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सबसे प्रदूषित हवा गुज़रती है हमारे यूपी में

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.बी.सी.बी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले 14 शहर, उत्तर प्रदेश में पड़ते हैं। इन सभी शहरों में, वायु गुणवत्ता गंभीर  या बहुत ख़राब बताई गई है। भारत की राजधानी के पास स्थित गाजियाबाद क्षेत्र, देश के सबसे प्रदूषित शहर में से एक है , जिसके बाद गुरुग्राम का नंबर आता है।

पी.एम 2.5 एकाग्रता के मामले में पिछले 24 घंटों के लिए सीबीसीबी द्वारा दी गई वायु गुणवत्ता सूचकांक डेटा से पता चलता है कि गाजियाबाद में 451 के सूचकांक मूल्य के साथ सबसे खराब वायु गुणवत्ता है। इसके बाद गुरुग्राम, बुलंदशहर, फरीदाबाद, नोएडा, हापुर, बागपत, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, आगरा, मुजफ्फरनगर, लखनऊ और मोरादाबाद जैसे शहर आते हैं।

आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों, विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं जो खराब हवा की गुणवत्ता की खतरनाक स्थिति को दर्शाते हैं।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार इस साल कानपूर ज़िले को दुनिया में सबसे खराब वायु क्षेत्र घोषित किया गया है

यह न केवल चमड़े के विनिर्माण इकाइयों से निकलने वाला धुआं है जो नुकसान पहुंचता है , बल्कि सड़कों पर कूड़ा जलने के कारण भी अब स्थिति और खराब हो गई है।

आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसर एस.एन त्रिपाठी, जो वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर अनुसुंधान कर रहे हैं, उनका कहना है कि , “यह एक औद्योगिक शहर है जहां सड़कों पर खुले तौर पर कचरा जलाया जा रहा है। सड़कों पर चलने वाले लाखों वाहन के धुंए ने भी हवा को विषाक्त बना दिया है”।

यूपी की राजधानी लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर की तरह प्रमुख औद्योगिक केंद्र तो नहीं है, लेकिन सीबीपीबी रिपोर्ट के मुताबिक इस शहर में वायु गुणवत्ता बहुत खराब पाई गई है।

लखनऊ में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) में पर्यावरण निगरानी विभाग के प्रमुख डॉ एससी बरमान ने कहा कि, “ठोस अपशिष्ट जलने से, धूल और वाहनों की बढ़ती संख्या यहां हवा को जहरीला बना रही है। लखनऊ के पिछले सत्र प्रदूषण आंकड़ों से पता चला है कि लखनऊ में वायु गुणवत्ता भी बहुत अस्वास्थ्यकर हो गई है। सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर और भी ज्यादा बढ़ जाता है”।

के.जी.एम.यू के सहयोगी प्रोफेसर डॉ वेद प्रकाश का कहना है कि, “बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण, श्वास और श्वसन संबंधी मुद्दों के बारे में शिकायत करने वाले मरीजों में काफी बढ़ोतरी हुई है। अस्थमा के रोगियों के लिए भी मुश्किल हो जाती है। लोगों को विभिन्न सावधानी बरतनी चाहिए और उन्हें अत्यधिक प्रदूषण वाली जगह से खुद को दूर रखना चाहिए”।

इस मुद्दे के बारे में मीडिया से बात करते हुए यूपी कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि, “प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, जो हर किसी को प्रभावित करता है। हमारी सरकार इस समस्या को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। हम ये भी सुनिश्चित करेंगे कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों को ठीक से लागू करा जा रहा है। ”