खबर लहरिया ताजा खबरें विधानसभा चुनाव कि तैयारी, पड़ेगी किस पर भारी ? राजनीति,रस,राय

विधानसभा चुनाव कि तैयारी, पड़ेगी किस पर भारी ? राजनीति,रस,राय

विधानसभा चुनाव कि तैयारी, पड़ेगी किस पर भारी ? राजनीति,रस,राय

नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति रस राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। मैं फिर हाजिर हूं आपके साथ राजनीति में चल रही हलचल पर बातचीत करने के लिए। इस समय जिस तरह से चुनाव जीतने की होड़ चल रही है वह साफ तौर पर देखी जा सकती है चाहे वह ब्लाक प्रमुख हो या जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हो। इसके ही आड़ से तो 2022 में आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी की जाएगी।

इसलिए पार्टियां दलबदलू वाला खेल शुरू कर दी हैं। सबकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ता को अपनी पार्टी में शामिल कर सकें। भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस मतलब कोई भी पार्टी इस खेल को खेलने में पीछे नहीं है लेकिन विपक्ष के ऊपर सवाल खड़ा करने में भी चूकते नहीं हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल से सपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि सपा की इतनी हालत खराब है कि मीडिया में बने रहने के लिए छोटे छोटे कार्यकर्ताओं को भी अपनी पार्टी में शामिल कर रही है।

पार्टी बदलना मतलब किसी पद की उम्मीद रखना। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में तमाम राजनैतिक पार्टी अपनी पार्टी का अध्यक्ष बनता देखना चाहते हैं। लेकिन किसी भी पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए पर्याप्त जिला पंचायत सदस्य नहीं हैं। ऐसे में सभी दल निर्दलीय सदस्यों के बलबूते अध्यक्ष की कुर्सी हथियाने का प्रयास कर रहे हैं और पार्टी में शामिल कराने का शिलशिला शुरू कर दिए हैं। अगर बुंदेलखंड के जिले बांदा की बात की जाय तो यहां दो शीर्ष नेता भाजपा पार्टी को छोड़ सपा पार्टी में शामिल हो गए। मंत्री रह चुके शिवशंकर पटेल और जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी किरन वर्मा सपा पार्टी में शामिल हो गए हैं।

भाजपा ने अपने पैरों में कुल्हाड़ी पहले ही मार लिया है। क्योंकि पंचायत चुनाव के समय भाजपा समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ पूर्व मन्त्री शिवशंकर पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ रहीं थीं जिसके चलते भाजपा ने पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी को पार्टी से छः साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया था। जबकि कृष्णा पटेल जिला पंचायत सदस्य का चुनाव निर्दलीय जीत गईं।

यह सब देख पार्टी के अंदर भी खलबली मची हुई है। जनता भी सब देख और समझ रही है। जीत किसकी होगी यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन पार्टियों में कुर्सी के लिए इतना कम्पटीशन क्यों? अब राजनीति के मायने रोज रोज गिरते क्यों जा रहे हैं? कभी देश सुधार के मुद्दों पर भी इस तरह की तैयारी की जाएगी? आपकी नजर में है कोई ऐसा नेता या पार्टी? इस बारे में सोचिएगा जरूर।

साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!

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