पन्ना जिले के अंतर्गत आने वाला ललार गांव केन नदी से घिरा हुआ है। इस गांव के लोग आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के बच्चों को पढ़ाई के लिए नाव से नदी पार करके स्कूल जाना होता है। वहां जाने का कोई रास्ता नहीं है, न ही नदी पार करने के लिए पुल बना है जिसके चलते हादसे का भी डर बना रहता है।
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एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में कुछ गांव ऐसे हैं, जो आज के दौर में भी विकास से काफी पीछे हैं। इन्हीं में से एक है ललार गांव जो जंगल और पहाड़ों के साथ-सथा नदी से भी घिरा है। यहां 90 प्रतिशत किसान रहते हैं जो दूध का कार्य करते हैं। इस धंधे के लिए रोज उन्हें सुबह होते ही गांव से नाव में नदी पार करके दूध बेचने के लिए जाना पड़ता है।
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गांव के लोगों का कहना है कि वह अपनी जान जोखिम में डाल कर नदी पार करते हैं और सिर्फ एक नाव चलती है। जिसमें बच्चे और बुढ़े ठूंस-ठूंसकर भरे होते हैं। वह लोग लंबे समय से नदी में पुल बनने की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं पुल की मांग को लेकर पिछले साल उन्होंने पन्ना छतरपुर मार्ग पर प्रदर्शन कर जाम भी लगाया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। चुनाव के समय ही नेता मंत्री आते हैं और बड़े-बड़े वादे करके चले जाते हैं। फिर 5 साल पलट कर कोई नहीं देखता। इस विधानसभा जो उनके यहां पुल बनवायेगा, उसको वोट देंगे।
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