नहीं देती। उनकी कोई खोज खबर नहीं मिल पाती है। गुजरात के समुद्र में मछली व्यापार में बहुत पैसे हैं इसके लिए मछुआरे लोग वहां जाते हैं और फंस जाते हैं। आज भी न जाने कितने लोग पाकिस्तान की जेल में कैद है शायद उनकी खबर किसी को नहीं। सरकार भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती जो इन मछुआरों के लिए हो। उन्हें यही काम आता है और सरकार अगर कोई काम देती तो उन्हें इस तरह का संघर्ष नहीं करना पड़ता।

 

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