गर्मियों में अगर देशी ठंडा मठा पीने को मिल जाए तो और क्या ही चाहिए? लेकिन आज हर कोई देशी मठा नहीं बनाता है और न ही हर किसी को बनाना आता है। देशी मठे को बनाने में अमूमन थोड़ा अधिक समय लगता है।
ये भी देखें – बुंदेलखंड : त्योहार और उनसे जुड़े व्यंजन
पन्ना जिले के कुंवरपुर गांव में रहने वाले अशोक यही मानते हैं कि मशीन द्वारा बनाये गए मठे में स्वाद नहीं रहता। जो मठा मथानी से वह लोग बनाते हैं उसमें अलग-सा ही स्वाद आता है।
उनके पास इस समय चार भैंस है और उन्हीं के दूध से वह देशी मठा बनाते हैं।
ये भी देखें – केवल तीन चीज़ो से बनाये घर पर बिलकुल बाजार जैसी काजू कतली
देशी मठा बनाने के लिए लकड़ी की मथानी की ज़रुरत होती है। देशी मटकी में लोगों द्वारा दही जमाई जाती है। इसके बाद ही मठा बनाया जाता है। मठे से निकला मक्खन भी काफी स्वादिष्ट होता है।
हाथ से मठा बनाने में तकरीबन एक घंटा लगता है। वहीं मशीन से सिर्फ 10-15 मिनट में बन जाता है पर हाथों वाला स्वाद नहीं होता। लोग अमूमन देशी मठा घर के लिए बनाते हैं और फ्री में ही अन्य लोगों को दे देतें हैं क्योंकि गाँव में मठा कोई भी नहीं बेचता।
ये भी देखें – बिहार के टॉप-5 पारंपरिक व्यंजन
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’