साड़ी गाँव के लोगों का कहना है कि उनके पास घर-खर्च के पैसे नहीं हैं ऐसे में बीमार पड़ने पर वो लोग अपना इलाज कहाँ से कराएं। यह लोग बीमार पड़ने पर अब सरकारी अस्पताल जाने से भी डर रहे हैं कि अस्पताल में संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज़्यादा है।
पिछले साल से शुरू हुआ कोरोना महामारी का कहर अबतक नहीं थमा है। देश के हर वर्ग के लोग अभी तक महामारी का प्रकोप झेल रहे हैं, लेकिन कोविड-19 की चपेट में सबसे ज़्यादा गरीब और मज़दूर वर्ग आया है। प्रवासी मजदूर जो रोज़गार की तलाश में अपना गाँव छोड़कर बाहर शहरों में चले गए थे, उनमें से हज़ारों मज़दूर या तो भुखमरी का शिकार हो गए, या वायरस की चपेट में आकर उनके अपनों ने दम तोड़ दिया। जहाँ हमने देखा था कि पिछले साल गाँव वापस लौट रहे प्रवासी मज़दूरों के लिए प्रशासन ने कई सुविधाएं उपलब्ध करा दी थीं। उनको मुफ्त राशन से लेकर 15 दिनों के लिए उन्हें क्वारंटीन सेंटर में रहने की सुविधा भी हर प्रवासी व्यक्ति को दी जा रही थी। बांदा ज़िले के साड़ी गाँव में भी माध्यमिक स्कूल को क्वारंटीन सेंटर में तब्दील कर दिया गया था ताकि बाहर से आ रहे लोग 15 दिन वहां रह कर फिर ही अपने घर लौटें। इससे गाँव में संक्रमण फैलने के खतरा भी बहुत कम था।
लेकिन इस साल लॉकडाउन लगने पर इस गाँव के लोगों को कठिनाइयां तो झेलनी पड़ ही रही हैं, साथ ही कोरोना का डर भी अब यहाँ के लोगों पर हावी होता नज़र आ रहा है। साड़ी गाँव के लोगों का कहना है कि उनके पास घर-खर्च के पैसे नहीं हैं ऐसे में बीमार पड़ने पर वो लोग अपना इलाज कहाँ से कराएं। यह लोग बीमार पड़ने पर अब सरकारी अस्पताल जाने से भी डर रहे हैं कि अस्पताल में संक्रमण फैलने का खतरा और ज़्यादा है। कोरोना वायरस से जुड़ी अफवाहें और भय इस गाँव के लोगों में इतना बढ़ चुका है कि अब तो ये लोग टीकाकरण कराने से भी डर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम आती, तो घरों में छिप जाते हैं लोग-
साड़ी गाँव के रहने वाले राम दुलारी, पुष्पा देवी और बाबू का कहना है कि उनके गाँव में फरवरी के महीने में कोरोना जांच की टीम आई थी और तब गाँव के 25 प्रतिशत व्रद्ध लोगों ने कोरोना का टीका भी लगवाया था, लेकिन जब टीका लगने के बाद लोगों को बुखार आना शुरू हुआ तो गाँव में दहशत का माहौल होने लगा और लोग टीका लगवाने से डरने लगे। इन लोगों का कहना है कि टीका लगवाने का डर अब गाँव में इतना बढ़ चुका है कि अगर स्वास्थ्य विभाग से कोई आता भी है जांच करने या लोगों को जागरूक करने तो लोग डर के घरों में घुंस जाते हैं। इन लोगों का कहना है कि कई बार टीम आयी है और कोरोना का टीका लगाने के लिए दिनभर बैठी है, लेकिन जब कोई नहीं आया तो वो लोग भी वापस चले गए।
कोटेदार के कहा कि जिन्होंने टीका लगवाया है सिर्फ उनको ही मिलेगा राशन-
उधर साड़ी गाँव के कोटेदार ने लोगों को टीका लगवाने के लिए जागरूक करने के लिए यह ऐलान कर दिया है कि जब तक लोग कोरोना का टीका नहीं लगवाएंगे, उन्हें राशन नहीं दिया जाएगा। कोटेदार का कहना है कि जो भी राशन लेने आए उसे राशन कार्ड के साथ-साथ टीकाकरण की रसीद लाने की भी ज़रुरत है, जिसके बाद ही लोगों को गल्ला वितरण किया जाएगा। कोटेदार के इस फैसले से गाँव के लोग काफी ज़्यादा भड़के हुए हैं, उनका कहना है कि सरकार भले उन्हें मुफ्त राशन न दे लेकिन वो लोग कोरोना का टीका नहीं लगवाएंगे। उनका मानना है कि सरकार ने उन्हें कोई भी लाभ नहीं दिया और अब ऐसा टीका लगवाने को कह रही है जिससे उनकी तबियत और बिगड़ जाए। लोगों का कहना है कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार एक मुफ्त राशन ही दे रही थी लेकिन अब वो गाँव के कोटेदारों के साथ मिलकर गरीबों का गल्ला भी छीनना चाहती है। बता दें कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई भी नियम नहीं लागू किया गया है कि टीकाकरण होने के बाद ही राशन वितरण होगा लेकिन फिर भी गाँव के लोगों में इस प्रकार की अफवाहें अब तेज़ हो रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग जागरूकता फैलाने की कर रहा है पूरी कोशिश-
इस मामले पर जानकारी देते हुए सचिव कमल कुमार और बीडीओ राजेश सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम कई बार इस गाँव में लोगों को कोरोना के प्रोटोकॉल बताने और टीका लगवाने के लिए जागरूक करने पहुंची, लेकिन यहाँ के लोगों को ऐसा लगता है कि कोरोना का टीका उनके लिए हानिकारक है और वो उनके शरीर को नुक्सान पहुंचाएगा। इसी के कारण टीम के कई बार जागरूक करने के बाद भी यह लोग टीका लगवाने से डर रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग की किसी भी बात को मानने से इंकार कर देते हैं। उनका कहना है कि लोगों को अब कोरोना से डरने के बजाए उससे लड़ने के लिए अपने आप को तैयार करना होगा, और वैक्सीन इसमें अहम भूमिका निभाएगी। कमल कुमार ने बताया कि यह लोग रोज़गार की तलाश में बिना कोरोना से बचाव के दिशानिर्देशों का पालन किये घर से बाहर निकलते हैं, ऐसे में ज़रूरी है कि यह लोग तुरंत वैक्सीन लगवाएं ताकि संक्रमण से इनका बचाव हो सके।
जहाँ एक तरफ कोटेदार का टीकाकरण न होने पर राशन न देने का फैसला कहीं न कहीं गलत है, वहीँ गाँव के लोगों को भी अब अफवाहों से बचकर अपने आप को कोरोना से बचाने के बारे में भी सोचना चाहिए। रोज़ाना कोरोना से जुड़ी सैकड़ों फेक न्यूज़ और अफवाहें ग्रामीणों तक पहुँच रही हैं जिससे न ही सिर्फ उनके अंदर कोरोना वायरस का डर और बढ़ता जा रहा है बल्कि ऐसे में वैक्सीन न लगवाने या गलत इलाज करने से उनकी जान का खतरा भी और बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग अपनी पूरी कोशिश कर रहा है कि वो गाँव-गाँव जाकर ग्रामीणों को कोरोना की वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक कर सके, ऐसे में अब ग्रामीणों को भी कोविड के डर को बाहर निकालकर अब वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आना चाहिए ताकि और लोग भी उनसे प्रेरित हो सकें।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए शिवदेवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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