स्वाद भी सेहत भी और हाँ त्यौहार भी: तिल के लड्डू :जैसे कि सबको मालूम है कि मकरसंक्रांति का त्यौहार वर्ष में एक बार ही आता है मकर संक्रांति का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है, जो सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है, जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है।ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है।
इस त्यौहार में पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील में अजय पाल किले में का भव्य मेला भी लगता है जिसमें काफी दूर-दूर के लोग आते हैं. इस त्यौहार में वैसे तो कई पकवान बनते है जैसे खिचड़ी मुंगौड़े दहीबड़े इत्यादि लेकिन सबसे ज्यादा महत्त्व तिल से बने लड्डू का होता है
जिसके बिना ये त्यौहार अधूरा है. इसकी तैयारी है दिन पहले से शुरू हो जाती है. लोग तिल को धो कर सूखते है उसे भूनते हैं फिर कूटते और गुड़ का सिरा बना उसके लड्डू बनाते है.
सभी के घर में ये लड्डू निश्चित ही बनाए जाते हैं और फिर सब लोग लड्डू खाते और अपने दोस्तों को भी खिलाते हैं। इस त्यौहार में तिल का मुख्य महत्व है क्योंकि मकरसंक्रांति के त्योहार को गांव में लोग तिलैया भी कहते हैं तिलैया से तात्पर्य तिल से है.
मकर संक्रांति सभी जगह मनाने वाला त्यौहार है लेकिन नियम सभी जगह के अलग-अलग होते हैं जैसे की मध्य प्रदेश के पन्ना जिले का नियम यही है कि तिल्ली के लड्डू बनाए जाते हैं और लोग इस लड्डू ही सबसे पहले खाते हैं और तिल के पानी से स्नान किया जाता है और इस प्रकार यह त्यौहार संपन्न किया जाता है.