खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए विद्या बालन के फ़िल्मी सफर की कहानी : आओ थोड़ा फ़िल्मी हो जाएँ

विद्या बालन के फ़िल्मी सफर की कहानी : आओ थोड़ा फ़िल्मी हो जाएँ

हैल्लो दोस्तों सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं ! कहते हैं हीरे की चमक तब निखर कर आती है जब उसे अच्छी तरह से तराशा जाता है. बॉलीवुड में कुछ ऐसे ही कलाकार हैं जिनकी चमक आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कायम है. जिनमें से एक नाम विद्या बालन का है जिन्होंने अपने जीवन के कड़े संघर्ष के बाद सफलता का वह चरण हासिल कर लिया है जिससे वे भारतीय महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं. आज नए साल का पहला दिन है साथ ही इस अभिनेत्री का बर्थडे भी है तो आज जानते है उनके जीवन की कुछ दिलचस्प कहानियां तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते है.

विद्या बालन का जन्म 1 जनवरी 1978 को केरल के एक पलक्कड़ अय्यर परिवार में जन्मी थी. बालन मुंबई में बड़ी हुई और संत अन्थोनी गर्ल्स उच्च विद्यालय, चेम्बूर में पढ़ी.इन्होने समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए सेंट जेवियर्स कॉलेज में अपनी आगे की शिक्षा ली और बाद में मुंबई विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की।इनके माता पिता तमिलियन मूल के माता-पिता के हैं. इनके पिता पी. आर. बालन जो एक डिजीकेबल के कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं और इनकी माता, सरस्वती बालन है, जो एक गृहिणी हैं. इनके माता पिता तमिल व मलयालम दोनों बोलते हैं घर पर. इनकी बड़ी बहन प्रिय बालन है जो विज्ञापनो में काम करती हैं.

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अपने करियर की शुरुआत उन्होंने तमिल फिल्मों और टीवी शो से की. 16 साल की उम्र में धारावाहिक “हम पांच” में छोटी-सी भूमिका निभा चुकी विद्या बालन के विषय में बहुत कम दर्शकों ने ही अनुमान लगाया होगा कि बेहद साधारण-सी दिखने वाली ये अभिनेत्री एक दिन बड़े पर्दे की लोकप्रिय और सफल अभिनेत्रियों में शामिल हो जाएगी. हालांकि, “हम पांच” और “हंसते-हंसते” जैसे धारावाहिकों में कुछ दिनों तक अपनी अभिनय-प्रतिभा का प्रदर्शन करने के बाद विद्या ने जल्द ही छोटे पर्दे से किनारा कर लिया. इस बीच वे कई टेलीविजन कमर्शियलों और म्यूजिक वीडियो में नजर आयीं. इसी दौरान विद्या की मुलाकात प्रदीप सरकार से हुई. चूंकि, उन दिनों प्रदीप ने भी पहली बार फिल्म-निर्देशन में अपना हाथ आजमाने का निर्णय किया था इसलिए उन्होंने अपनी फिल्म “परिणीता” के लिए नायिका के रूप में विद्या बालन का चयन किया. इस तरह विद्या की फिल्मी-पारी की शुरुआत हो गयी. पहली ही फिल्म परिणीता में विद्या ने अपनी अभिनय-क्षमता का बेहतरीन प्रमाण दिया और अपनी शुरुआती प्रभावी पहचान बनाने में सफल रहीं. जल्द ही वे कई बड़े और दिग्गज निर्माता-निर्देशकों की पसंद बन गयी. उनकी झोली में कई बड़ी फिल्में आनी शुरू हो गयीं.

विद्या ने सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि अन्य भाषाओं में भी फिल्में की है. अपने फिल्मी करियर के आरंभ में साल 2004 में बंगाली फिल्म के अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए आनंद लोक पुरस्कार प्राप्त हुआ. उस बंगाली फिल्म का नाम भालो थेको था जिसके लिए उनके बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें सराहा गया। वहीं बॉलीवुड में भी विद्या ने अभिनय करके खुद को स्थापित किया, जिसने उन्हें महत्वपूर्ण मान्यता और पुरस्कार भी दिलाये. 2006: पहली महिला सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार परिणीता के लिए मिला फिर उन्होंने कई सुपर हिट फिल्मे लगातार दी है. भूल भुलैया , पा , ब्लैक कॉमेडी इश्किया , थ्रिलर्स नो वन किल्ड जेसिका और कहानी और बायोपिक द डर्टी पिक्चर में काम किया. द डर्टी पिक्चर के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। तो ये थी विद्या के जीवन से जुडी कुछ रोचक बातें मिलते है अगले एपिसोड में किसी और कहानी के साथ तब तक के लिए नमस्कार और एक बार फिर से हैप्पी न्यू ईयर.

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