आज हम आपको बुंदेलखंड के कुछ मशहूर पकवानों से रूबरू करवाएँगे, जिनके बारे में पढ़कर शायद आप अगली बारिश का मज़ा इन चीज़ों के साथ ही उठाएं।
सावन का मौसम लेकर आता है ख़ुशियाँ, उत्सव और ढेर-सारे स्वादिष्ट पकवान। बरसात के मौसम में आप में से हर किसी का कभी न कभी बारिश में भीगते हुए सड़कों पर टहलने का मन तो ज़रूर किया होगा। और कई बार आपने अपने परिवार के साथ बारिश का मज़ा लेने के लिए आसपास के ढाबों पर भी पहुँचे होंगे। हल्की से बरसात, गरमा गरम पकौड़े और चाय की चुस्कियों का मज़ा भी आप सब ने उठाया होगा।
आज हम आपको बुंदेलखंड के कुछ मशहूर पकवानों से रूबरू करवाएँगे, जिनके बारे में पढ़ कर शायद आप अगली बारिश का मज़ा इन चीज़ों के साथ ही उठाएं।
1. कचौड़ी-
वैसे तो कचौड़ी देशभर में खाई जाती है और लाखों लोगों की पसंदीदा है, लेकिन क्या आपको पता है कि कचौड़ी का आविष्कार बुंदेलखंड में हुआ था। इसीलिए यहाँ के ज़्यादातर मिष्ठान भंडारों पर आप अलग-अलग प्रकार की कचौड़ियों का मज़ा ले सकते हैं। पर जो मज़ा बरसात के मौसम में माँ के हाथ की बनी गरमा-गर्म आलू और दाल से भरी कचौड़ियों को खाने में आता है, वैसा स्वाद आपको कहीं और नहीं मिल सकता। तो अगली बार अगर बारिश का असली लुत्फ़ उठाना है तो कचौड़ियां बना कर अपने परिवार के साथ सावन का आनंद लेना मत भूलियेगा।
2. अरबी के पत्ते की पकौड़ी-
बारिश हो और हम पकौड़े न खाएं? ऐसा तो हो ही नहीं सकता! हमारे देश में बरसात के मौसम में चाय और पकौड़े खाने का ये रिवाज दुनिया भर में मशहूर है। यहाँ तक कि विदेश से घूमने आ रहे पर्यटक भी हिन्दुस्तानी पकौड़ों के प्रशंसक हो जाते हैं। आपने आलू, प्याज, गोभी और कई अन्य सब्ज़ियों की पकौड़ियाँ खाई होंगी। लेकिन क्या आपने कभी अरवी के पत्तों की पकौड़ी खाई है? यह भी यूपी की कुछ चुनिंदा और विशेष तरह के व्यंजन में से एक है। अरवी के हरे-भरे पत्तों को बेसन में लपेट कर बनने वाली इन पकौड़ियों का भी असली स्वाद रिमझिम बारिश के साथ ही आता है। तो क्यों न आप भी इस बरसात इन पकौड़ियों का लुत्फ़ उठाइये।
3. महुआ से बने पकवान-
बुंदेलखंड के लिए वरदान कहे जाने वाले महुआ के बारे में तो आप सब जानते होंगे। और इससे बननी वाली कई तरह की चीज़ों को भी आपने खाया होगा। लेकिन बुंदेलखंड के बाज़ारों में महुआ का असली महत्त्व तो सावन में ही देखने को मिलता है। चारों तरफ महुआ से बनी अलग-अलग प्रकार की चीज़ें, हमारा दिल लुभा लेती हैं। अगर आपको कभी सावन के महीने में बुंदेलखंड आने का मौका मिले तो यहाँ की मशहूर महुआ की डोभरी, महुआ का लाटा, और महुआ-चने की दाल का लुत्फ़ उठाना बिलकुल मत भूलिएगा।
4. गेहूं की गुरधानी-
किसी भी त्योहार, उत्सव और मौसम का असली मज़ा तभी आता है जब साथ में कुछ मीठा हो। और बुंदेलखंड में आपको मीठे के एक नहीं अनेक व्यंजन खाने को मिल जाएंगे। लेकिन बारिश के मौसम में यहाँ सबसे चाव से खाया जाने वाला मीठा पकवान है गेहूं की गुरधानी। गेहूं की गुरधानी को बनाने के लिए पहले गेहूं को अच्छे से भूना जाता है और फिर उसमें गुड़ मिलाकर खाया जाता है। सावन के महीने में लोग इस गुरधानी को खाना सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं। तो अगर आप बुंदेलखंड से नहीं हैं और इस स्वादिष्ट पकवान के बारे में आपने पहली बार सुना है, तो क्यों न आप आज ही ये बनाइये और हाँ, हमें यह बताना मत भूलिएगा की कैसी लगी आपको गेहूं की गुरधानी।
5. चने की बहुरी-
भारत में बरसात के मौसम में भुने चने खाने का रिवाज भी सालों पुराना है। देश के अलग-अलग हिस्सों में चने के सैकड़ों पकवान आपको खाने को मिल जाएंगे। दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में बारिश होते ही लोग सड़कों पर भुने हुए चने, या भेल- पुरी की तलाश में निकल पड़ते हैं। वहीँ छोटे शहरों में भी बरसात के मौसम में गली-गली में आपको एक व्यक्ति भुने हुए चनों का ठेला लगाए दिख जाएगा। कुछ लोग चनों को मकई के दानों के साथ खाना पसंद करते हैं, तो कुछ लोग इसे मुरमुरे और सेव के साथ मिलाकर खाते हैं। बुंदेलखंड में भी सावन का मौसम आते ही घर-घर में चने भूनने का काम शुरू हो जाता है और बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी बारिश का मज़ा चने की बहुरी के साथ उठाते हैं।
अगर हम पकवानों की बात करने बैठ गए, तो शायद सावन बीत जाएगा लेकिन हिंदुस्तानी व्यंजन नहीं ख़तम होंगे और यही तो हमारे देश की पहचान है, हर मोड़ पर एक नयी भाषा, एक नया अंदाज़ और हाँ ढेरों अलग-अलग तरह के खान-पान।भारत की इसी खूबसूरती का स्वाद चखने दुनिया भर से लोग आते हैं और अपने साथ ले जाते हैं यहाँ की परम्पराएं, हर मौसम को त्योहार की तरह मनाने का उल्लास, और भोजन के रूप में कुछ खट्टी-मीठी और चटपटी यादें। तो इस बरसात क्यों न आप भी अपनी सारी परेशानियों को दिमाग से निकालकर कुछ दिन सावन का लुत्फ़ उठाइये और इन सभी व्यंजनों का मज़ा अपने परिवार के साथ मिलकर उठाइये।
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