खबर लहरिया Blog स्कॉटलैंड देश बना “पीरियड प्रोडक्ट्स” मुफ्त करने वाला पहला देश, “पॉवर्टी पीरियड” को की खत्म करने की पहल

स्कॉटलैंड देश बना “पीरियड प्रोडक्ट्स” मुफ्त करने वाला पहला देश, “पॉवर्टी पीरियड” को की खत्म करने की पहल

25 नवंबर 2020 को स्कॉटलैंड देश द्वारा पीरियड्स से सबंधित उत्पादों को क़ानूनी रूप से मुफ्त घोषित कर दिया है। इसके साथ ही स्कॉटलैंड दुनिया में ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने मासिक धर्म से जुड़े उत्पादों को मुफ्त किया है। स्कॉटलैंड की संसद ने सबकी सहमति से इस बिल के पक्ष में मतदान करके बिल को प्रस्तावित किया है। इस बिल का नाम पीरियड प्रोडक्ट्स एक्ट रखा गया। साथ ही इस बिल के साथ स्कॉटलैंड नेपॉवर्टी पीरियड्सको भी खत्म करने की पहल कर रहा है।

इतना होगा सालाना खर्च

इस विधेयक का सालाना खर्च 8.7 मिलियन यूरो यानी भारतीय रुपयों में कहा जाए तो लगभग 76 करोड़ 50 लाख 92 हज़ार रुपए आएगा। मोनिका लेनिन जो की स्कॉटिश देश की संसद की सदस्य हैं वह कहती हैं कि इस समय पूरी दुनिया की नज़र स्कॉटलैंड पर है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक महामारी की बीच यह सन्देश देना बहुत ज़रूरी है कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को राजनीतिक मुद्दा ना बनाया जाए। आंकड़े बताते हैं कि स्कॉटलैंड में लगभग 20% महिलाएं गरीबी में रहती हैं, जो मासिक धर्म के समय सैनिटरी पैड नहीं खरीद पातीं। 

क्या होता है पीरियड पॉवर्टी?

इसका अर्थ है कि जब कम आय वाले लोग ज़्यादा कीमत वाले सैनिटरी पैड या मासिक धर्म के उत्पादों को नहीं खरीद पाते, तो उन लोगों के लिए पीरियड पॉवर्टी शब्द का इस्तेमाल किया गया है। लगभग पांच दिनों तक चलने वाले मासिक धर्म मे  टैम्पोन और सैनिटरी पैड के लिए £ 8 यूरो ( भारतीय रुपयों में तकरीबन 590 रुपए) तक का खर्च होता है। इतनी ज्यादा कीमत हर एक महिला नहीं दे सकती। 

कैनकन 4, 2020 की रिपोर्ट में प्रकाशित सर्वेक्षण के अनुसार ब्रिटेन देश में 14 से 21 वर्ष की आयु के बीच की लगभग 10 महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान मासिक धर्म के उत्पादों को ख़रीदने में संघर्ष का सामना किया है। साथ ही यह भी बताया गया कि पांच में से एक महिला ऐसी भी होती थीं जिन्हें सैनिटरी पैड की दुकान खोजने में मुश्किल हई थी या वह घर छोड़ने में असमर्थ थीं।इंग्लैंड देश ने पिछले साल 2019 में सभी स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी उत्पाद उपलब्ध कराने की पहल शुरू की थी और न्यूजीलैंड ने इस साल की शुरुआत में ऐसा ही किया था।

2019 में पेश किया गया था बिल

यह बिल नार्थ आयरशायर कॉउन्सिल द्वारा पहले से किये जा रहे काम पर आधारित होगा। इस जगह पर साल 2018 से ही कई सार्वजनिक इमारतों में टैम्पॉन और सेनेटरी पैड मुफ्त कर दिया गया था। मासिक धर्म से जुड़े उत्पादों को मुफ्त करने का विधेयक स्कॉटिश सांसद मोनिका लेनिन द्वारा साल 2019 में पेश किया गया था। 

यह है मोनिका लेनिन का कहना

मोनिका लेनिन स्कॉटिश संसद की सदस्य हैं। लेनिन ने विधेयक के पास होने के बाद कहा किइससे महिलाओं के जीवन में काफी बड़ा परिवर्तन आएगा। साथ ही स्थानीय प्रशासन और सामुदायिक स्तर पर भी बदलाव देखने को मिलेगा और पीरियड्स के दौरान महिलाओं की सम्मान मिल सकेगा। यहां तक की पीरियड्स के बारे में बात करने में भी बदलाव देखा जा सकेगा। कुछ साल पहले तक हालीरुड चैम्बर ( जगह का नाम ) में पीरियड्स को लेकर बिल्कुल भी बात नहीं होती थी लेकिन अब यही बातें मुख्यधारा में हैं। ” 

इन जगहों पर उप्लब्ध रहेंगे मासिक धर्म के उत्पाद

पारित कानून के मुताबिक अब महिलाओं के लिए मासिक धर्म से जुड़े उत्पाद को सामुदायिक केंद्रों, युवा क्लबों, शौचालयों और फार्मेसियों में भी रखा जाएगा। साथ ही महिलाओं और लड़कियों को तय की जगहों पर टैम्पॉन और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराये जाएंगे। 

स्कॉटलैंड की प्रथम मंत्री का यह है कहना

स्कॉटलैंड की प्रथम मंत्री निकोला स्टर्जन ट्वीट करते हुए कहती हैं किइस आधारभूत कानून के लिए वोट करने का मुझे गर्व है। स्कॉटलैंड दुनिया का पहला देश है, जो उन सभी के लिए मुफ्त पीरियड्स के उत्पाद प्रदान करता है जिनकी उन्हें आवश्यकता है। महिलाओं और लड़कियों के लिए एक महत्वपूर्ण नीति।

चार साल के अभियान के बाद पास हुआ बिल

मासिक धर्म के उत्पादों और पीरियड पावर्टी (गरीबी) से लड़ने के लिए साल 2016 से अभियान चलाया जा रहा था। जिसमें मोनिका लेनिन सहित कई ट्रेड यूनियन और महिला संगठन शामिल थे। बिल पास होने के बाद लेनिन कहती हैं कि यहदुनिया के लिए एक संकेत है कि पीरियड्स के उत्पादों के लिए मुफ्त सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त की जा सकती है।

स्कॉटलैंड द्वारा उठाया गया यह कदम कितनी महिलाओं की समस्याओं को हल करेगा, यह तो कुछ समय बाद पता चलेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या बिल के अनुसार महिलाओं तक मासिक धर्म से जुड़े उत्पाद पहुंचेगे या नहीं? सभी गरीब और अन्य महिलाएं बिल का फायदा ले सके, सरकार यह बात किस तरह से सुनिश्चित करेगी?