खबर लहरिया Blog महाराष्ट्र के रंजीत सिंह दिसाले ने जीता वैश्विक शिक्षक सम्मान, इनाम की आधी राशि 9 फ़ाइनलिस्ट में बांटी

महाराष्ट्र के रंजीत सिंह दिसाले ने जीता वैश्विक शिक्षक सम्मान, इनाम की आधी राशि 9 फ़ाइनलिस्ट में बांटी

महाराष्ट्र के रहने वाले 32 साल के रणजीत सिंह दिसाले को इस साल का वैश्विक शिक्षक सम्मान दिया गया है। उन्हें यह सम्मान लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिला है। इनमें अधिकतर लड़कियां पश्चिमी भारत के ग्रामीण स्कूलों में गरीब आदिवासी समुदाय से हैं। उन्हें यह सम्मान जीतने के बाद 10 लाख डॉलर यानी 7.38 करोड़ रुपए इनाम के तौर पर दिए गए।

Ranjit Singh Disale of Maharashtra wins Global Teacher Award

प्राइज़ आर्गेनाईजेशन के मुताबिक, रंजीत को यह सम्मान महाराष्ट्र राज्य के परिटेवादी जिले परिषद के प्राइमरी स्कूल में लड़कियों के लिए नए अवसर उपलब्ध कराने और उन्हें तकनीक से जोड़ने के लिए दिया गया। 

 9 फाइनलिस्ट को देंगे 55-55 हज़ार डॉलर

वैश्विक शिक्षक सम्मान की घोषणा अभिनेता और लेखक स्टीफन फ्राई ने लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम में आभासी समारोह (वर्चुअल) में की थी। जीतने के बाद रंजीत सिंह दिसाले कहते हैं कि वह मिले हुए पैसों में से आधा हिस्सा नौ अन्य फाइनलिस्ट के साथ बांटेगे। यानी 7.38 करोड़ में से सभी नौ फाइनलिस्ट को 55-55 हज़ार डॉलर ( 40.6 लाख) रुपए मिलेंगे। इस अवार्ड की स्थापना वाकरे फाउंडेशन द्वारा की गयी थी और इस अवार्ड को यूनेस्को के सहयोग से दिया जाता है। 

पढ़ाने के लिए सीखी कन्नड़, फिर किया किताबों का अनुवाद

दिसाले ने साल 2009 से शिक्षक के तौर पर पढ़ाना शुरू किया था। वह महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव से हैं। वहां स्कूल के नाम पर बस इमारत थी, जिसकी हालत बेहद खराब थी। गांव में लड़कियों को शिक्षित करना ज़रूरी नहीं समझा जाता था। 

इसके अलावा जिले की मुख्य भाषा कन्नड़ थी और उस भाषा में कोई भी पाठ्यक्रम नहीं था। फिर दिसाले ने सबसे पहले कन्नड़ भाषा सीखी। फिर एकएक करके सभी किताबों को मातृभाषा में अनुवाद किया। 

बच्चों को तकनीक से जोड़कर दी शिक्षा

इसके अलावा उन्होंने पढ़ाई को तकनीक से जोड़ दिया। इसमें उन्होंने डिजिटल लर्निंग टूल का इस्तेमाल किया। हर बच्चे के लिए अलगअलग प्रोग्राम बनाए। बच्चों के लिए क्यूआर कोडेड टेक्स्टबुक्स तकनीक का इस्तेमाल किया ताकि सभी बच्चे अपनी ही भाषा में कविताएंकहानियां सुन सकें। अब विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति 100 फीसदी तक है। 

क्या होता है क्यूआर कोड?

क्यूआर कोड का पूरा नाम क्विक रिस्पॉन्स कोड है यानी क्लिक करते ही जवाब जल्दी से जाता है। इसे बारकोड की अगली पीढ़ी भी कहा जाता है जिसमें हजारों जानकारियां सुरक्षित रहती हैं। अपने नाम के ही मुताबिक ये तेजी से स्कैन करने का काम करता है। ये वर्ग आकार के कोड होते हैं, जिसमें सारी जानकारी होती है। किसी उत्पाद, फिर चाहे वो किताबें हों या अखबार या फिर वेबसाइट सबका एक क्यूआर कोड होता है। जिसे हम स्कैन करके आसानी से कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

विश्व शांति के लिए की थी प्रोजेक्ट की शुरुआत

 दिसाले ने सूखे से जूझ रहे जिलों में पर्यावरणीय परियोजनाओं की भी शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंनेलेट्स क्रॉस बॉर्डरप्रोजेक्ट के ज़रिए विश्व शांति को भी बढ़ावा दिया। इसमें उन्होंने भारत पाकिस्तान, फिलिस्तीन इज़राइल, इराक ईरान और अमेरिका नार्थ कोरिया के युवाओं को भी आपस में जोड़ा।

रंजीत सिंह दिसाले ने लड़कियों की ज़िंदगी को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो भी उस समय जब कोरोना महामारी ने सबके जीवन को उथलपुथल करके रख दिया। स्कूल, डिजिटल पढ़ाई में तब्दील हो गए। ऐसे में शिक्षा को पहुंचना और उसमें योगदान करना बहुत बड़ा काम है।