खबर लहरिया क्राइम प्रयागराज : मेला अधिकारी की गाड़ी ने ली दलित दुकानदार की जान, कार्यवाही के नाम बीते 15 साल

प्रयागराज : मेला अधिकारी की गाड़ी ने ली दलित दुकानदार की जान, कार्यवाही के नाम बीते 15 साल

2007 में प्रयागराज मेला मैदान में एक दुकानदार राजू सोनकर की अपर मेला अधिकारी की गाड़ी से एक्सीडेंट से मौत हो गयी थी। जिसके बाद अधिकारियों ने परिवार को आश्वासन दिया था कि राजू के बच्चे को नौकरी दी जाएगी, मेला मैदान में दुकान रखने के लिए ज़मीन दी जाएगी और पांच लाख रूपए का मुआवज़ा दिया जाएगा। लेकिन लगभग 15 साल के बाद भी परिवार को किसी भी तरह की सहायता नहीं दी गई है। यहाँ तक कि अब इस परिवार को मेले में दुकान लगाने की भी इजाज़त नहीं मिल रही है। पंद्रह सालों से राजू सोनकर के परिवार को मुआवज़े के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

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मामला सन 2007 का है। राजू सोनकर प्रयागराज में मेले में मूर्ती इत्यादि की दूकान लगाते थे। साल 2007 में घर से मेले की ओर जाते समय मेला ग्राउंड के अंदर अपर मेला अधिकारी की गाड़ी से एक्सीडेंट हो गया था। उसी रात लखनऊ के अस्पताल में राजू ने डैम तोड़ दिया। उस समय परिवार को अधिकारियों की तरफ से अलग अलग तरह की सहायता की बात कही थी। अधिकारियों ने परिवार को आश्वासन दिया था कि राजू के बच्चे को नौकरी दी जाएगी, मेला मैदान में दुकान रखने के लिए ज़मीन दी जाएगी और पांच लाख रूपए का मुआवज़ा दिया जाएगा। जिसके लिए लगातार राजू के परिवार ने अलग-अलग जगहों पर जाकर मुआवज़े की मांग की है।

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परिवार ने मामले के तुरंत बाद ही अपर मेला अधिकारी के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज कराई थी, लेकिन कोर्ट में भी पिछले 15 सालों से केस चल रहा है। परिवार के पास न इतना पैसा है कि वो अब केस लड़ सके या फिर रोज़-रोज़ विभागों के चक्कर काट सके। फिलहाल ये परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है क्यूंकि मेले में भी अब लाइसेंस न होने के चलते इन्हें दुकान लगाने की इजाज़त नहीं मिल रही है। परिवार की मांग है कि 15 साल से जिन वादों के इंतज़ार में ये लोग बैठे हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए। तो आइए उनके परिवार से ही जानते हैं कि अब तक इस मामले में किस तरह की सुनवाई हुई है और उनकी क्या मांग है कि जो वादे अधिकारियों ने करे थे, उनको पूरा किया जाए।

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