खबर लहरिया National वाराणसी : यूपी-डेनमार्क सरकार के समझौते से क्या साफ़ होगी वरुणा नदी?

वाराणसी : यूपी-डेनमार्क सरकार के समझौते से क्या साफ़ होगी वरुणा नदी?

जिला वाराणसी। गंगा और उसकी सहायक नदी वरुणा की सफाई के लिए पहले से ही वाराणसी में नमामि गंगे के तहत काम चल रहा था जिसके तहत गंगा की सफाई हो रही है। इसके बावजूद भी गंगा के कुछ घाट गंदे दिखते थे पर वरुणा नदी तो नदी नहीं मानो नाला है इतनी गंदी है और उसका पानी भी पूरी तरह से काला है। इन नदियों के सफाई लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने फरवरी 2023 में डेनमार्क सरकार के साथ 1000 करोड़ रुपए का समझौता किया है अब देखते हैं कि इस समझौते से गंगा और उसकी सहायक नदी वरुणा की सफाई पर कितना फर्क आएगा फिलहाल अभी तो इसका काम शुरू ही नहीं हुआ।

राम नगर के रहने वाले अमित कुमार कहते हैं कि वरुणा नदी में एक समय लोग नहाते थे पूजा के लिए पानी लेते थे, लेकिन आज उस नदी की इतनी बुरी दुर्दशा है कि पूरा पानी काला पड़ गया है उसका कारण है कि पूरे शहर के नालों का गंदा पानी वरुणा नदी में लगा हुआ है इसके अलावा जो होटलों का पानी है जो फैक्ट्रियों का पानी है केमिकल मिला हुआ वह भी इसी नदी में लगा हुआ है इसके चलते पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है। जिसका असर इस नदी में रहने वाले जलीय जीव जंतुओं पर बहुत ज्यादा पड़ा हुआ है एक भी जीव जंतु नजर नहीं आ रहा और यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि काशी में नदी का यह हाल है।

डाक्टर अखिलेश पाण्डेय कहते हैं कि उनका जीवन बचपन से वरुणा नदी के किनारे ही बिता है क्योंकि वहीं पास में घर है वह हमेशा इस नदी में नहाते थे पूरा खर्च का निस्तार करते थे यहां तक कि पीने के लिए पानी भी यही से ले जाते थे बहुत सुंदर पानी था और बहुत सारे जलीय जीव जंतु इस में रहते थे जो नदी की सुंदरता को बढ़ाते थे लेकिन कुछ सालों से इसका पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है, पूरी तरह काला हो गया है एक भी जलीय जीव जंतु नदी में नहीं रह गया वह लोग अपनी तरफ से हर संडे आकर नदी के घाटों के आसपास की सफाई करते हैं और मंदिर है तो पूजा अर्चना भी करते हैं वरुणा नदी के पास धरना स्थल भी है जहां पर हमेशा लोग आते रहते हैं, लेकिन यह नदी गंदगी से भरी पड़ी हुई है भले ही नमामि गंगे का काम यहां चलता हो लेकिन वह सिर्फ कागजी तौर पर चल रहा है हां गंगा को भले थोड़ा बहुत साफ रखा जा रहा हो लेकिन वरुणा नदी में नमामि गंगे एक भी काम नहीं करता। इस लिए यह नदी दलदल से भरी हुई है जबकि सरकार गंगा और नदियों की सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती हैं और बड़े-बड़े वादे करती हैं कि यहां पर सफाई होगी।

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रेखा जैसवाल कहती है कि नमामि गंगे का थोड़ा बहुत काम जो दिखता है वो गंगा के कुछ घाटों में लेकिन वरुणा में एक भी सफाई नहीं होती‌ अच्छी बात है डेनमार्क के साथ यूपी सरकार ने समझौता किया है। हो सकता है कि उसके आने से यहां सफाई हो क्योंकि नमामि गंगे के तहत काम नहीं हो पाया तो डेनमार्क के तहत कितना होता है या सिर्फ पैसे का बंदरवाट होता है ये भी देखने वाली बात होगी खैर उन्हें अभी इस बारे में जानकारी नहीं है लेकिन काशी की धरती में अगर गंगा और वाराणसी की सफाई हो जाए और उसके लिए डेनमार्क के साथ समझौता हुआ है, तो अच्छी बात है लेकिन उसका काम दिखना चाहिए।

वरुणा नदी के पास रह रही उर्मिला बताती हैं कि इस गंदगी से मोहल्ले का जीना हराम है। जितने भी पशु पक्षी मरते हैं सब यहीं फेंक दिए जाते हैं पूरे शहर के गंदे नाले लगे हैं जब हवा चलती है, तो उनका सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इतना मच्छर लगता है कि रात की नींद हराम हो जाती है और मोहल्ले में अक्सर लोग गंदगी के कारण मच्छरों से बीमारी का शिकार बने रहते हैं।

वाराणसी बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर बताते हैं कि वह बैठक में शामिल हुए थे उनके हिसाब से डेनमार्क सरकार और यूपी सरकार के बीच एक हजार करोड़ रुपए का समझौता दसख्त हुआ है इसमें कई अलग-अलग तरह के काम और संस्थाएं शामिल है जो उनका काम है वह पानी की बजटिंग का है,उसके लिए अभी तैयारियां चल रही है अभी काम शुरू नहीं हुआ इसलिए बाइट देना और और पूरी तरह से बता पाना मुश्किल है लेकिन जब काम शुरू हो जाएगा तब वह जरूर बताएंगे फिलहाल उनका जो काम है पानी बजटिंग का और निगरानी रखना है। जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और नदियों की सफाई भी होगी जब मैंने उनसे पूछा कि यहां तो पहले से ही नमामि गंगे का काम चल रहा था तो फिर इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी तो उन्होंने कहा कि हाँ, नमामि गंगे! का काम चल रहा है और कुछ हद तक दिखता भी है लेकिन इसके तहत और भी अच्छे से काम हो रही सरकार का उद्देश्य है।

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